आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को हर कार्य में संयम से काम लेना चाहिए, लेकिन उन्होंने नीति शास्त्र में कुछ ऐसी बातों को बारे में भी बताया है, जिनमें बिलकुल संकोच नहीं करना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि इन कामों में संकोच या शर्म करने से व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इन कामों में संकोच महसूस न करने वाले ही सफल होते हैं। तो चलिए जानते हैं कि वे कौन सी चीजें है जिनके लिए बिलकुल भी संकोच नही करना चाहिए।
चाणक्य नीति: इन तीन चीजों के मामले में कभी नहीं करना चाहिए संकोच, हो सकता है नुकसान
धन से संबंधित मामलों में न करें संकोच
चाणक्य नीति कहती है कि मनुष्य को धन से संबंधित मामलों में कभी भी संकोच नहीं करना चाहिए। जो लोग धन के मामले में संकोच करते हैं उन्हें धनहानि हो सकती है। किसी को दिए गए कर्ज को मांगने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए। इसी तरह से अगर आप किसी के साथ व्यापार करते हैं तो उससे भी स्पष्ट व्यव्हार रखें अन्यथा आपको धन की हानि हो सकती है।
गुरू से शिक्षा प्राप्त करते समय न करनी चाहिए शर्म
चाणक्य नीति कहती है कि गुरू से शिक्षा लेते समय कभी शर्म नहीं करना चाहिए। मन में प्रश्न आने पर या कोई मंत्र एवं बात समझ न आए तो तुरंत उसे पूछना चाहिए। एक जिज्ञासु व्यक्ति ही अपने प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करके ज्ञान अर्जित कर पाता है। जो लोग शिक्षा ग्रहण करते समय शर्म करते हैं उनको पूरी जानकारी नहीं हो पाती है जिसके कारण उन्हें अपने जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को अधिक भोजन का उपभोग नहीं करना चाहिए, लेकिन भोजन करते समय किसी भी प्रकार का संकोच भी नहीं करना चाहिए। कुछ लोग किसी दूसरों के सामने या किसी के घर पर भोजन करने में संकोच महसूस करते हैं, ऐसे में वो भूखे रह जाते हैं। शरीर को काम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो भोजन से ही मिलती है। भूखे पेट हमारे मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं रहता है, जिससे हम सही प्रकार से कार्य नहीं कर पाते हैं, इसलिए भोजन करते समय किसी भी प्रकार का संकोच न करें।

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