एनएचएम विवाद का असर: पिछले तीन साल में नहीं मिला एक भी पैसा, स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी पड़ा असर
एनएचम की राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवाओं के तहत पिछले तीन साल में केंद्र की तरफ से सभी राज्यों को करोड़ों रुपये फंड जारी किया गया है। सिर्फ पंजाब ही एक ऐसा राज्य है, जिसे फंड नहीं मिला है। पंजाब के अलावा केंद्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप को भी इस अवधि के दौरान इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।

विस्तार
केंद्र सरकार के साथ पंजाब का नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचम) के फंड के उपयोग को लेकर चल रहा विवाद बेशक समाप्त हो गया है, लेकिन इस विवाद के कारण पिछले तीन साल में पंजाब को भी एक भी पैसा नहीं मिला है।

पंजाब पूरे देश भर में एक इकलौता राज्य है, जिसके हाथ खाली रहे हैं। इसका असर भी दिखना शुरू हो गया है। पिछले तीन साल में स्वास्थ्य विभाग एक भी बेसिक एंड एडवांस लाइफ स्पोर्ट एंबुलेंस नहीं खरीद सका है, जबकि पहले ही राज्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। फंड रुकने के कारण शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बाकी स्वास्थ्य सुविधाएं भी बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार एनएचम की राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवाओं के तहत पिछले तीन साल में केंद्र की तरफ से सभी राज्यों को करोड़ों रुपये फंड जारी किया गया है। सिर्फ पंजाब ही एक ऐसा राज्य है, जिसे फंड नहीं मिला है। पंजाब के अलावा केंद्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप को भी इस अवधि के दौरान इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। इस कारण पंजाब बेसिक लाइफ स्पोर्ट और एडवांस लाइफ स्पोर्ट एंबुलेंस नहीं खरीद पाया है। इसी तरह पेशेंट ट्रांसपोर्ट वाहनों, बाइक एंबुलेंस और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को अपग्रेड करने के लिए भी फंड का उपयोग होना था।
पंजाब को विवाद के कारण जहां फंड नहीं मिल पाया, वहीं पड़ोसी राज्य हरियाणा को इस योजना के लिए वर्ष 2021-22 में 61.58 करोड़, वर्ष 2022-23 में 78.18 करोड़ और वर्ष 2023-24 में 79.08 करोड़ रुपये का फंड मिला है। यही कारण है कि हरियाणा ने जून 2024 तक 581 एंबुलेंस व पेशेंट ट्रांसपोर्ट वाहनों की खरीद की है।
इसी तरह हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2021-22 में 33.42 करोड़, वर्ष 2022-23 में 35.62 करोड़ और वर्ष 2023-24 में 35.52 करोड़ रुपये का फंड मिला है, जिसके उपयोग से वह 404 एंबुलेंस और पेशेंट ट्रांसपोर्ट वाहनों को खरीद चुका है। अगर विवाद न होने के चलते पंजाब को भी यह फंड मिल जाता है तो राज्य सरकार को स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार में बड़ी मदद मिलती। एंबुलेंस की कमी भी पूरी हो जाती है।
राज्य में सामुदायिक व प्रथामिक स्वास्थ्य केंद्रों की भी कमी
एनएचएम फंड रुकने से अब तक पंजाब का काफी नुक्सान हुआ है। स्वास्थ्य मंत्रालय की हाल ही में जारी हेल्थ डायनेमिक्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 43% सामुदायिक और 33% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ 47.9% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही लेबर रूम के साथ चल रहे हैं। इसके अलावा स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भी भारी कमी है, क्योंकि अधिकतर डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार पर एनएचएम फंड का दुरुपयोग का आरोप लगाकर पैसा रोक लिया था और सहमति के बाद ही 123 और 130 करोड़ की दो ग्रांट जारी की थी।
एनएचएम का फंड रुकने के कारण प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का काफी काम प्रभावित हुआ है। इससे नई एंबुलेंस खरीदने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने में भी मदद मिलनी थी। पैसा न मिलने के पुरानी डिस्पेंसरियों की रिपेयर का काम भी नहीं हो पाया है। -डॉ. जगजीत बाजवा, प्रधान, एसोसिएशन ऑफ रुरल मेडिकल ऑफिसर्स ऑफ पंजाब।