Prasanna Vadanam Shloka Meaning: श्लोक सिर्फ संस्कृत की कविताएं नहीं, बल्कि ये एक पवित्र और शक्तिशाली ध्वनियां होती हैं। जब कोई इनका उच्चारण करता है, तो ये मन, वातावरण और आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा भर देती हैं। इनसे न केवल पूजा पूर्ण होती है, बल्कि ये शरीर और मन को भी ठीक करती हैं और बुरी शक्तियों को दूर करती है।
Prasanna Vadanam shloka: 'प्रसन्नवदनां' श्लोक किसे समर्पित है? जानें इसका अर्थ
सोशल मीडिया पर वायरल 'प्रसन्नवदनां' श्लोक किसको समर्पित है। आइए जानते हैं यह पूरा श्लोक क्या है और इसका अर्थ क्या है...
पूरा श्लोक क्या है?
"वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
हस्ताभ्यां अभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्।
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिः सेवितां
पार्श्वे पंकजशंखपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः॥"
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"वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां"
मैं उस देवी को प्रणाम करता हूं जिनके हाथ में कमल है, जिनका चेहरा हमेशा मुस्कुराता है और जो लोगों को भाग्य और सौभाग्य देती हैं।
"हस्ताभ्यां अभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्"
उनके हाथों में डर को दूर करने की शक्ति है और वे कई तरह के कीमती गहनों से सजी हुई हैं।
वे अपने भक्तों को मनचाहा फल देती हैं और ब्रह्मा, विष्णु और शिव भी उनकी पूजा करते हैं।
"पार्श्वे पंकजशंखपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः"
वो देवी हमेशा कमल, शंख, रत्नों और शक्तियों से घिरी रहती हैं। उनके पास हर तरह की सकारात्मक शक्ति होती है, जो उनके भक्तों को सुख और समृद्धि देती है।
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