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Kotputli-Behror News: क्या किसानों की जमीन पर बनेगा ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे! तिरंगा चेतना यात्रा से विरोध तेज

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोटपूतली-बहरोड़ Published by: कोटपुतली ब्यूरो Updated Sat, 20 Dec 2025 09:42 AM IST
सार

Kotputli-Behror News: कोटपूतली–किशनगढ़ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के विरोध में किसानों ने तिरंगा चेतना यात्रा शुरू की। किसान नेताओं ने उपजाऊ जमीन के अधिग्रहण पर सवाल उठाते हुए आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
 

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Kotputli-Behror News: Will Green Field Expressway be built on farmers' land, Tiranga Chetna Yatra Protest
एक्सप्रेस-वे विरोध को लेकर किसानों ने निकाली तिरंगा चेतना यात्रा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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कोटपूतली–बहरोड़ क्षेत्र में प्रस्तावित 181 किलोमीटर लंबे कोटपूतली–किशनगढ़ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे को लेकर किसानों का विरोध खुलकर सामने आने लगा है। इसी के तहत किसान महापंचायत की ओर से शुक्रवार को तिरंगा चेतना यात्रा की शुरुआत की गई। ग्राम पंचायत पनियाला के गोनेड़ा स्टैंड से सुबह 10 बजे किसान पंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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दो चरणों में निकाली जा रही तिरंगा चेतना यात्रा
यह यात्रा दो चरणों में आयोजित की जा रही है। पहला चरण 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जबकि 22 दिसंबर को यात्रा सीकर जिले की खंडेला तहसील में प्रवेश करेगी। तिरंगा चेतना यात्रा कोटपूतली तहसील के 14 गांवों से होकर गुजरेगी और पाटन तहसील के ग्राम फतेहपुर में किसान महापंचायत सीकर के पदाधिकारियों को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा जाएगा।
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मौजूदा सड़क के बावजूद नए एक्सप्रेस-वे पर सवाल
यात्रा के दौरान आयोजित सभाओं में रामपाल जाट ने सवाल उठाया कि जब पहले से ही कोटपूतली–किशनगढ़ मार्ग पर 225 किलोमीटर लंबा छह लेन का राष्ट्रीय राजमार्ग मौजूद है, तो ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की आवश्यकता क्यों है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से केवल 44 किलोमीटर की दूरी कम होगी, जबकि इसके लिए करीब 6500 बीघा सिंचित और उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है।

एक्सप्रेस वे विरोध को लेकर निकलती तिरंगा चेतना यात्रा
 
भूमि अधिग्रहण से किसानों पर असर की चिंता
रामपाल जाट ने आरोप लगाया कि यह एक्सप्रेस-वे किसानों के हित में नहीं, बल्कि पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि भूमि के अधिग्रहण से खाद्य संकट गहराने का खतरा है और गांव, खेत व किसान दो हिस्सों में बंट जाएंगे। इससे ग्रामीणों के आवागमन में परेशानी बढ़ेगी और बेरोजगारी व आर्थिक असमानता भी बढ़ सकती है।

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सरकार की प्राथमिकताओं पर उठाए सवाल
किसान नेता ने कहा कि सरकार को खेत को पानी, फसल को उचित दाम और युवाओं को रोजगार देने पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन इसके विपरीत किसानों की जमीन ली जा रही है। उन्होंने सवाल किया कि क्या विकास की कीमत अन्नदाता की जमीन से चुकाई जाएगी।
 
गांव-गांव मिला समर्थन, आगे आंदोलन की चेतावनी
तिरंगा चेतना यात्रा का विभिन्न गांवों में उत्साह के साथ स्वागत किया गया। चिमनपुरा, गोनेड़ा, करवास, चेची का नांगल और फामड़ा की ढाणी अजीतपुरा सहित कई गांवों में किसानों और ग्रामीणों ने फूल-मालाओं से यात्रा का अभिनंदन किया। बड़ी संख्या में किसान यात्रा में शामिल रहे। किसान महापंचायत ने साफ किया है कि यदि सरकार ने किसानों की बात नहीं सुनी तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। इसी कड़ी में 30 दिसंबर को जयपुर में अन्नदाता हुंकार रैली प्रस्तावित है।

 

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