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Janmashtami 2022: श्रीकृष्ण की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर का निशान? जानिए इसका रहस्य

धर्म डेस्क, अमर उजला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Mon, 15 Aug 2022 02:07 PM IST
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Krishna Janmashtami 2022 Why Footprints Make on Lord Shri Krishna’s Chest Know Story behind it
श्रीकृष्ण की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर का निशान? - फोटो : iStock
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Janmashtami 2022:  कुछ ही दिन में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी आने वाला है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। तब से यह तिथि कान्हा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाने लगी। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार कर रूप में जाने जाते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त भगवान श्री कृष्ण की सच्चे मन से आराधना करता है, भगवान श्री कृष्ण उसपर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। श्री कृष्ण को हम कई नामों से जानते हैं जैसे बाल गोपाल,  बांके बिहारी, श्याम, मुरारी आदि। कान्हा के बाल रूप को लड्डू गोपाल के नाम से भी जानते हैं। श्री कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल के रूप में पूजा जाता है। उनका जन्म कराकर पूरे विधि-विधान से उनकी आराधना की जाती है। लड्डू गोपाल की प्रतिमा आप सभी ने रखी होगी। आपने देखा होगा लड्डू गोपाल की प्रतिमा में उनके सीने पर पैरों के निशान बने हैं। आइए जानते हैं लड्डू ओपल के सीने पर पैर के निशान का रहस्य क्या है। 
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Krishna Janmashtami 2022 Why Footprints Make on Lord Shri Krishna’s Chest Know Story behind it
श्रीकृष्ण की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर का निशान?
लड्डू गोपाल की सीने पर बने पैर का रहस्य 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऋषि मुनियों के मध्य एक बार विवाद जन्मा कि सनातन धर्म के तीन प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से कौन सर्वश्रेष्ठ है? तब ऋषि मुनियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए ऋषियों में प्रमुख भृगु ऋषि को इस बात का पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी। 
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श्रीकृष्ण की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर का निशान? - फोटो : pinterest
जब ब्रह्मा जी की परीक्षा लेने पहुंचे भृगु ऋषि 
ऋषि भृगु सभी ऋषियों की बात मानकर सबसे पहले ब्रह्मा जी की परीक्षा लेने पहुंचे। वहां उन्होंने ब्रह्मा जी से क्रोधित होकर कहा, "मैं आपके यहां आया और आपने मेरा आदर सत्कार नहीं किया। यह मेरा अनादर है।" इस पर उलटे ही ब्रह्मा जी भृगु ऋषि पर क्रोधित होते हुए बोले, मैं तुम्हारा पिता हूं, तुम अपने पिता से आदर सत्कार चाहते हो। भले ही तुम विद्वान क्यों न हो जाओ, अपने से बड़ों का तुम्हें अपमान नहीं करना चाहिए।"  ऋषि भृगु ने ब्रह्मा जी से क्षमा मांगते हुए कहां कि मैं सिर्फ यह देख रहा था कि आपको क्रोध आता है या नहीं।"
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श्रीकृष्ण की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर का निशान? - फोटो : pinterest
कैलाश पहुंचे भृगु ऋषि
इसके बाद भृगु ऋषि कैलाश पर्वत गए और वहां शिव शंभू की परीक्षा लेना शुरू किया। नंदी महाराज ने कहा कि महादेव अभी समाधि में लीन हैं। लेकिन ऋषिवर नहीं मानें और समाधि में लीन महादेव के पास पहुंच गए और कहने लगे, कि हे देवो के देव महादेव आपके द्वार तो हमेशा ऋषियों के लिए खुले रहते हैं, फिर भी आपने मेरा स्वागत नहीं किया? शिव शंभू यह सुनकर क्रोधित हो गए और उन्होंने ऋषि भृगु को मारने के लिए शस्त्र उठा लिए। मगर देवी पार्वती ने उनकी महादेव से रक्षा की। 
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श्रीकृष्ण की छाती पर क्यों बनाते हैं पैर का निशान?
जब श्री हरि के पास पहुंचे भृगु ऋषि
दोनों जगह से परीक्षा लेने के बाद भृगु ऋषि श्रीविष्णु के पास पहुंचे। श्री विष्णु घोर निद्रा में थे। ऋषि भृगु को लगा कि भगवान विष्णु सोने का नाटक कर रहे हैं और उन्होंने अपना पैर भगवान विष्णु की छाती पर रख दिया। पर इस बार उन्हें विपरीत प्रतिक्रिया देखने को मिली। श्री हरि विष्णु क्रोधित न होकर भृगु ऋषि से पूछते हैं कि "कहीं आपके पैर में मेरी छाती से चोट तो नहीं लगी?" श्री हरि के इस व्यवहार से प्रसन्न होकर ऋषि भृगु ने उन्हें त्रिदेवों में सबसे श्रेष्ठ घोषित कर दिया।
मान्यता है तभी से लड्डू गोपाल की छाती पर पग चिह्न विराजित हैं। किसी और के नहीं, बल्कि ऋषि भृगु के हैं, जिन्होंने उन्हें सतोगुणी देव की उपाधि दी थी। 
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