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Rajasthan: विधानसभा के कांस्टीट्यूशन क्लब उद्घाटन और शुभारंभ पर उलझी बीजेपी-कांग्रेस, श्रेय को लेकर सियासत

न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Thu, 06 Mar 2025 06:00 AM IST
सार

Constitution Club: राजस्थान विधानसभा के नए कांस्टीट्यूशन क्लब के शुभारंभ से पहले ही महाभारत छिड़ गई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला आठ मार्च को विधायकों के लिए बनाए गए इस क्लब का उद्घाटन करने आ रहे हैं। लेकिन कांग्रेस इस पर बिफर गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले में बीजेपी और विधानसभा अध्यक्ष दोनों को लपेट लिया है।

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Rajasthan Vidhansabha BJP-Congress entangled inauguration and launch Constitution Club politics over credit
कांस्टीट्यूशन क्लब, जयपुर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान विधानसभा के नए कांस्टीट्यूशन क्लब के शुभारंभ से पहले विवादों का फीता कट गया है। विधायकों की सुविधा के लिए बने इस क्लब की ओपनिंग आठ मार्च को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के हाथों होनी है। इस दिन क्लब में सभी 200 विधायकों के लिए भोज भी रखा गया है। लेकिन सियासत ने इसमें पहले ही तड़का लगा दिया है।

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कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर बीजेपी और विधानसभा अध्यक्ष पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि पूर्व सीएम अशोक गहलोत के समय ही इस क्लब का उद्घाटन हो चुका है और बीजेपी सिर्फ श्रेय लेना चाहती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिहं डोटासरा ने इस मुद्दे को लकर बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, भाजपा की पूरी सियासत 'श्रेय और षड्यंत्र' तक सीमित हो गई है। पिछली कांग्रेस सरकार के समय बनकर तैयार हुए कांस्टीट्यूशन क्लब का उद्घाटन दोबारा तथा कथित शुभारंभ नाम देकर भाजपा सरकार सिर्फ श्रेय लेना चाहती है, जो गलत परंपरा है। 

जबकि राजस्थान की जनता जानती है कि विधानसभा के कांस्टीट्यूशन क्लब का निर्माण कांग्रेस सरकार में हुआ है। 22 सितंबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कांस्टीट्यूशन क्लब का लोकार्पण विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की उपस्थिति में किया गया था, जिसका उल्लेख शिलापट्ट पर मौजूद है। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने कांस्टीट्यूशन क्लब को अब तक बंद रखा। ताकि इसका 'दोबारा' उद्घाटन को तथाकथित शुभारंभ का नाम देकर श्रेय ले सके।

स्पीकर पर भी उठाए सवाल
यही नहीं डोटासरा ने इस मुद्दे को लेकर विधानसभा के स्पीकर वासुदेव देवानानी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा, कांस्टीट्यूशन क्लब  से संबंधित किसी भी निर्णय का अधिकार क्लब के लिए गठित कार्यकारी समिति को है। लेकिन सदन में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा क्लब के उद्घाटन का निर्णय लेना पूरी तरह अनुचित एवं नियमाविरुद्ध है। विधानसभा अध्यक्ष ने निर्णय लेने से पूर्व न तो कार्यकारी समिति की बैठक बुलाई और न ही सदस्यों से राय लेकर सर्वसम्मति बनाई।

देवनानी पर लगाए पक्षपात के आरोप
डोटासरा ने अपने बयान में देवनानी पर पक्षपात के आरोप भी लगा दिए। उन्होंने कहा, विधानसभा अध्यक्ष किसी दल का नहीं होता। सरकार के दबाव में उनके निर्णयों और भूमिका को लेकर बार-बार प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं। सदन में कई दफा विपक्ष को संरक्षण न मिलना, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी का अपमान करने वाले मंत्री से माफी न मंगवाना, जनता द्वारा चुने गए सदस्य पर राजनीति टिप्पणी करना और किसी जनप्रतिनिधि सदस्य की आवाज़ कुचलने के लिए विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सीधे समिति को भेजना, सरकार के प्रति उनके झुकाव को दर्शाता है एवं संवैधानिक पद की गरिमा का उपहास उड़ाने जैसा है। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को राजनीति का हिसा बनना उचित नहीं है।

राजेंद्र राठौड़ का पलटवार
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के इस हमले का जवाब बीजेपी की तरफ से पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने दिया। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, डोटासरा जी, आप देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के राजस्थान से अध्यक्ष हैं एवं राजस्थान विधानसभा के माननीय सदस्य भी हैं। क्या आपको यह ज्ञात नहीं कि माननीय विधानसभा अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर सदन के भीतर या बाहर टिप्पणी करना संसदीय मर्यादाओं के विपरीत है? बार-बार माननीय अध्यक्ष पर निराधार आरोप लगाकर आप संसदीय लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। विधानसभा में पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाए गए बेवजह के राजनीतिक गतिरोध को राजस्थान की जनता ने देखा और स्वयं को शर्मसार महसूस किया।

सात दिन बाद गतिरोध समाप्त होने, निलंबन वापस होने और नेता प्रतिपक्ष के माफीनामे के बाद भी आपकी सदन से लगातार अनुपस्थिति क्या यह साबित नहीं करती कि आप खुद नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं? लगता है आपको नेता प्रतिपक्ष का बजट सत्र में भाषण देना अच्छा नहीं लगा। कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान का निर्माण प्रदेश की आठ करोड़ जनता के टैक्स से हुआ है। इस क्लब को संचालित करने वाली कार्यकारी संस्था द्वारा कल्ब के प्रथम दिवस पर माननीय सदस्यों को आमंत्रित किया जाना कैसे अनुचित हो सकता है? 

क्या विधानसभा अध्यक्ष को इतना भी अधिकार नहीं है कि वे इस विषय में निर्णय ले सकें? डोटासरा जी, सच तो यह है कि आप विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध झूठे आरोपों की आड़ में कांग्रेस के आंतरिक कलह को छिपाने की असफल कोशिश कर रहे हैं। माननीय विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाने से पहले आप कांग्रेस के अंदर चल रहे अंर्तविरोध को संभालिए और विपक्ष के नाते सकारात्मक राजनीति कीजिए।

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