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Rajasthan Elections 2023: कितनों को रास आया सत्ता का प्रवास; कौन रह गए खाली हाथ, जानिए इस रिपोर्ट में

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: सौरभ भट्ट Updated Mon, 06 Nov 2023 11:12 AM IST
सार

Rajasthan Assembly Election: विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां अपने सभी प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। लेकिन चुनावों का ऐलान होने के बाद सियासी दलों में नेताओं के प्रवास कितने फलदायी रहे जानिए इस रिपोर्ट में-
 

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How many people liked the migration of power, who were left empty handed - know in this report
राजस्थान विधानसभा चुनाव। - फोटो : Amar Ujala Digital
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विस्तार
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राजस्थान में विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने सभी 200 सीटों पर व कांग्रेस ने 199 सीट ( भरतपुर सीट गठबंधन के लिए छोड़ी) आज नामांकन का अंतिम दिन है। लेकिन चुनावों के ऐलान से लेकर अब तक कांग्रेस और भाजपा में कई नेताओं के सियासी प्रवास बेहद फायदे मंद रहे। पार्टी ज्वाइन करते ही हाथों-हाथ टिकट भी मिल गए। वहीं कई नेता ऐसे रहे जिनके हाथ खाली रहे गए। 

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बीजेपी से कांग्रेस में कौन-कौन शामिल हुए
कर्नल सोनाराम- रविवार सुबह कांग्रेस में शामिल हुए और रात को गुढ़ामलानी से टिकट मिल गया। 
मनीषा गुर्जर- मनीषा गुर्जर भाजपा की प्रधान रही हैं। हाल में कांग्रेस ज्वाइन की और खेतड़ी से टिकट मिल गया।
विकास चौधरी- 2018 में किशनगढ़ से भाजपा प्रत्याशी थे। इस बार टिकट कटा तो कांग्रेस में शामिल हो गए और उसी सीट से इस बार कांग्रेस का टिकट मिल गया।
सुरेश टॉक खाली हाथ रहे गए। सुरेश टाक ने किशनगढ़ से निर्दलीय चुनाव जीतने के बावजूद पांच साल तक कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया लेकिन कांग्रेस ज्वाइन नहीं की। इसबार सुरेश टाक के बीजेपी में शामिल होने की उम्मीद थी। लेकिन बीजेपी ने टिकट नहीं दिया।
हुडला समेत 10 निर्दलीयों को भी कांग्रेस के टिकट- महुवा से निर्दलीय विधायक थे। पांच साल तक कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया। कांग्रेस की सदस्यता लेकर अब टिकट भी ले लिया। इनके अलावा दूदू से बाबू लाल नागर, सिरोही से संयम लोढ़ा, थानागाजी से कांति मीणा, मारवाड़ जंक्शन से खुशवीर सिंह जोझावर, खंडेला से महादेव सिंह खंडेला, कुशलगढ़ से रमीला खड़िया, बस्सी से लक्ष्मण मीणा और गंगापुर से रामकेश मीणा को भी कांग्रेस ज्वाइन करवा कर टिकट दिए गए। 

फूल छोड़ा, पकड़ा हाथ लेकिन नहीं मिला साथ  
अनादी सरस्वती- अजमेर उत्तर से सीट की दावेदारी कर रही अनादी सरस्वती (ममता कालानी) ने सीएम अशोक गहलोत की मौजूदगी में हाल में कांग्रेस ज्वाइन की, लेकिन टिकट नहीं मिला। कांग्रेस में शामिल होने से पहले वे बीजेपी में थीं।
ममता शर्मा- राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रही ममता शर्मा ने हाल में बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था। अपने बेटे के लिए टिकट चाह रही थीं, लेकिन नहीं मिला।

कांग्रेस छोड़ी बीजेपी का मिला साथ
गिर्राज मलिंगा- सियासी बाड़ा बंदी में बीजेपी के खिलाफ मुखर होकर बयान देने वाले गिर्राज मलिंगा को ना-ना करते बीजेपी ने ले ही लिया। रविवार सुबह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए। शाम को बाड़ी से टिकट का एलान हो गया।
ज्योति मिर्धा- नागौर से कांग्रेस की सांसद रह चुकी ज्योति मिर्धा नेताओं के प्रवास की कड़ी में पहले नंबर पर रहीं। सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन की और नागौर से उन्हें टिकट मिल गया।
नंदलाल पूनिया (पुत्रवधू को टिकट)- सादुलपुर से कांग्रेस के पूर्व विधायक नंदलाल पूनिया ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन की और उनकी पुत्रवधु को यहां से टिकट मिल गया।
दर्शन सिंह गुर्जर- करौली के पूर्व विधायक दर्शन सिंह गुर्जर, राजस्थान पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास आयोग का उपाध्यक्ष थे। इन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन की और एक दिन बाद ही इन्हें करौली से बीजेपी का टिकट मिल गया।

इनको भी मिला फायदा
रामनिवास मीणा- पार्टी में शामिल होने के 24 घंटे के अंदर ही मीणा को टोडभीम सीट से टिकट मिला, ये पूर्वी राजस्थान में ईआरसीपी को लेकर आंदोलन चला रहे थे।
उपेन यादव- राजस्थान में बेरोजगारों को लेकर लगातार आंदोलन चलाने वाले उपेन यादव को भी बीजेपी ने शाहपुरा से टिकट दे दिया। 
               
ये रह गए खाली हाथ
रविंद्र सिंह भाटी-  शिव से टिकट मिलने की उम्मीद में रविंद्र सिंह भाटी ने बीजेपी ज्वाइन की, लेकिन संघ के भारी विरोध के चलते उन्हें टिकट नहीं मिला।
ज्योति खंडेलवाल- पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल ने भी टिकट की उम्मीद में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा था। माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें किशनपोल से टिकट दे सकती है, लेकिन यहां संघ ने अपना प्रत्याशी आगे कर दिया।
चंद्रशेखर बैद- आठ बार के विधायक चंद्र शेखर बैद ने भी बीजेपी ज्वाइन की लेकिन टिकट नहीं मिल पाया।
सुरेश मिश्रा- सांगानेर से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। बीजेपी ज्वाइन की लेकिन टिकट भजन लाल ले गए।

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