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Punjab Assembly: मनरेगा संशोधन बिल पर बहस जारी, सीएम मान के संबोधन पर कांग्रेस का जबरदस्त हंगामा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Tue, 30 Dec 2025 04:21 PM IST
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सार
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि मनरेगा का संशोधन बिल मजदूरों के लिए बड़ा धोखा है। केंद्र सरकार इसे 14 घंटे पहले लेकर आई और आनन-फानन राष्ट्रपति से पास करवा लिया। इसकी सच्चाई क्या है, लोगों को यही बताने के लिए पंजाब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।
विधानसभा में मजदूरों के पत्र लेकर पहुंचे विधायक मानवेंद्र सिंह ग्यासपुरा
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मनरेगा के संशोधन बिल पर पंजाब में सियासत गरमा गई है। आप सरकार ने मंगलवार को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में वीबी जी राम जी एक्ट के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया और केंद्र सरकार पर मनरेगा को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
वहीं चर्चा के दाैरान सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। सीएम मान के संबोधन के दाैरान कांग्रेस के विधायकों ने जमकर शोर शराबा किया।
ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री तरनप्रीत सिंह सोंध ने विधानसभा के एक दिन के सत्र के दौरान सदन में चर्चा के लिए यह प्रस्ताव पेश किया।
आप के विधायक सत्र के लिए मजदूरों से भरवाए गए पत्र लेकर विधानसभा पहुंचे। सिर पर रखकर पत्रों के बंडल लाए गए हैं। विभिन्न क्षेत्रों से विधानसभा की कार्यवाही दिखाने मजदूरों को भी सदन में बुलाया गया है। प्रदेश में काफी संख्या में मजदूरों से इसके खिलाफ पत्र भरवाए गए हैं।
संविधान ने संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया है और उसे मानना केंद्र व राज्य, दोनों की जिम्मेदारी है। केवल विरोध के लिए विरोध करना न तो लोकतांत्रिक है और न ही संवैधानिक।
चाैहान ने कहा कि मैं हैरान हूं कि कुछ लोग किस कल्पना लोक में रहते हैं, देश की हकीकत से उनका कोई लेना-देना नहीं है। बिना मंत्री और कैबिनेट के काम चलने की बात कहना केवल भ्रम फैलाना है, मन में जो आया कह देना, जिम्मेदार राजनीति नहीं है।
पंजाब भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सूबे में इस योजना में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की मंशा मजदूरों के हित में है मगर पंजाब सरकार ने इस योजना के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। शर्मा ने आरोप लगाया कि आप सरकार मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए अनिवार्य सोशल ऑडिट तक नहीं करवा रही है। वर्ष 2024-25 में 6,095 ग्राम पंचायतों और 2025-26 में 7,389 ग्राम पंचायतों का सोशल ऑडिट नहीं कराया गया।
सरकार मनरेगा मजदूरों को गुमराह कर उनसे इस कानून के विरोध में जबरन और धोखे से हस्ताक्षर करवा रही है। सरकार मौजूदा मनरेगा कानून के तहत भी पिछले तीन वर्षों में मजदूरों को 100 दिन का रोजगार देने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने बताया कि स्पेशल ऑडिट यूनिट द्वारा पकड़े गए भ्रष्टाचार के मामलों में से 3,986 मामलों पर अब तक पंजाब सरकार ने कोई एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी नहीं की, जिससे साफ है कि भ्रष्टाचारियों को बचाया जा रहा है। इसके अलावा, लोकपाल द्वारा जांच के बाद दिए गए 2 करोड़ 35 लाख रुपये की रिकवरी के आदेशों को भी अब तक लागू नहीं किया गया।
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वहीं चर्चा के दाैरान सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। सीएम मान के संबोधन के दाैरान कांग्रेस के विधायकों ने जमकर शोर शराबा किया।
ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री तरनप्रीत सिंह सोंध ने विधानसभा के एक दिन के सत्र के दौरान सदन में चर्चा के लिए यह प्रस्ताव पेश किया।
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आप के विधायक सत्र के लिए मजदूरों से भरवाए गए पत्र लेकर विधानसभा पहुंचे। सिर पर रखकर पत्रों के बंडल लाए गए हैं। विभिन्न क्षेत्रों से विधानसभा की कार्यवाही दिखाने मजदूरों को भी सदन में बुलाया गया है। प्रदेश में काफी संख्या में मजदूरों से इसके खिलाफ पत्र भरवाए गए हैं।
मान सरकार पर भड़के शिवराज सिंह चौहान
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में मनरेगा संशोधन बिल के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मान सरकार पर निशाना साधा है। चाैहान ने कहा कि संसद द्वारा पारित किसी कानून के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव लाना संघीय ढांचे की मूल भावना के खिलाफ है।संविधान ने संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया है और उसे मानना केंद्र व राज्य, दोनों की जिम्मेदारी है। केवल विरोध के लिए विरोध करना न तो लोकतांत्रिक है और न ही संवैधानिक।
चाैहान ने कहा कि मैं हैरान हूं कि कुछ लोग किस कल्पना लोक में रहते हैं, देश की हकीकत से उनका कोई लेना-देना नहीं है। बिना मंत्री और कैबिनेट के काम चलने की बात कहना केवल भ्रम फैलाना है, मन में जो आया कह देना, जिम्मेदार राजनीति नहीं है।
पंजाब भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सूबे में इस योजना में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की मंशा मजदूरों के हित में है मगर पंजाब सरकार ने इस योजना के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। शर्मा ने आरोप लगाया कि आप सरकार मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए अनिवार्य सोशल ऑडिट तक नहीं करवा रही है। वर्ष 2024-25 में 6,095 ग्राम पंचायतों और 2025-26 में 7,389 ग्राम पंचायतों का सोशल ऑडिट नहीं कराया गया।
सरकार मनरेगा मजदूरों को गुमराह कर उनसे इस कानून के विरोध में जबरन और धोखे से हस्ताक्षर करवा रही है। सरकार मौजूदा मनरेगा कानून के तहत भी पिछले तीन वर्षों में मजदूरों को 100 दिन का रोजगार देने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने बताया कि स्पेशल ऑडिट यूनिट द्वारा पकड़े गए भ्रष्टाचार के मामलों में से 3,986 मामलों पर अब तक पंजाब सरकार ने कोई एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी नहीं की, जिससे साफ है कि भ्रष्टाचारियों को बचाया जा रहा है। इसके अलावा, लोकपाल द्वारा जांच के बाद दिए गए 2 करोड़ 35 लाख रुपये की रिकवरी के आदेशों को भी अब तक लागू नहीं किया गया।
मनरेगा खत्म करना केंद्र सरकार का गरीबों और दलितों के खिलाफ फैसला
स्पेशल सेशन के दौरान पंचायत मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मनरेगा जैसी जनहितैषी योजना को खत्म कर केंद्र सरकार ने देश के गरीबों और मजदूर वर्ग की रोज़ी-रोटी छीन ली है। उन्होंने कहा कि मनरेगा कोई साधारण योजना नहीं, बल्कि करोड़ों गरीब परिवारों के लिए जीवन रेखा है।पंचायत मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने कहा कि भाजपा की नीतियां 100 प्रतिशत दलित विरोधी हैं और भाजपा दलित समाज का भरोसा पूरी तरह खो चुकी है। उन्होंने कहा कि जो पार्टी दलितों के अधिकारों को खत्म करती है, उसे दलित समाज से वोट मांगने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
उन्होंने शिरोमणि अकाली दल पर भी तीखा प्रहार करते हुए कहा कि मनरेगा जैसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर अकाली दल की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। मंत्री सौंद ने आरोप लगाया कि अकाली दल 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा के साथ कोई गुप्त समझौता करना चाहता है, इसी वजह से वह केंद्र सरकार के गरीब विरोधी फैसलों पर खुलकर बोलने से बच रहा है।
तरुणप्रीत सिंह सौंद ने साफ शब्दों में कहा कि मनरेगा को खत्म करने का फैसला लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि इस गलत, अन्यायपूर्ण और गरीब विरोधी फैसले को तुरंत वापस लिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे देश में इसका जोरदार विरोध किया जाएगा।