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अमृतपाल सिंह ने फिर दी चुनौती: हाईकोर्ट ने दर्ज सभी एफआईआर का मांगा ब्योरा, पंजाब सरकार को आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Sun, 02 Feb 2025 08:28 AM IST
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सार
अमृतपाल के साथियों सरबजीत सिंह कलसी, गुरमीत गिल, पपलप्रीत सिंह और अन्य ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ एनएसए लगाने की कार्रवाई असांविधानिक, कानून के खिलाफ और राजनीतिक असहमति के कारण दुर्भावनापूर्ण तरीके से की गई है।

अमृतपाल सिंह
- फोटो : फाइल
विस्तार
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) लगाने और इसकी अवधि बढ़ाने को चुनौती देने वाली खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल और उसके साथियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को इन पर दर्ज सभी एफआईआर का ब्योरा सौंपने का आदेश दिया है।
अमृतपाल के साथियों सरबजीत सिंह कलसी, गुरमीत गिल, पपलप्रीत सिंह और अन्य ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ एनएसए लगाने की कार्रवाई असांविधानिक, कानून के खिलाफ और राजनीतिक असहमति के कारण दुर्भावनापूर्ण तरीके से की गई है। उनके खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं बनता, जिसके आधार पर उन्हें निवारक हिरासत में रखा जाए। उन्हें न केवल एक साल से अधिक समय तक निवारक हिरासत में रखा गया, बल्कि पंजाब से दूर हिरासत में रखकर उनकी स्वतंत्रता को असामान्य और क्रूर तरीके से छीना गया।
पंजाब सरकार ने कहा कि अमृतपाल के साथियों की हिरासत राज्य की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। सरकार का दावा है कि अमृतपाल के साथी जेल में रहते हुए भी अलगाववादियों से संपर्क में थे, इसलिए उनकी हिरासत बढ़ाना आवश्यक है। सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि हिरासत के आधार में जिन एफआईआर का उल्लेख किया गया है, उनमें याचिकाकर्ताओं का आरोपी होना स्पष्ट नहीं है।
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस सुमित गोयत की बेंच ने अमृतसर और मोगा के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं पर दर्ज सभी एफआईआर का पूरा ब्योरा सौंपे। यह स्पष्ट किया जाए कि हिरासत के लिए जिन मामलों को आधार बनाया गया है, उनमें याचिकाकर्ता आरोपी हैं या नहीं।
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अमृतपाल के साथियों सरबजीत सिंह कलसी, गुरमीत गिल, पपलप्रीत सिंह और अन्य ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ एनएसए लगाने की कार्रवाई असांविधानिक, कानून के खिलाफ और राजनीतिक असहमति के कारण दुर्भावनापूर्ण तरीके से की गई है। उनके खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं बनता, जिसके आधार पर उन्हें निवारक हिरासत में रखा जाए। उन्हें न केवल एक साल से अधिक समय तक निवारक हिरासत में रखा गया, बल्कि पंजाब से दूर हिरासत में रखकर उनकी स्वतंत्रता को असामान्य और क्रूर तरीके से छीना गया।
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पंजाब सरकार ने कहा कि अमृतपाल के साथियों की हिरासत राज्य की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। सरकार का दावा है कि अमृतपाल के साथी जेल में रहते हुए भी अलगाववादियों से संपर्क में थे, इसलिए उनकी हिरासत बढ़ाना आवश्यक है। सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि हिरासत के आधार में जिन एफआईआर का उल्लेख किया गया है, उनमें याचिकाकर्ताओं का आरोपी होना स्पष्ट नहीं है।
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस सुमित गोयत की बेंच ने अमृतसर और मोगा के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे एक सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं पर दर्ज सभी एफआईआर का पूरा ब्योरा सौंपे। यह स्पष्ट किया जाए कि हिरासत के लिए जिन मामलों को आधार बनाया गया है, उनमें याचिकाकर्ता आरोपी हैं या नहीं।