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पंजाब में नया खतरा: दरियाओं ने स्वरूप बदला, बढ़ गया बाढ़ क्षेत्र; बचाव के लिए अब व्यापक परियोजना होगी तैयार
मोहित धुपड़, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Thu, 18 Sep 2025 07:45 AM IST
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सार
पंजाब में इस बार बाढ़ की वजह से दरियाओं के बांधों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है। हालांकि विभाग इसका सर्वे करवा रहा है मगर इस आपदा के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इन दरियाओं के बाढ़ क्षेत्र में अपेक्षाकृत काफी इजाफा हो गया, जिस वजह से नुकसान का दायरा भी काफी बढ़ गया।

पंजाब में बाढ़
- फोटो : संवाद
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विस्तार
पंजाब में बाढ़ की भीषण त्रासदी ने यहां बसने वाले बाशिंदों के लिए जहां एक ओर बड़ी आफत खड़ी कर दी है वहीं दूसरी ओर सूबे में बहने वाले दरियाओं का बाढ़ क्षेत्र भी काफी बढ़ गया है, जो भावी खतरों के मद्देनजर चिंता का विषय है। ये वही दरिया हैं, जिनके उफान ने पंजाब में खूब तबाही मचाई है।
भले ही पानी पहाड़ों का था मगर बाढ़ की वजह से पंजाब में इन दरियाओं ने अपना स्वरूप ही बदल लिया है। इस आपदा के बाद पंजाब का जल स्रोत विभाग अब इस चिंतन मंथन में जुट गया है कि आखिरकार सूबे को इस तरह के भावी खतरों से कैसे महफूज रखा जाए। पंजाब सरकार भी इसे बड़ी चुनौती मान रही है।
इनके अलावा सहायक नदियों और नालों के आसपास भी 300 किलोमीटर से अधिक लंबे कच्चे बांध बने हुए हैं। इनमें से अधिकतर बांध 1950-60 के दशक में बनाए गए थे। मुख्यमंत्री भगवंत मान के अनुसार पंजाब को इस तरह के भावी खतरों से बचाने के लिए उन्होंने जल स्रोत विभाग के आला अफसरों को एक परियोजना तैयार के निर्देश दे दिए हैं। सरकार इसे लेकर खासी गंभीर और चिंतित है।

भले ही पानी पहाड़ों का था मगर बाढ़ की वजह से पंजाब में इन दरियाओं ने अपना स्वरूप ही बदल लिया है। इस आपदा के बाद पंजाब का जल स्रोत विभाग अब इस चिंतन मंथन में जुट गया है कि आखिरकार सूबे को इस तरह के भावी खतरों से कैसे महफूज रखा जाए। पंजाब सरकार भी इसे बड़ी चुनौती मान रही है।
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जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर बनेंगी परियोजनाएं
भविष्य में पंजाब को बाढ़ जैसी आपदा से बचाने के लिए जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर परियोजनाएं तैयार करनी पड़ेंगी, क्योंकि सरकार का दावा है कि इस बार आई बाढ़ पंजाब के इतिहास में सबसे बड़ी त्रासदी है। पंजाब में सतलुज, ब्यास, रावी, घग्गर व इनकी सहायक नदियों के इर्द-गिर्द करीब 900 किलोमीटर लंबे धुस्सी बांध हैं। इनमें 226 किलोमीटर सतलुज, 164 किलोमीटर रावी, 104 किलोमीटर ब्यास और लगभग 100 किलोमीटर घग्गर के किनारों पर बने हुए हैं।इनके अलावा सहायक नदियों और नालों के आसपास भी 300 किलोमीटर से अधिक लंबे कच्चे बांध बने हुए हैं। इनमें से अधिकतर बांध 1950-60 के दशक में बनाए गए थे। मुख्यमंत्री भगवंत मान के अनुसार पंजाब को इस तरह के भावी खतरों से बचाने के लिए उन्होंने जल स्रोत विभाग के आला अफसरों को एक परियोजना तैयार के निर्देश दे दिए हैं। सरकार इसे लेकर खासी गंभीर और चिंतित है।