{"_id":"690452995af6ca4c0d097184","slug":"high-court-orders-ludhiana-municipal-corporation-to-regularise-sacked-driver-2025-10-31","type":"story","status":"publish","title_hn":"High Court: 11 साल की सेवा के बाद कहा अयोग्य हो... नौकरी से निकाले ड्राइवरों को नियमित करेगा लुधियाना निगम","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
    High Court: 11 साल की सेवा के बाद कहा अयोग्य हो... नौकरी से निकाले ड्राइवरों को नियमित करेगा लुधियाना निगम
 
            	    न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़             
                              Published by: अंकेश ठाकुर       
                        
       Updated Fri, 31 Oct 2025 11:40 AM IST
        
       
            सार 
            
            
        
                                    
                पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने लुधियाना नगर निगम को आदेश दिया है कि नौकरी से निकाले ड्राइवरों को दोबारा नौकरी पर रखा जाए और उन्हें रेगुलर भी करें।
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                        high court
                                    - फोटो : अमर उजाला 
                    
    
        
    
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विस्तार
                                                 
                नगर निगम लुधियाना के हेल्थ विंग के कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान डेली वेजर के तौर पर भर्ती किए गए ड्राइवरों को बर्खास्त करने के 2003 के आदेश को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए उन्हें नियमित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि 11 साल की लगातार सेवा के बाद उन्हें अचानक अयोग्य करार देकर बर्खास्त करना उत्पीड़न है जो अस्वीकार्य है।
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
 
                        
                                                                                      
                   
    
                                                                        
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                                                
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
महिंदर सिंह व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए उनको बर्खास्त करने के आदेश को चुनौती दी थी। याची पक्ष ने बताया कि नियुक्ति के समय योग्यता के तौर पर केवल वैध ड्राइविंग लाइसेंस की शर्त रखी गई थी। इसके बाद से वे लगातार ड्राइवर के तौर पर सेवा देते रहे। पंजाब सरकार ने 2001 की नीति के तहत कच्चे कर्मियों को नियमित करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के तहत याचिकार्ताओं को भी नियमित करना था। जांच अधिकारी के समक्ष पेश होकर उन्होंने अपना मेडिकल भी करवाया। इसके बाद अचानक याचिकाकर्ताओं के दावे को खारिज कर दिया गया और उन्हें बर्खास्त करने का नोटिस जारी कर दिया। याचिकाकर्ताओं को बताया गया कि वे इस पद पर नियुक्ति के लिए आठवीं पास होने की शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते हैं।    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
याची ने कहा कि सरकार की नियमितीकरण नीति में इससे जुड़ा कोई उल्लेख नहीं था। साथ जब उन्हें भर्ती किया गया था तो इसके लिए योग्यता केवल वैध ड्राइविंग लाइसेंस थी। कोर्ट ने कहा कि राज्य एक संवैधानिक नियोक्ता होने के नाते स्वीकृत पदों की कमी या नियमित पदों के लिए शैक्षिक योग्यताएं पूरी करने में कर्मचारियों की अक्षमता की आड़ में अपने अस्थायी कर्मचारियों का शोषण करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वह भी तब जब वे काफी समय से लगातार उसके अधीन काम कर रहे हों। ऐसे में कोर्ट ने याचिकार्ताओं को नियमित करने का आदेश दिया है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
         
महिंदर सिंह व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए उनको बर्खास्त करने के आदेश को चुनौती दी थी। याची पक्ष ने बताया कि नियुक्ति के समय योग्यता के तौर पर केवल वैध ड्राइविंग लाइसेंस की शर्त रखी गई थी। इसके बाद से वे लगातार ड्राइवर के तौर पर सेवा देते रहे। पंजाब सरकार ने 2001 की नीति के तहत कच्चे कर्मियों को नियमित करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के तहत याचिकार्ताओं को भी नियमित करना था। जांच अधिकारी के समक्ष पेश होकर उन्होंने अपना मेडिकल भी करवाया। इसके बाद अचानक याचिकाकर्ताओं के दावे को खारिज कर दिया गया और उन्हें बर्खास्त करने का नोटिस जारी कर दिया। याचिकाकर्ताओं को बताया गया कि वे इस पद पर नियुक्ति के लिए आठवीं पास होने की शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते हैं।
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            याची ने कहा कि सरकार की नियमितीकरण नीति में इससे जुड़ा कोई उल्लेख नहीं था। साथ जब उन्हें भर्ती किया गया था तो इसके लिए योग्यता केवल वैध ड्राइविंग लाइसेंस थी। कोर्ट ने कहा कि राज्य एक संवैधानिक नियोक्ता होने के नाते स्वीकृत पदों की कमी या नियमित पदों के लिए शैक्षिक योग्यताएं पूरी करने में कर्मचारियों की अक्षमता की आड़ में अपने अस्थायी कर्मचारियों का शोषण करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वह भी तब जब वे काफी समय से लगातार उसके अधीन काम कर रहे हों। ऐसे में कोर्ट ने याचिकार्ताओं को नियमित करने का आदेश दिया है।