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झुंझुनू बना डिजिटल मॉडल: अब नवजात का जन्म प्रमाण पत्र सीधे वॉट्सएप पर, नहीं काटने पड़ेंगे नगर परिषद के चक्कर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, झुंझुनू Published by: झुंझुनू ब्यूरो Updated Tue, 08 Jul 2025 08:21 PM IST
सार

Jhunjhunu Digital Model: नगर परिषद झुंझुनू के मुताबिक, अब सरकारी व निजी अस्पतालों में जन्म के साथ ही ऑनलाइन पंजीकरण होगा। यह डेटा सीधे नगर परिषद के सिस्टम से जुड़ा होगा, जिससे प्रमाण पत्र स्वतः तैयार होकर मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा।

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नगर परिषद झुंझुनू - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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डिजिटल इंडिया के विजन को साकार कर राजस्थान का झुंझुनू जिला अब राज्य ही नहीं, पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया है। अब जिले में नवजात शिशुओं के जन्म प्रमाण पत्र सीधे वॉट्सएप पर भेजे जा रहे हैं, जिससे माता-पिता को नगर परिषद या किसी सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। झुंझुनू ऐसा करने वाला देश के चुनिंदा जिलों में शामिल हो गया है, जिसने डिजिटल प्रमाणन प्रक्रिया को धरातल पर उतारकर लोगों को वास्तविक लाभ देना शुरू कर दिया है।

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छुट्टी से पहले ही मिलेगा डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र
अब अगर आप झुंझुनू जिले में माता-पिता बने हैं, तो आपको शिशु के जन्म प्रमाण पत्र के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अस्पताल से डिस्चार्ज होने से पहले ही मोबाइल पर प्रमाण पत्र की सॉफ्ट कॉपी भेज दी जाएगी। इस डिजिटल सर्टिफिकेट में QR कोड और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर होंगे, जो इसकी वैधता और प्रमाणिकता की गारंटी देते हैं। यह प्रमाण पत्र सरकारी दस्तावेजों में बिना किसी संदेह के मान्य होगा।
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झुंझुनू बना डिजिटल मॉडल जिला
केंद्र सरकार की पहल और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के निर्देशों के तहत झुंझुनू ने सबसे तेजी से अमल करते हुए यह सुविधा शुरू की। नगर परिषद झुंझुनू के आयुक्त दलीप पुनिया और अधिशासी अधिकारी मुकेश वर्मा ने बताया कि अब सरकारी व निजी अस्पतालों में जन्म के साथ ही ऑनलाइन पंजीकरण होगा। यह डेटा सीधे नगर परिषद के सिस्टम से जुड़ा होगा, जिससे प्रमाण पत्र स्वतः तैयार होकर मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा।
 
मां बनी महिला ने साझा किया अनुभव
हाल ही में बेटे को जन्म देने वाली एक महिला ने कहा कि पहली बार बेटी के जन्म पर तीन हफ्ते इंतजार करना पड़ा था। इस बार अस्पताल से छुट्टी लेने से पहले ही मेरे बेटे का प्रमाण पत्र मेरे मोबाइल पर था। अब न कोई कागजी झंझट, न कोई भागदौड़।
 
प्रक्रिया कैसे काम करती है?
बच्चे के जन्म के साथ ही अस्पताल में ही डिजिटल पंजीकरण हो जाता है। इसके बाद नगर परिषद का सिस्टम इस डेटा को उपयोग में लेकर प्रमाण पत्र तैयार करता है। भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, जन्म के सात दिन के भीतर प्रमाण पत्र हर हाल में परिजनों तक पहुंच जाना चाहिए। जरूरत पड़ने पर इसे नगर परिषद की वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है।

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इस नई व्यवस्था की खास बात यह है कि यह सुविधा शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू की गई है। यानी अब झुंझुनू जिले के हर कोने में नवजात का जन्म प्रमाण पत्र डिजिटल रूप से प्राप्त करना संभव हो गया है। इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी, पारदर्शिता बढ़ेगी और आम लोगों को वास्तविक लाभ मिलेगा।

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