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Ajmer: मोहर्रम का चांद नजर आते ही अंदर कोटियान इलाके में मजलिस का आगाज, शोहदाए कर्बला का सुनाया गया बयान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अजमेर Published by: अजमेर ब्यूरो Updated Sat, 28 Jun 2025 06:56 PM IST
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सार

Ajmer: मोहर्रम कन्वीनर एडवोकेट अब्दुल शाहिद ने बताया कि आशूरा यानी 10 मोहर्रम तक यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा, जिसमें हर रोज मर्सिया ख्वानी, मजलिसें और तकरीरें होंगी। उन्होंने कहा कि इस साल की खास बात यह है कि देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वान और मौलाना इन कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं और अपनी तकरीरों से युवाओं को सही राह दिखा रहे हैं।

On the beginning of Muharram, the Kotian Panchayat organized a meeting in memory of the martyrs of Karbala
शोहदाए कर्बला की याद में मजलिस का आयोजन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मोहर्रम का चांद नजर आते ही अंदर कोटियान पंचायत क्षेत्र में शोहदाए कर्बला की याद में धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है। इसी क्रम में पंचायत की ओर से हताई चौक पर मर्सिया ख्वानी और मजलिसों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देशभर से आए उलेमा-ए-कराम अपने तस्फीरी और रूहानी बयानों के जरिए लोगों को कर्बला की जंग और उसके असल मकसद से रूबरू करा रहे हैं।

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इस मौके पर खास तौर पर उत्तराखंड से तशरीफ लाए मौलाना इरफान उल हक कादरी साहब ने हताई चौक पर मजलिस को खिताब किया। उन्होंने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करते हुए कहा कि कर्बला की जंग सिर्फ सत्ता के खिलाफ संघर्ष नहीं था, बल्कि यह इंसानियत, इंसाफ और इस्लामी उसूलों की हिफाजत के लिए थी। उन्होंने अपने बयान में बताया कि किस तरह हजरत इमाम हुसैन ने जुल्म और तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद की और अपनी जान, अपने बच्चों और चाहने वालों की कुर्बानी देकर हक और सच्चाई की मिसाल कायम की।
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मौलाना इरफान ने इस्लाम के बुनियादी उसूल मोहब्बत, भाईचारा और इंसानियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि इस्लाम नफरत नहीं, बल्कि अमन और इंसाफ का मजहब है। उन्होंने कहा कि हजरत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हजरत मोहम्मद साहब और फिर हजरत इमाम हुसैन तक तमाम अंबिया कराम ने दुनिया को इंसानियत का पैगाम दिया है। अब यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस पैगाम को आगे बढ़ाएं और समाज में भाईचारा और मोहब्बत फैलाएं।

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मोहर्रम कन्वीनर एडवोकेट अब्दुल शाहिद ने बताया कि आशूरा यानी 10 मोहर्रम तक यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा, जिसमें हर रोज मर्सिया ख्वानी, मजलिसें और तकरीरें होंगी। उन्होंने कहा कि इस साल की खास बात यह है कि देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वान और मौलाना इन कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं और अपनी तकरीरों से युवाओं को सही राह दिखा रहे हैं।

कार्यक्रम के बाद पंचायत के युवाओं द्वारा लंगर का आयोजन भी किया गया, जिसमें सैकड़ों जायरीन और स्थानीय लोगों ने शिरकत की। इस मौके पर बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि, क्षेत्रवासी और दूर-दराज से आए जायरीन मौजूद रहे। पंचायत की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि कर्बला का पैगाम  सच्चाई, सब्र और इंसानियत देश और दुनिया तक पहुंचे।

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