पंजाब की महंगाई दर में गिरावट: सितंबर में 3.06 प्रतिशत तक पहुंची दर, त्योहारी सीजन में राहत भरी खबर
सितंबर में महंगाई दर 3.06 प्रतिशत तक दर्ज की गई है, जबकि अगस्त में सूबे की महंगाई दर 3.51 प्रतिशत थी। इस तरह इसमें 0.45 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। महंगाई दर में राष्ट्रीय स्तर पर भी भारी गिरावट दर्ज की गई है।

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पंजाब में त्योहारी सीजन के बीच लोगों के लिए राहत भरी खबर आई है। सितंबर में प्रदेश की महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है।

केंद्र सरकार ने पिछले महीने जीएसटी दरों में कटौती करने का भी फैसला लिया था। इससे आने वाले दिनों में महंगाई दर में और गिरावट देखने को मिल सकती है क्योंकि जरूरी सामान की कीमतें में कमी आई है। इससे लोगों की जेब पर पड़ रहा बोझ भी कम हुआ है। केंद्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार सितंबर में महंगाई दर 3.06 प्रतिशत तक दर्ज की गई है, जबकि अगस्त में सूबे की महंगाई दर 3.51 प्रतिशत थी। इस तरह इसमें 0.45 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। महंगाई दर में राष्ट्रीय स्तर पर भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। अगस्त में यह दर 2.07 प्रतिशत थी, जो सितंबर माह में कम होकर 1.54 प्रतिशत तक चली गई है। 9.05 महंगाई दर के साथ केरल टॉप पर है। दूसरे नंबर पर जम्मू एंड कश्मीर की महंगाई दर 4.38%, कर्नाटक की 3.33% और तमिलनाडु की 2.77% है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में भी अधिक बढ़ोतरी नहीं
इसी तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में भी अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई है। पंजाब में सितंबर के दौरान सीपीआई मामूली बढ़ोतरी के साथ 192 हो गया है, जो अगस्त में 191.6 था। हालांकि यह अनुमानित है। जिस तरह से महंगाई दर में कमी दर्ज की गई है, आगे सीपीआई में भी कमी हो सकती है। सबसे अधिक सीपीआई 216 केरल में दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर भी सीपीआई में मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली है। अगस्त में यह 197 था, जो सितंबर में बढ़कर 197.2 हो गया है। सीपीआई एक तरह का पैमाना है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि समय के साथ आम लोगों की तरफ से खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कितनी बढ़ोतरी हुई है। इसमें खाने-पीने का सामान, किराया, कपड़े, शिक्षा, इलाज, परिवहन, बिजली व पानी समेत अन्य सेवाएं शामिल होती हैं।
कर्ज के बोझ के बावजूद सुधार अच्छे संकेत
सूबे पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। बावजूद इसके यह सुधार अच्छे संकेत हैं। प्रदेश पर वर्ष 2024-25 के दौरान अनुमानित कर्ज 3.82 लाख करोड़ रुपये था। 2025-26 के बजट के अनुसार आगामी वित्तीय वर्ष के अंत तक प्रदेश पर 4.17 लाख करोड़ का कर्ज हो जाएगा। सूबा सरकार के लिए इस कर्ज को कम करना सबसे बड़ी चुनौती भी है लेकिन पहले जीएसटी संग्रह में सुधार और अब महंगाई दर कम होने से आर्थिक गतिविधियां पटरी पर आ रही हैं।
त्योहारी सीजन में महंगाई दर कम होने प्रदेश के लिए अच्छे संकेत हैं। पिछले महीने जीएसटी की दरों में भी कटौती की गई है जिसके नतीजे आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे। इससे महंगाई दर में और गिरावट भी हो सकती है। महंगाई दर को 2 और 6 फीसदी के बीच होना चाहिए। - नितिन अरोड़ा, प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय