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न्यूजीलैंड से FTA से भारत को क्या फायदा: दोनों देशों के बीच अभी कितना व्यापार, समझौते से क्या हासिल होगा?

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Mon, 22 Dec 2025 03:32 PM IST
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सार

भारत और न्यूजीलैंड के बीच फिलहाल कितना व्यापार होता है? मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देश क्या हासिल करना चाहते हैं? न्यूजीलैंड इससे किस तरह का फायदा चाहता है? इसके अलावा भारत को एफटीए से क्या फायदा हो सकता है और हमारी मांगें क्या हैं? इसके अलावा बीते वर्षों में भारत ने किन-किन देशों से एफटीए किया है? आइये जानते हैं...

India New Zealand Free Trade Agreement FTA Business Deals Sectors affected and benefits explained news
भारत-न्यूजीलैंड। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर मुहर लग गई है। दोनों देशों ने 10 वर्षों से अटकी समझौते पर बातचीत को इस साल मार्च में फिर शुरू किया था। अब नौ महीने बाद दोनों देशों के व्यापार को लेकर खुशखबरी आई है। 
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ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर भारत और न्यूजीलैंड के बीच फिलहाल कितना व्यापार होता है? मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देश क्या हासिल करना चाहते हैं? न्यूजीलैंड इससे किस तरह का फायदा चाहता है? इसके अलावा भारत को एफटीए से क्या फायदा हो सकता है और हमारी मांगें क्या हैं? इसके अलावा बीते वर्षों में भारत ने किन-किन देशों से एफटीए किया है? आइये जानते हैं...
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पहले जानें- भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार के मौजूदा आंकड़े क्या?

भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार काफी स्थिर गति से बढ़ा है। बीते पांच साल के डाटा पर नजर डाली जाए तो सामने आता है कि वित्त वर्ष 2020 में दोनों देशों के बीच 1.67 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। हालांकि, कोरोना महामारी के प्रभाव के चलते अगले दो वित्त वर्ष 2021, 2022 में दोनों देशों का व्यापार कम हुआ। 

भारत-न्यूजीलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार ने 2023 में फिर रफ्तार पकड़ी। 2024 में यह आंकड़ा पहली बार दो अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। जून 2025 में समाप्त हुए वर्ष में भारत-न्यूजीलैंड के बीच वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार लगभग डेढ़ गुना से ज्यादा होते हुए 3.68 अरब डॉलर पहुंच गया था। इसके बावजूद भारत अब तक न्यूजीलैंड के लिए 12वां सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। न्यूजीलैंड अपने कुल निर्यात का 1.5 फीसदी ही भारत को भेजता है। 

2024 में, वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार लगभग 2.4 अरब डॉलर रहा। 2024 में, सेवाओं का व्यापार अकेले 1.24 अरब तक पहुंच गया, जिसका नेतृत्व पर्यटन, आईटी और व्यावसायिक सेवाओं ने किया। इसके अलावा 2024-25 में वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 1.3 अरब डॉलर तक आ गया।

दोनों देशों के बीच क्या है टैरिफ की स्थिति?

भारत के उत्पादों पर न्यूजीलैंड का औसत आयात शुल्क केवल 2.3 प्रतिशत है, जबकि न्यूजीलैंड से आने वाले उत्पादों पर भारत का औसत टैरिफ 17.8 प्रतिशत है।

एफटीए पर दोनों देशों के बीच कब चर्चा शुरू हुई?

भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत औपचारिक रूप से 16 मार्च 2025 को शुरू हुई थी। यह औपचारिक शुरुआत भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार और निवेश मंत्री टॉड मैक्ले के बीच एक बैठक के दौरान हुई थी। 

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भारत को न्यूजीलैंड से किस तरह के फायदे हासिल होंगे?

इस व्यापार समझौते (एफटीए) से भारत को जबरदस्त फायदे होंगे। खासकर कुशल कामगारों के क्षेत्र में, सेवा निर्यात और निवेश के सेक्टर में भारत को न्यूजीलैंड से काफी मदद मिलने की संभावना है। यह समझौता न्यूजीलैंड के बाजार में भारतीय वस्तुओं के लिए न्यूनतम या शून्य तक करना सुनिश्चित करता है, जिससे भारतीय निर्यातकों की पहुंच बढ़ेगी।

1. वस्तुओं के निर्यात में बेहतर बाजार तक पहुंच

100% निर्यात पर टैरिफ खत्म 
न्यूजीलैंड ने भारत के लिए अपनी 100% टैरिफ लाइनों पर टैरिफ को पूरी तरह खत्म कर दिया है। इससे भारत के सभी निर्यातों के लिए शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान की गई है।

श्रम-प्रधान क्षेत्रों को लाभ
यह बाजार पहुंच भारत के श्रम-प्रधान (लेबर इंटेंसिव( क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाती है। सीधे तौर पर समझें तो भारत के जो व्यापारी अमेरिका में अपना बाजार खो चुके थे, वह न्यूजीलैंड की तरफ से टैरिफ कम किए जाने के बाद यहां अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ा सकते हैं। कपड़ा, परिधान, चमड़ा, जूते-चप्पल, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण, हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग सामान और ऑटोमोबाइल सेक्टर को इससे जबरदस्त फायदा होने की संभावना है।

2. सेवाओं और कुशल पेशेवरों को मौका

भारत ने न्यूजीलैंड से सेवाओं और प्रतिभा की आवाजाही के लिए सबसे बेहतरीन समझौता हासिल किया है। भारत लंबे समय से न्यूजीलैंड से इसकी मांग कर रहा था।

3. सेवाओं का व्यापक कवरेज 

भारत को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), आईटी-सक्षम सेवाओं, पेशेवर सेवाओं, शिक्षा, वित्तीय सेवाओं, पर्यटन, निर्माण और अन्य व्यावसायिक सेवाओं सहित उच्च कीमत वाले क्षेत्रों की एक विस्तृत शृंखला में प्रतिबद्धताएं प्राप्त हुई हैं।

4. अस्थायी रोजगार वीजा का प्रावधान

एफटीए भारतीय पेशेवरों के लिए एक नई अस्थायी रोजगार प्रवेश वीजा (Temporary Employment Entry Visa) का रास्ता भी बनाता है। इस वीजा के जरिए एक समय में 5,000 पेशेवरों का कोटा तय किया गया है। इसके जरिए भारतीयों के न्यूजीलैंड में रुकने की अवधि तीन साल तक हो सकती है। इससे न्यूजीलैंड में उच्च मांग वाले क्षेत्रों जैसे आईटी, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और निर्माण, साथ ही आयुष चिकित्सकों, योग प्रशिक्षकों, भारतीय शेफ और संगीत शिक्षकों की जरूरत पूरी होगी।

5. स्टूडेंट्स के लिए पढ़ाई और नौकरी का मौका

भारत ने न्यूजीलैंड से एफटीए के जरिए छात्रों के लिए भी जरूरी पहुंच हासिल की है। अब न्यूजीलैंड में पढ़ाई के लिए जाने के लिए छात्रों की कोई सीमा नहीं होगी। साथ ही पढ़ाई के दौरान ही उन्हें काम के मौके मुहैया कराने के लिए अलग कार्यक्रम शुरू होंगे। 

इसके अलावा  डॉक्टरेट हासिल करने वालों के लिए चार साल तक और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए तीन साल तक न्यूजीलैंड में रहकर ही काम करने के मौके देने से जुड़ा समझौता हुआ है।

6. भारत के किसानों को भी होगा फायदा

एफटीए के जरिए भारत के किसानों को न्यूजीलैंड से कृषि संबंधित जानकारी और उत्पादन बढ़ाने के माध्यम मिलेंगे। यह तकनीक के हस्तांतरण के जरिए मुमकिन होगा। 

7. निवेश और विनिर्माण को बढ़ावा

न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। यह निवेश 'मेक इन इंडिया' के तहत विनिर्माण, बुनियादी ढांचे, सेवाओं, नवाचार और रोजगार का समर्थन करेगा। इसके अलावा न्यूजीलैंड ने भारत की फार्मा इंडस्ट्री की पहुंच को बढ़ाने के लिए नियामकों का दायरा बढ़ाएंगे। इससे गैरजरूरी निरीक्षणों में कमी आएगी और भारत के चिकित्सा उत्पाद-उपकरण न्यूजीलैंड पहुंचेंगे। 

इन क्षेत्रों में न्यूजीलैंड को नहीं मिलेगी पहुंच

भारत के किसानों और घरेलू उद्योग को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, डेयरी, कॉफी, दूध, पनीर, प्याज, चीनी, मसाले, खाद्य तेल और रबर जैसे प्रमुख कृषि उत्पादों को बाजार पहुंच से बाहर रखा है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि डेयरी क्षेत्र पूरी तरह से एक 'रेड लाइन' (लक्ष्मण रेखा) है। संवेदनशील और राजनीतिक मुद्दा व्यापार वार्ता के दौरान डेयरी हमेशा से सबसे संवेदनशील और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक रहा है। जहां न्यूजीलैंड दुनिया के सबसे बड़े डेयरी निर्यातकों में से एक है, वहीं भारत में यह क्षेत्र करोड़ों छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका से जुड़ा है। भारत के लिए इन किसानों के हितों की रक्षा करना और बाजार को संरक्षण देना एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

मौजूदा व्यापार के आंकड़े व्यावहारिक रूप से देखें तो दोनों देशों के बीच मौजूदा डेयरी व्यापार बहुत कम है। वित्त वर्ष 2025 (FY2025) के आंकड़ों के अनुसार, न्यूजीलैंड से भारत को होने वाला डेयरी निर्यात महज 10 लाख 70 हजार डॉलर (लगभग 9 से 10 करोड़ रुपये) का रहा। 

न्यूजीलैंड को कैसे मिलेगा भारत से एफटीए का फायदा?

यह व्यापार समझौता (एफटीए) न्यूजीलैंड को कई महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक लाभ देगा, जिससे उसे भारत के बड़े और तेजी से बढ़ते बाजार तक पहुंच मिलेगी।

1. भारतीय बाजार तक व्यापक पहुंच

समझौते के जरिए न्यूजीलैंड के निर्यातकों को 1.4 अरब भारतीय उपभोक्ताओं तक पहुंचने का मौका देगा। खासकर भारत की तरफ से टैरिफ कम किए जाने के बाद न्यूजीलैंड के 95 फीसदी मौजूदा निर्यातों पर टैरिफ खत्म हो जाएंगे या उनमें भारी कटौती की जाएगी। नियमों के तहत समझौते पर मुहर लगते ही लगभग 57 फीसदी निर्यात पहले ही दिन से शुल्क-मुक्त हो जाएंगे। वहीं, जब समझौता पूरी तरह लागू होगा, तब न्यूजीलैंड के 82 फीसदी निर्यात पर भारत टैरिफ नहीं लगाएगा। 

2. टैरिफ की बचत 

इसका असर यह होगा कि भारत को न्यूजीलैंड से मिलने वाले आयातों पर यहां के व्यापारिकों को अतिरिक्त शुल्क नहीं खर्च करना होगा और यह अनुमानित टैरिफ बचत पहले ही दिन करीब 4.30 करोड़ डॉलर होगी। इसके बढ़कर 6.20 करोड़ डॉलर होने की संभावना है।

3. प्रतिस्पर्धी स्थिति

इस एफटीए के बाद न्यूजीलैंड के निर्यातकों को ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और चिले जैसे अन्य प्रमुख प्रतिस्पर्धियों के बराबर या बेहतर स्थिति मिलेगी, जिनके पास पहले से ही भारत के साथ एफटीए हैं।

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4. प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में लाभ

फल
समझौते में उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिनमें न्यूजीलैंड निर्यात बढ़ाना चाहता है, जैसे फल, ऊन और शराब का निर्यात। न्यूजीलैंड के प्रमुख कृषि उत्पाद, जैसे- कीवीफ्रूट पर टैरिफ आधा हो जाएगा, उधर सेब पर भी टैरिफ में 50 फीसदी कटौती की जाएगी। इसके अलावा चेरी, एवोकाडो, पर्सिमन्स और ब्लूबेरी के लिए 10 वर्षों में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होगी।

डेयरी और खाद्य सामग्री
पुनः निर्यात के लिए डेयरी और अन्य खाद्य सामग्री को पहले दिन से शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। उच्च मूल्य वाले डेयरी उत्पादों और थोक शिशु फार्मूला के लिए सात वर्षों में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी।

ऊन और वानिकी 
भेड़ का मांस, ऊन, कोयला और 95 प्रतिशत से अधिक वानिकी और लकड़ी के निर्यातों पर तत्काल टैरिफ समाप्त कर दिया जाएगा।

शराब और शहद
वाइन पर टैरिफ को 150 प्रतिशत से घटाकर 10 वर्षों में 25 या 50 प्रतिशत कर दिया जाएगा। मानुका शहद पर टैरिफ 66 प्रतिशत से घटकर पांच वर्षों में 16.5 फीसदी हो जाएगा।

5. सेवाओं और कुशल कार्यबल से फायदा

सेवाओं का व्यापार 
न्यूजीलैंड को सेवाओं के निर्यात (खासकर फिनटेक, निजी शिक्षा, पेशेवर और पर्यावरणीय सेवाओं) के लिए व्यापक कवरेज और सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र (MFN) का दर्जा हासिल होगा। इससे भविष्य में व्यापार सुरक्षित होगा।

कुशल पेशेवरों के लिए वीजा 
न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए कौशल की कमी वाले क्षेत्रों (जैसे डॉक्टर, नर्स, शिक्षक, आईसीटी और इंजीनियरिंग) में भारतीय पेशेवरों के लिए प्रति वर्ष औसतन 1,667 कुशल 3-वर्षीय कार्य वीजा की सुविधा देने की एक प्रक्रिया स्थापित की गई है।

वर्किंग हॉलिडे स्कीम 
पर्यटन और ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर साल 1,000 स्थानों की पेशकश की गई है।

6. निवेश और रणनीतिक लाभ

निवेश प्रतिबद्धता: न्यूजीलैंड अगले पंद्रह वर्षों में भारत में $20 बिलियन के निवेश की सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
दीर्घकालिक लक्ष्य: यह समझौता 10 वर्षों में निर्यात के मूल्य को दोगुना करने के न्यूजीलैंड के लक्ष्य की ओर प्रगति में मदद करेगा।


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भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता - फोटो : amarujala.com

भारत ने अब तक किस-किसके साथ किए एफटीए?

भारत ने अब तक श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलयेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मॉरीशस के साथ मुक्त व्यापार समझौते किए हैं। इसके अलावा, भारत ने 10 देशों के समूह आसियान और चार यूरोपीय देशों के समूह ईएफटीए (EFTA), आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड के साथ भी व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ ही, भारत अब तक अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU), चिली, पेरू और इस्राइल सहित कई प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के साथ नए व्यापार समझौते पूरी करने पर बातचीत कर रहा है।


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