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Ajmer News: 'रामसेतु ब्रिज' मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई, कलेक्टर समेत तीन अधिकारियों को मिला नोटिस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अजमेर Published by: अजमेर ब्यूरो Updated Thu, 04 Sep 2025 05:57 PM IST
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सार

Ajmer News In Hindi : अजमेर के 'रामसेतु ब्रिज' को लेकर दायर अवमानना याचिका पर कार्रवाई देखने को मिली है। सिविल न्यायालय पश्चिम अजमेर में सुनवाई के दौरान फटकार लगाई है। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी हुआ है।अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी।

Hearing on contempt petition in Ram Sethu Bridge case, notice to three officials including District Collector
रामसेतु ब्रिज मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई
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विस्तार
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अजमेर के 'रामसेतु ब्रिज' को लेकर दायर अवमानना याचिका पर बुधवार को सिविल न्यायालय पश्चिम अजमेर में सुनवाई हुई। न्यायालय ने सुनवाई करते हुए जिला कलेक्टर लोक बंधु, नगर निगम आयुक्त देशलदान तथा परियोजना निदेशक चारु मित्तल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने इन अधिकारियों को अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अब तक की गई कार्रवाई का शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी।

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पूर्व विधायक ने दायर की थी याचिका
एडवोकेट विवेक पाराशर ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल ने रामसेतु ब्रिज को लेकर अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि अदालत के 11 जुलाई को दिए गए आदेशों की पालना अब तक नहीं की गई। न्यायालय ने अपने आदेश में ब्रिज के प्रमुख स्थानों पर आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर के साथ सार्वजनिक सूचना बोर्ड लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन संबंधित विभागों की ओर से इस आदेश को अब तक लागू नहीं किया गया।

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आरएसआरडीसी पर गुमराह करने का आरोप
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि राजस्थान स्टेट रोड डेवलपमेंट एंड कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (आरएसआरडीसी) यूनिट अजमेर ने न्यायालय को गुमराह करने के उद्देश्य से गलत आधारों पर शपथपत्र प्रस्तुत किया। इसमें दावा किया गया कि एलिवेटेड रोड को पूरी प्रक्रिया और सुरक्षा मानकों की पालना करते हुए प्रारंभ कर दिया गया है, जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि सोनी जी की नसियां वाली भुजा अब तक शुरू नहीं की गई है।

न्यायालय को गलत तथ्यों से अवगत कराया
एडवोकेट पाराशर ने बताया कि ब्रिज से जुड़ी तकनीकी जांच वर्तमान में एमएनआईटी द्वारा केवल प्रारंभिक स्तर पर की जा रही है। इसके बावजूद आरएसआरडीसी की ओर से अदालत में ऐसा शपथपत्र दाखिल कर दिया गया, मानो सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो। इस तरह न्यायालय को गलत तथ्यों से अवगत कराया गया।

तीनों अधिकारियों को नोटिस जारी 
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तीनों अधिकारियों को नोटिस जारी किया और व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश दिए। अब 24 सितंबर को अगली सुनवाई में सक्षम अधिकारियों को शपथपत्र के साथ यह स्पष्ट करना होगा कि अदालत के 11 जुलाई के आदेश की पालना में अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई है।

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खड़े हुए सवाल

इस मामले में स्थानीय स्तर पर भी कड़ी निगाह बनी हुई है, क्योंकि रामसेतु ब्रिज अजमेर शहर की यातायात व्यवस्था से सीधे जुड़ा है। ब्रिज के सुचारू संचालन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अदालत की ओर से जारी नोटिस के बाद अब जिम्मेदार अधिकारियों को जवाब देना होगा कि आदेशों की पालना क्यों नहीं की गई और इसमें देरी का कारण क्या है।

रामसेतु ब्रिज मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई

रामसेतु ब्रिज मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई

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