Rajasthan: सत्ता में रहकर सिंहासन का विरोध किरोड़ी की नीयत या नियती…वसुंधरा-गहलोत के बाद अब भजनलाल निशाने पर
Rajasthan: बीच विधानसभा सत्र में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर फोन टैपिंग के सनसनीखेज आरोप लगाकर बड़ा सियासी हंगामा खड़ा कर दिया। बीजेपी ने जिस अंदाज में किरोड़ी को नोटिस थमाया है, उसे देखकर लग रहा है कि किरोड़ी एक बार फिर से इतिहास दोहराने को तैयार हैं।
विस्तार
राजस्थान में 19 फरवरी को भजनलाल सरकार अपना दूसरा बजट पेश करने जा रही है। लेकिन इसी बीच किरोड़ी लाल मीणा के फोन टैपिंग के आरोपों ने विधानसभा में विपक्ष को हावी होने का मौका दे दिया है।
विपक्ष ने जिस तरह से राज्यपाल अभिभाषण में सीएम के रिप्लाई का विरोध किया, वही तेवर बजट के दौरान भी देखने को मिल सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बयान भी जारी कर दिया है कि जब तक फोन टैपिंग पर सरकार अपना स्पष्ट जवाब नहीं देती, विधानसभा में कांग्रेस का विरोध जारी रहेगा।
इसी बीच बीजेपी ने किरोड़ी लाल को नोटिस थमा दिया है और तीन दिन में आरोपों पर स्पष्टीकरण पेश करने का अल्टिमेटम भी दे दिया है। वहीं किरोड़ी ने भी बयान दे दिया है कि नोटिस की कॉपी मिलने पर जवाब दिया जाएगा।
बीजेपी और किरोड़ी के तेवर टकराव की ओर इशारा कर रहे हैं। किरोड़ी अपने आरोपों से पीछे नहीं हट रहे हैं तो बीजेपी ने भी किरोड़ी को निपटाने की तैयारी कर ली है। हालांकि अगर ऐसी नौबत आती है तो किरोड़ी के लिए यह कोई नई बात नहीं है।
भरौसिंह शेखावत, वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत के बाद अब भजनलाल शर्मा किरोड़ी की बगावत की आंच झेल रहे हैं। बता दें कि भरौसिंह शेखावत से भी किरोड़ी लाल मीणा की कभी नहीं बनी। न तो तब जब वे सत्ता पक्ष में थे और न ही तब जब वे विपक्ष में थे। एक बार कुछ विधायकों ने किरोड़ी लाल की शिकायत भैरोसिंह शेखावत से की तो उन्होंने कहा कि ‘मैं उस ऊंट की सवारी नहीं करता जिसकी लगाम मेरे हाथ में नहीं है’।
वसुंधरा राजे और किरोड़ी का विवाद तो इतना बढ़ा कि किरोड़ी को बीजेपी ही छोड़नी पड़ गई। किरोड़ी लाल मीणा और वसुंधरा राजे के बीच विवाद की शुरुआत साल 2006 में हुई। तब मीणा, वसुंधरा कैबिनेट में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री थे। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात कर जनजातीय आरक्षण से छेड़छाड़ नहीं करने की वकालत की थी।
इसके बाद राजे और किरोड़ी के बीच खाई इतनी बढ़ गई कि अगले विधानसभा चुनावों में किरोड़ी ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। किरोड़ी 2008 में निर्दलीय टोडाभीम से चुनाव लड़ा और अपनी पत्नी गोलमा देवी को महवा से निर्दलीय जितवाकर गहलोत सरकार में मंत्री बनवा दिया। लेकिन गहलोत के साथ ही किरोड़ी की लंबी नहीं चली। सरकार से किरोड़ी की नाराजगी के चलते गोलमा को बीच सत्र में ही इस्तीफा देना पड़ गया।
सियासत के जानकार कहते हैं कि किरोड़ी को साधना आसान नहीं है। राजनीति के सूरमा भी यह काम नहीं कर पाए, इसलिए भजनलाल शर्मा का चुप्पी वाला दांव उनके लिए सबसे सही है। गौरतलब है कि भजनलाल शर्मा ने अब किरोड़ी के किसी भी आरोप पर कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने सारा मामला दिल्ली पर छोड़ दिया।
लगातार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे किरोड़ी
किरोड़ी मीणा लगातार अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं। विधानसभा चुनाव के बाद किरोड़ी मीणा ने कैबिनेट में विभागों के बंटवारे को लेकर नाराजगी जताई थी।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को राजस्थान में 7 सीटों पर हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। लेकिन इसके बावजूद वे कई कैबिनेट बैठकों से नदारद रहे।
दौसा विधानसभा उपचुनाव में अपने भाई जगमोहन के हारने के लिए भी किरोड़ी ने सरकार पर विश्वासघात के आरोप लगाए। इसे लेकर सार्वजनिक रूप से बयान भी दिए।
पिछले विधानसभा सत्र के दौरान भी वे पूरे सत्र से अनुपस्थित रहे, जिसे विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया था। इस बार भी उन्होंने बजट सत्र के दौरान सदन से अनुपस्थित रहने की अनुमति ले ली है।
बजट सत्र के बीच किरोड़ी ने अपनी ही सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगा दिए, जिससे भाजपा सरकार सदन में बैकफुट पर आ गई।
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.