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Jhunjhunu News: झुंझुनू जिले का जवान जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान हुआ शहीद, कल निकलेगी अंतिम यात्रा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, झूंझुनू Published by: झुंझुनू ब्यूरो Updated Wed, 27 Aug 2025 11:11 PM IST
सार

झुंझुनूं जिले के लालपुर गांव के हवलदार इकबाल खान ने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहादत दी। 21 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात खान की अंतिम यात्रा तिरंगा यात्रा के रूप में होगी और सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाएगा। परिवार उनकी शहादत पर गर्व व्यक्त कर रहा है।

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Soldier from Lalpur,  Rajasthan, Martyred in Jammu and Kashmir
झुंझुनू जिले का जवान जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान हुआ शहीद - फोटो : credit
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विस्तार
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झुंझुनूं जिले ने एक और वीर सपूत को मातृभूमि पर कुर्बान किया है। जिले के बगड़ उपखंड के लालपुर गांव निवासी हवलदार इकबाल खान ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में चल रहे ऑपरेशन रक्षक के दौरान अपनी शहादत दी। इकबाल खान 21 ग्रेनेडियर यूनिट में हवलदार पद पर तैनात थे। उनकी भर्ती भारतीय सेना में 15 जनवरी 2003 को हुई थी और दो दशक से अधिक समय तक वे देश सेवा में समर्पित रहे।

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इकबाल खान का परिवार सेना और सुरक्षा बलों से गहराई से जुड़ा रहा है। उनके पिता यासीन खान सेना में हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए थे, जबकि दादा अफजल खान भी फौज में अपनी सेवाएं दे चुके थे। इसके अलावा उनके चाचा राजस्थान पुलिस में कार्यरत हैं। परिवार की यह गौरवशाली परंपरा अब इकबाल खान की शहादत से और भी स्वर्णिम हो गई है।
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शहादत की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। लालपुर गांव के लोग इकबाल खान के घर पहुंचकर परिवार को ढांढस बंधाने लगे। परिजनों ने भावुक होकर कहा कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है, क्योंकि उसने देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। इकबाल खान की अंतिम यात्रा गुरुवार सुबह निकाली जाएगी। उनकी पार्थिव देह झुंझुनूं पहुंचने के बाद सुबह करीब 8:30 बजे अग्रसेन सर्किल से लालपुर गांव तक 15 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकलेगी। इस यात्रा में ग्रामीणों के साथ-साथ सेना के जवान भी शामिल होंगे। तिरंगे में लिपटे इस वीर सपूत का कारवां पूरे रास्ते देशभक्ति के नारों से गूंजेगा। इसके बाद लालपुर गांव में सुबह 10 बजे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। सेना की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा और पूरे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। हवलदार इकबाल खान अपने पीछे पत्नी नसीम बानो और एक बेटी को छोड़ गए हैं। परिवार पर दुख का पहाड़ टूटने के बावजूद उनकी पत्नी और परिजन गर्व से कहते हैं कि इकबाल ने देश के लिए बलिदान दिया है। झुंझुनूं का यह लाल हमेशा अमर रहेगा और उनकी शहादत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

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