Rajasthan News: लौटेगा शेखावाटी का जादू! महलों से आगे… अब हवेलियों की बारी, एक-एक के 20 से 30 हिस्सेदार
Shekhawati Havelis Restoration: राजस्थान में आपको झीलें देखनी है तो उदयपुर जाइए। रेत का समंदर जोधपुर, जैसलमेर, बाढ़मेर में मिलेगा। जंगल घूमना है तो रणथम्भौर, सरिस्का, रामगढ़ विशधारी, मुकुंदरा है। जयपुर, मेवाड़ में किले, महलों और बावडियों की कहानियां मिलेंगी। इन सब के बाद अब राजस्थान के नक्शे में शेखावाटी की हवेलियां भी दर्ज होंगी।
विस्तार
राजस्थान का नक्शा जब पर्यटन की दृष्टि से देखा जाता है तो उसमें उदयपुर की झीलें, जोधपुर-जैसलमेर का रेगिस्तान, रणथम्भौर और सरिस्का, रामगढ़ विशधारी और मुकुंदरा के जंगल, जयपुर और मेवाड़ के किले और बावड़ियां खास पहचान बनाते हैं। लेकिन अब इन सबके बीच उत्तर राजस्थान का शेखावाटी इलाका भी अपने अनूठे रंग-रूप और हवेलियों के वैभव के साथ नई कहानी लिखने को तैयार है। राज्य सरकार ने ‘शेखावाटी हवेली संरक्षण योजना’ की शुरुआत की है, जिसके तहत झुंझुनूं, सीकर और चूरू जिलों की सैकड़ों हवेलियों को न सिर्फ संरक्षित किया जाएगा, बल्कि उन्हें पर्यटन का नया केंद्र बनाया जाएगा।
विरासत संरक्षण की नई पहल
बजट वर्ष 2025-26 में घोषित इस योजना के तहत अब तक 662 ऐतिहासिक हवेलियां चिन्हित की गई हैं। इनमें से कई हवेलियों को हेरिटेज वॉक, सांस्कृतिक केंद्र, आर्ट गैलरी, होमस्टे और पर्यटन हब में बदला जाएगा। फिलहाल 30 हवेलियों को हेरिटेज प्रमाणपत्र जारी किए जा चुके हैं और ये धीरे-धीरे पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों का हिस्सा बन रही हैं।
शेखावाटी में विरासत संरक्षण और पर्यटन विकास के लिए विभिन्न विभागों की ज्वॉइंट कमेटी गठित की जाएगी, जो रामगढ़, नवलगढ़, मंडावा, खेतड़ी, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर और महनसर कस्बों में दीर्घकालिक कार्ययोजना बनाएगी। मुख्यमंत्री ने जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में किसी भी हवेली या धरोहर को तोड़ा न जाए।
हवेलियों की भूमि शेखावाटी
शेखावाटी यानी ‘सीकर, झुंझुनूं और चूरू’ लंबे समय से ‘हवेलियों की भूमि’ के रूप में प्रसिद्ध है। व्यापारी परिवारों ने यहां भित्ति-चित्रों और स्थापत्य कला से सजी हवेलियां बनवाईं। इन हवेलियों की दीवारों पर रामायण, कृष्णलीला और लोकजीवन की झलकियां मिलती हैं। यही वजह है कि इसे एक तरह का ‘ओपन एयर फ्रेस्को गैलरी’ कहा जाता है। समय के साथ जब व्यापारी कारोबार के लिए कोलकाता, हैदराबाद और सूरत जैसे शहरों में बस गए, तो हवेलियां खाली होती गईं और अब इनमें कई हिस्सेदारों के नाम दर्ज हैं।
पर्यटन की संभावनाओं का नया द्वार
पिछले कुछ वर्षों से हवेलियों को हेरिटेज होटलों और सांस्कृतिक केंद्रों में बदला जा रहा है। इस साल के पहले छह महीनों में यहां लगभग 1.9 करोड़ देशी और 33 हजार विदेशी पर्यटक पहुंचे। हालांकि इनमें से अधिकांश धार्मिक तीर्थ खाटूश्यामजी आने वाले श्रद्धालु थे, लेकिन पर्यटन विशेषज्ञ मानते हैं कि हवेलियों की वजह से शेखावाटी में नए पर्यटन अवसर खुलेंगे।
निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी
पिछले साल ‘राइजिंग राजस्थान’ निवेश सम्मेलन में शेखावाटी क्षेत्र के लिए 56 एमओयू साइन किए गए। अधिकारियों का कहना है कि हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश होने वाला है। राज्य सरकार हवेलियों के मालिकों से लगातार संपर्क कर रही है ताकि वे संरक्षण और विकास के प्रयासों में साझेदार बन सकें। ताज ग्रुप जैसे बड़े होटल समूह भी यहां रुचि दिखा रहे हैं।
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विशेषज्ञों और हितधारकों की राय
शेखावाटी हैरिटेज होटलियर की फाउंडर श्रुति पोद्दार कहती हैं कि पिछले दिनों सीएम भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में शेखावाटी हैरिटेज हेवेली संरक्षण को लेकर हुई बैठक में मैं शामिल हुई थी। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से अब इस क्षेत्र में टूरिज्म बढ़ाने के लिए काफी बजटीय प्रावधान किए गए हैं। रामगढ़ शेखावाटी अब मॉडल टाउन बन रहा है। हैरिटेज हवेलियों को लेकर निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है। हमने भी यहां नया निवेश किया है। ताज जैसे कई बड़े समूह भी यहां निवेश के लिए आ रहे हैं।
राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओमकार सिंह लखावत कहते हैं कि सीएम की मीटिंग में हम शामिल हुए थे। राजस्थान में शेखावाटी की हैरिटेज होटलों को संरक्षण और संवर्धन मिले, अधिक से अधिक पर्यटक यहां जाएं, हवेलियों से जुड़े लोग इसमें शामिल हों। सरकार की सिर्फ यही मंशा है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भंडारी कहते हैं कि ये हवेलियां सवा सौ-डेढ़ सौ साल पुरानी हैं। यहां रहने वाले लोग समय के साथ कारोबार करने बाहर चले गए। इसके बाद उनके परिवार भी यहां से पलायन कर चुके हैं। अब हालत यह है कि एक-एक हवेली के 20 से 30 हिस्सेदार हैं। कुछ को तो अपनी संपत्तियों की जानकारी तक नहीं है। शेखावाटी रामगढ़ एक ओपन एयर फ्रेस्को गैलेरी है। इसके लिए 650 हवेलियों का समूह बनाया है। ताकी इन हवेलियों का संरक्षण हो सके।
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