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हाईकोर्ट का अहम फैसला: अपने साथी की गोली का शिकार सैनिक भी युद्ध में हताहत, परिवार उदार लाभों का हकदार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sat, 26 Jul 2025 03:48 PM IST
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सार

कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि किसी सैन्य अभियान में तैनात किसी सैनिक को, उसके साथी सैनिक द्वारा गोली मारे जाने पर, किसी भी तरह से उन लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता जो युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों को मिलते हैं।

High Court soldier shot by his companion is also casualty in war family is entitled to generous benefits
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सैन्य अभियान के दौरान अपने ही साथी की गोली का शिकार होने वाले जवान के आश्रितों को भी वही लाभ मिलने चाहिए जो किसी ऑपरेशन के दौरान शहीद होने वालों के आश्रितों को मिलते हैं। अपने ही साथी ही गोली का शिकार होने वालों को इस लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।
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भारत सरकार ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के 22 फरवरी, 2022 के आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश के तहत रुक्मणी देवी के उदारीकृत पारिवारिक पेंशन के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। उनके बेटे भारतीय सेना के जवान थे और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक में ड्यूटी पर थे। इस दौरान 21 अक्टूबर, 1991 को एक साथी सैनिक द्वारा चलाई गई गोली से उसकी मृत्यु हो गई थी। 
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दावा दायर करने में 25 साल की देरी सहित कई आधारों पर देवी को पेंशन देने से इनकार करने की केंद्र की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि किसी सैन्य अभियान में तैनात किसी सैनिक को, उसके साथी सैनिक द्वारा गोली मारे जाने पर, किसी भी तरह से उन लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता जो युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों को मिलते हैं।

उदारीकृत पारिवारिक पेंशन, सामान्य पारिवारिक पेंशन की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करती है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि 2018 में दावा दायर करने में 25 वर्षों से अधिक की अत्यधिक देरी हुई थी क्योंकि देवी के बेटे की मृत्यु 1991 में हो गई थी। कोर्ट ने कहा कि इसे युद्ध हताहत माना जाना चाहिए, क्योंकि मृत्यु उक्त ऑपरेशन के दौरान हुई थी और इसमें कोई विवाद नहीं है कि प्रतिवादी (रुक्मणी देवी) का बेटा वास्तव में अपनी मृत्यु के समय ऑपरेशन रक्षक में तैनात था। अदालत ने कहा कि निर्देशों में कहा गया है कि सरकार द्वारा अधिसूचित ऑपरेशन के दौरान होने वाली सभी विकलांगताएं, चोटें, दुर्घटनाएं और मौतें उक्त निर्देशों के पैरा 4.1 की श्रेणी ई के अंतर्गत आती हैं। हाईकोर्ट ने उपरोक्त के आलोक में केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।
 
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