Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी का उपवास 1 दिसंबर 2025 को रखा जा रहा है। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मान्यता है कि, इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। वहीं मोक्षदा एकादशी सृष्टि के संचालक के नामों के स्मरण करने के लिए भी जानी जाती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति के कष्टों का निवारण और मोक्ष मिलता है। हालांकि, इस बार मोक्षदा एकादशी के दिन भद्रा और पंचक का संयोग बना रहेगा। इस दौरान पूजा नियमों के साथ-साथ तुलसी से जुड़ी कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना चाहिए अन्यथा घर की सुख-समृद्धि प्रभावित हो सकती हैं। साथ ही आर्थिक समृद्धि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। ऐसे में आइए तुलसी के पौधे से जुड़ी इन बातों को जानते हैं।
Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी पर भद्रा, तुलसी से जुड़ी इन 5 बातों का रखें खास ध्यान
Mokshada Ekadashi 2025: इस बार मोक्षदा एकादशी के दिन भद्रा और पंचक का संयोग बना रहेगा। इस दौरान पूजा नियमों के साथ-साथ तुलसी से जुड़ी कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना चाहिए अन्यथा घर की सुख-समृद्धि प्रभावित हो सकती हैं।
मोक्षदा एकादशी 2025
मोक्षदा एकादशी तिथि का प्रारंभ 30 नवंबर 2025 को रविवार रात 09:29 मिनट पर होगा। इसका समापन 1 दिसंबर 2025 को शाम 07 बजकर 1 मिनट पर है। इसलिए मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। इस दिन सुबह 8 बजकर 20 मिनट से शाम 7 बजकर 1 मिनट तक भद्रा है। वहीं 2 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से सुबह 9 बजकर 3 मिनट तक आप व्रत पारण कर सकती हैं।
तुलसी से जुड़ी इन 5 बातों का रखें खास ध्यान
- मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी के आस-पास साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। इस दौरान पौधे आसपास जूते-चप्पल व कूड़ेदान जैसी चीजों को रखने की भूल नहीं करनी चाहिए। इससे घर की बरकत पर प्रभाव पड़ता है।
- कहते हैं कि, एकादशी पर तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन तुलसी माता विष्णु जी के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और जल अर्पित करने से व्रत खंडित हो सकता है। इसलिए ऐसा भूलकर भी न करें अन्यथा सुख-समृद्धि प्रभावित हो सकती हैं।
- एकादशी पर विष्णु जी के भोग में तुलसी दल को शामिल करना शुभ होता है। लेकिन आप इस दिन तुलसी की पत्तियां न तोड़े। आप एक दिन पहले तुलसी का पत्ता तोड़कर रख लें।

कमेंट
कमेंट X