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Satellite Traffic: धरती पर वाहन, तो अंतरिक्ष में सैटेलाइट लगा रहे हैं जाम, बड़ा खतरा दे रहा संकेत!

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Wed, 11 Jun 2025 03:05 PM IST
सार

Satellite Traffic: अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स की बढ़ती संख्या धरती पर चिंता का कारण बनने लगी है। सैटेलाइट की बढ़ती भीड़ से स्पेस डेबरिस और सैटेलाइट कॉलिजन का खतरा भी बढ़ने लगा है, जिसको लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक लोगों को सावधान करने की कोशिश कर रहे हैं।

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satellite in space reaching critical level creating risk of in orbit collision
बढ़ रहा है सैटेलाइट्स के टकराने का खतरा - फोटो : AI
अगर आप आसमान की तरफ देख रहें हैं तो संभावना अधिक है कि आप केवल सितारों को ही नहीं, बल्कि सैटेलाइट को भी निहार रहे होंगे। आपको इंटरनेट और फोन से लेकर टेलीविजन की सुविधा देने के लिए धरती के चारों ओर हजारों सैटेलाइट चक्कर काट रहे हैं। मई 2025 तक 11,700 से ज्यादा सैटेलाइट लो-ऑर्बिट में धरती के चारों ओर घूम रहे हैं। हालांकि, अब सैटेलाइट्स की बढ़ती संख्या ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। लाइव साइंस के मुताबिक अकेले 2024 में 2,800 सैटेलाइट लॉन्च किए गए। अगर इनकी संख्या को देखें तो हर 34 घंटे में एक सैटेलाइट को लॉन्च किया गया है। अंतरिक्ष में सैटेलाइट की बढ़ती भीड़ से स्पेस डेबरिस और सैटेलाइट कॉलिजन का खतरा भी बढ़ने लगा है, जिसको लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक लोगों को आगाह करने की कोशिश कर रहे हैं।
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स्पेसएक्स - फोटो : amarujala.com
सैटेलाइट की रेस में प्राइवेट कंपनियां आगे
गौर करने वाली बात है कि दुनियाभर में चल रही सैटेलाइट की इस रेस में सरकारी नहीं, बल्कि प्राइवेट कंपनियां आगे हैं। सैटेलाइट लॉन्च करने के मामले में अमेरिकी बिजनेमैन एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) सबसे आगे हैं। एलन मस्क अपनी महत्वकांक्षी इंटरनेट प्रोग्राम Starlink के लिए 7,400 से ज्यादा सैटेलाइट पहले ही लॉन्च कर चुके हैं। यह धरती के ऑर्बिट में घूम रहे सभी सैटेलाइट्स का 60 प्रतिशत है। यानी स्पेस में चक्कर काट रहे 100 में से 60 सैटेलाइट सिर्फ SpaceX के हैं।
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स्पेसएक्स - फोटो : SpaceX
स्पेस रेस में कूदी और भी कंपनियां
एलन मस्क की SapceX ही केवल अंतरिक्ष में सैटेलाइट पहुंचाने की दौड़ में नहीं है, बल्कि अब इस रेस में अमेरिका की अमेजन और यूके बेस्ड One Web भी शामिल हो चुकी है। वहीं, तेजी से बढ़ते सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस में अब कई चाइनीज कंपनियां भी कूद रही हैं। सैटेलाइट इंटरनेट को लाने का उद्देश्य है कि धरती के दूर-दराज वाले इलाकों में जहां फाइबर इंटरनेट की पहुंच नहीं है, वहां लगों को सैटेलाइट की मदद से इंटरनेट पहुंचाया जाए। आज टेलीम्यूनिकेशन, जीपीएस और नेविगेशन समेत कई तरह की सेवाएं पूरी तरह सैटेलाइट्स पर ही निर्भर हैं। हालांकि, अंतरिक्ष में सैटेलाइट की बढ़ती संख्या नई तरह की चुनौतियां खड़ी कर रहा है।
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लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : AI
लो-अर्थ ऑर्बिट सबसे ज्यादा प्रभावित
अगर सैटेलाइट्स की संख्या की बात करें, तो धरती के लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में सबसे ज्यादा सैटेलाइट धूम रहे हैं, जो कि धरती की वायुमंडलीय सतह से 2,000 किलोमीटर ऊपर तक होता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस ऑरबिट की "कैरिंग कैपिसिटी" तेजी से भर रही है। अगर इसे नहीं रोका गया तो इस ऑर्बिट में सैटेलाइट को लॉन्च करना मुश्किल हो जाएगा, साथ ही यहां सैटेलाइट्स के आपस में टकराने का भी खतरा बढ़ जाएगा। और यदि ऐसा हुआ तो धरती पर इंटरनेट से चलने वाली कई सेवाएं ठप पड़ सकती हैं।
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2050 से पहले भर जाएगी लिमिट - फोटो : Freepik
2050 से पहले भर जाएगी लिमिट 
हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के एस्ट्रोनॉमर जोनाथन मैकडोवल के मुताबिक, स्पेस में चालू और खराब सैटेलाइट्स की कुल संख्या करीब 14,900 तक पहुंच गई है। उनका मानना है कि सैटेलाइट स्पेस में जैसे-जैसे कमर्शियल कंपनियों की संख्या बढ़ेगी, स्टैलाइट की तादाद भी बढ़ती जाएगी। जानकारी के मुताबिक, लो-अर्थ ऑर्बिट में 1,00,000 सैटेलाइट आसानी से रह सकते हैं, लेकिन 2050 से पहले ही यह लिमिट भरने का अनुमान लगाया गया है।
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