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Rajasthan News: बीएपी विधायक का प्रकरण सदाचार समिति को भेजा, सदन में सवाल के बदले मांगी थी घूस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Fri, 09 May 2025 11:20 AM IST
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सार
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सवाल के बदले कैश मांगने वाले विधायक जयकृष्ण पटेल का प्रकरण विधानसभा की सदाचार समिति को भेज दिया है। साथ ही विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता का मामले में भी जल्द ही फैसला होगा।

राजस्थान
- फोटो : सोशल मीडिया

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विस्तार
सवाल के बदले घूस मांगने के आरोप में एसीबी में ट्रैप हो चुके बीएपी विधायक की विधायकी बनी रहेगी या जाएगी इसका फैसला अब विधानसभा की सदाचार समिति करेगी। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने यह प्रकरण सदाचार समिति को भेज दिया है।
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देवनानी ने कहा है कि राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक ने विधानसभा को सूचित किया है कि विधानसभा में लगाए गए प्रश्न को हटाने की एवज में विधायक पटेल द्वारा रिश्वत मांग किए जाने की पुष्टि होने एवं रिश्वत राशि के 20 लाख रुपए प्राप्त करते हुए रंगे हाथों पकड़े जाने बाद धारा 7,12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (यथा संशोधित 2018) व 61(2), 238 बीएनएस-2023 में नियमानुसार यह गिरफ्तारी की गई है।
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देवनानी ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित शिकायत की जांच हेतु प्रकरण को विधानसभा की सदाचार समिति को निर्दिष्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण की प्रथम सूचना रिपोर्ट भी विधानसभा को प्राप्त हो गई है, जिसमें रिश्वत की रकम विधायक आवास से प्राप्त करना बताया गया है। विधायक के इस कृत्य से विधानसभा की गरिमा प्रश्नगत हुई है इसीलिए विधानसभा सदस्य पटेल के कथित आचरण से संबंधित विभिन्न बिंदुओं की जांच किए जाने हेतु प्रकरण को विधानसभा की सदाचार समिति के पास भेजा है। सदाचार समिति द्वारा प्रकरण पर विचार करने के पश्चात अध्यक्ष देवनानी को रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसे उनकी अनुमति से सदन में रखा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि किसी विधानसभा सदस्य के विरुद्ध सदन के बाहर या अंदर अनैतिक व्यवहार से संबंधित शिकायत की जांच करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष अथवा सदन द्वारा सदाचार समिति को निर्दिष्ट किया जाता है।
कंवरलाल मीणा के मामले में निर्णय शीघ्र
विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने बताया कि विधानसभा सदस्य कंवरलाल मीणा के प्रकरण में महाधिवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से राय ली जा रही है। इस पर निर्णय समयावधि में नियमानुसार शीघ्र किया जाएगा। गौरतलब है मीणा को हाईकोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्टे की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।