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Dausa News: IRS की मां की इच्छा थी इसलिए उसकी अस्थियों का खेतों में किया विसर्जन

Dausa Bureau दौसा ब्यूरो
Updated Wed, 04 Dec 2024 02:02 PM IST
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As per the wish of IRS's mother, his ashes were immersed in the fields.
मृतका की खुद के खेत में अस्थि विसर्जन करते हुए परिवारजन
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सार
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मां की इच्छा थी कि उनके दुनिया छोड़ने के बाद उनकी अस्थियों का कहीं दूर धार्मिक स्थान पर नहीं बल्कि खेतों में विसर्जन किया जाए। इसलिए परिवार जनों ने परंपरा के नहीं बल्कि माँ की इच्छा पूरी करने को धार्मिक स्थान पर अस्थि विसर्जन को आडंबर बताया है। मृतका के परिवार के लोगो ने कहा कि जो दिखावे के चक्कर में कर्मकांड,आडंबर के नाम पर व्यर्थ खर्च करते हैं अगर खर्च करना ही है तो बेटियों को शिक्षित करने में करना चाहिए क्योंकि शिक्षित लोग ही समाज को सुधारने के लिए विभिन्न प्रयास करते हैं।

विस्तार

दौसा जिले के सिकराय की दुनिया छोड चुकी किशनी देवी के परिवार वालों की माने तो किशनी देवी एक दृढ़ इच्छाशक्ति और बहुत मेहनती महिला थी । जिसने खेतीबाड़ी कर खुद के बच्चों पालन पोषण कर पढ़ाया लिखाया और आज किशनी देवी परिवार में कई बच्चे शिक्षक है तथा उनका छोटा बेटा विमल कुमार भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी है तथा उनका पौत्र परीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अधिकारी है।
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सीकराय तहसील के ठीकरिया गांव में बाग वाला किसान परिवार में बेटों ने अपनी मां की अस्थियों का विसर्जन अपने खेतों में किया। क्योंकि किशनी देवी खेती करते हुए बिता है। किशनी देवी की इच्छा थी कि उसके मरने के बाद मरने उसकी अस्थियों को खेतों में बहा दिया जाए। इसलिए किशनी देवी की इच्छा पूरी के लिए उसके परिवार ने यह किया है ।

इधर किशनी देवी परिवार के सदस्य धर्म सिंह ने बताया कि ठीकरिया गांव में बाग वाले किसान परिवार में बाबा किशोरी पटेल की धर्मपत्नी किशनी देवी का लगभग 85 वर्ष के अवस्था में 30 नवंबर 2024 को देहावसान हो गया था। किसान परिवार की महिला को खेती बाड़ी से बहुत लगाव था उसने खेती के साथ-साथ अनेक फलदार तथा छायादार पेड़ पौधे लगाए वह अपनी अस्थियों को उस मिट्टी का भाग बनाना चाहती थी जिसका अन्न- जल खा- पीकर उसने अपने परिवार का भरण पोषण कियाथा।

उधर किशनी देवी बेटे जगनमोहन व विमल कुमार ने बताया कि माने तो किशनी देवी की इच्छा अनुसार उनकी अस्थियों एवं राख का विसर्जन 2 दिसंबर को परिवार सहित मिलकर सभी सगे संबंधियों के साथ खेतों में पानी चला कर कर दिया गया ।


किशनी देवी के बेटे विमल कुमार ने कि माने तो मृत्यु भोज एक अनावश्यक खर्च है और मृत्यु भोज एवं अन्य अनावश्यक कर्मकांडों की बजाय वो बालिका शिक्षा और गाँव में पुस्तकालय के विकास पर पैसा खर्च करना उचित समझते है जिसके चलते उन्होंने सामाजिक परंपराओं और रीति-रिवाज से दूरी बनाकर यह पहल की है।

मृतका की खुद के खेत में अस्थि विसर्जन करते हुए परिवारजन

मृतका की खुद के खेत में अस्थि विसर्जन करते हुए परिवारजन

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