आज के दौर में स्मार्टफोन कंपनियां 108MP और 200MP कैमरा लेंस को अपनी सबसे बड़ी ताकत बताती हैं। ऐसे में भी GoPro और Insta360 जैसे एक्शन कैमरे महज 12 से 20 मेगापिक्सल में वो कमाल कर दिखाते हैं जो महंगे स्मार्टफोन के भी नहीं कर पाते। इसका जवाब केवल मेगापिक्सल में नहीं, बल्कि कैमरे की टेक्नॉलॉजी, लेंस क्वालिटी, और सेंसिंग क्षमता में छिपा है। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं...
मेगापिक्सल सब कुछ नहीं होता
ज्यादा मेगापिक्सल का मतलब केवल ज्यादा रेजोल्यूशन होता है, यानी फोटो में ज्यादा डिटेल्स। लेकिन अगर सेंसर छोटा या अच्छी क्वालिटी का नहीं है, तो ज्यादा मेगापिक्सल होने के बावजूद नॉइज और लो-लाइट परफॉर्मेंस कमजोर रहती है। एक्शन कैमरे जैसे GoPro या Insta360 में मेगापिक्सल केवल 12MP से 20MP तक होते हैं, लेकिन उनके सेंसर और लेंस प्रोफेशनल ग्रेड के होते हैं, जो हर पिक्सल से ज्यादा जानकारी (लाइट और कलर डिटेल) कैप्चर कर लेते हैं।
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सेंसर की क्वालिटी और बड़ा साइज
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सेंसर की क्वालिटी और बड़ा साइज
एक्शन कैमरों में इस्तेमाल होने वाले सेंसर बड़े और ज्यादा लाइट-सेंसिटिव होते हैं, जो कम रोशनी या तेज मूवमेंट में भी साफ और शार्प फोटो देते हैं। वहीं स्मार्टफोन कैमरे भले ही ज्यादा मेगापिक्सल वाले हों, लेकिन उनके सेंसर छोटे होने की वजह से कम रोशनी में फोटो डल या ग्रेनी दिखाई दे सकती है।
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ज्यादा डिटेल करता है कैप्चर
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एक्शन कैमरा ज्यादा डिटेल करता है कैप्चर
एक्शन कैमरे वाइड-एंगल, हाई-ग्रेड ग्लास लेंस के साथ आते हैं जो हर फ्रेम में ज्यादा एरिया और डिटेल कैप्चर करते हैं। उनका एपर्चर (f/2.8 या उससे कम) अक्सर फिक्स होता है, जिससे फोकस तेज और इमेज स्थिर रहती है। स्मार्टफोन्स में मल्टी-लेंस सेटअप होते हैं, लेकिन उनमें लाइट डिस्टॉर्शन और डिजिटल प्रोसेसिंग ज्यादा होती है।
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इमेज प्रोसेसिंग और कलर टोन
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इमेज प्रोसेसिंग और कलर टोन
एक्शन कैमरे में खास तौर पर ऐसे चिप्स होते हैं जो मोशन, लाइट और कलर को रियल-टाइम में एडजस्ट करते हैं। GoPro के GP2 या Insta360 के FlowState प्रोसेसर जैसे चिप्स, HDR और वीडियो स्टेबिलाइजेशन को शानदार तरीके से हैंडल करते हैं। जबकि स्मार्टफोन्स में फोटो की प्रोसेसिंग अक्सर सॉफ्टवेयर से होती है, जिससे नेचुरैलिटी चली जाती है।