सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
Hindi News ›   Shakti ›   uttar pradesh women empowerment success stories aligarh mirzapur amethi

UP Women Empowerment: अलीगढ़ की महिलाएं कचरे से बना रहीं सोना, मिर्जापुर की चंदा चला रहीं बदलाव की सवारी

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Mon, 27 Oct 2025 03:47 PM IST
विज्ञापन
सार

uttar pradesh women empowerment: महिलाएं आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं और रोज़मर्रा की चुनौतियों को विकास के अवसर में बदल रहे हैं। खेती के नवाचार से लेकर वित्तीय समावेशन और स्वास्थ्य पहलों तक, ये साबित कर रहे हैं कि प्रगति तब सबसे अधिक चमकती है जब समुदायों को स्वयं नेतृत्व करने का अधिकार मिले।

uttar pradesh women empowerment success stories aligarh mirzapur amethi
Woman - फोटो : istock
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

Uttar Pradesh Women: उत्तर प्रदेश के गांवों में एक शांत लेकिन शक्तिशाली बदलाव हो रहा है। स्थानीय चेंजमेकर आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं और रोज़मर्रा की चुनौतियों को विकास के अवसर में बदल रहे हैं। खेती के नवाचार से लेकर वित्तीय समावेशन और स्वास्थ्य पहलों तक, ये साबित कर रहे हैं कि प्रगति तब सबसे अधिक चमकती है जब समुदायों को स्वयं नेतृत्व करने का अधिकार मिले।



कचरे को सोने में बदल रही हैं अलीगढ़ की महिलाएं

अलीगढ़ के टप्पल ब्लॉक के भरतपुर गांव में कचरे को सोने में बदला जा रहा है। इसका श्रेय टप्पल समृद्धि महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड को जाता है, जो 2022 में स्थापित महिला-प्रधान किसान उत्पादक संस्थान (एफपीओ) है। यह अब 1,000 से अधिक महिला किसानों को एकजुट किया है। सिर्फ दो वर्षों में इसे ‘लाइटहाउस एफपीओ’ का दर्जा मिल गया है।
विज्ञापन
विज्ञापन


इस परिवर्तन के केंद्र में पंचायत की जमीन पर बनी जैव उर्वरक यूनिट है। जब नीलम देवी ने इस जमीन को लीज पर लेने का निर्णय लिया तो यह कस्बे की महिला किसानों के लिए महत्वपूर्ण मोड़ बन गया। महिलाएं रोजमर्रा के कचरे जैसे गाय का गोबर, रसोई के बचे खाने के टुकड़े, फसल अवशेष को इकट्ठा कर आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित नई तकनीक का उपयोग करके जैविक उर्वरक में बदलती हैं। इसका परिणाम है कि स्वस्थ मिट्टी से कम लागत में मजबूत और अधिक फसलें पैदा हो रही हैं।

संचालन से लेकर वित्तीय प्रबंधन तक महिलाएं लेती हैं महत्वपूर्ण निर्णय

यह यूनिट केवल उत्पादन स्थल नहीं है, यह सशक्तीकरण का मंच भी है। महिलाएं संचालन, वित्तीय प्रबंधन और महत्वपूर्ण निर्णय लेती हैं। ब्लॉक के किसान बेहतर मिट्टी और कम लागत का लाभ उठाते हैं, जबकि पंचायत को लीज से नियमित आय प्राप्त होती है, जिससे स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। यहां समुदाय, सरकार और बाजार मिलकर काम करते हैं। महिलाएं नेतृत्व करती हैं, नीतियां सहयोग करती हैं और खरीदार प्रतिक्रिया देते हैं। इस मॉडल ने कचरे को संपति में बदलने, नेतृत्व कौशल बढ़ाने और यह साबित करने का काम किया कि सतत खेती लाभदायक हो सकती है।

मिर्जापुर में चेहरा ढककर ई-रिक्शा ड्राइविंग शुरू करने वाली सैकड़ों महिलाएं बनीं रोल मॉडल

मिर्जापुर की 33 वर्षीय चंदा शुक्ला ने सचमुच ‘चलते-फिरते’ बदलाव की मिसाल पेश की। जब परिवार में आम तौर पर पुरुष ही आर्थिक सहारा होते थे, लगातार समस्याओं ने चंदा को परिवार की मुख्य कमाने वाली महिला बना दिया। इस अनिश्चित समय में उन्हें पहली महिला ई-रिक्शा उद्यमी प्रज्ञा देवी से प्रेरणा मिली। प्रज्ञा को चालक सीट पर देखकर चंदा ने विश्वास पाया कि वह भी इस लगभग पुरुष प्रधान क्षेत्र में नई आजीविका स्थापित कर सकती हैं। अपने पति के प्रोत्साहन और डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के समर्थन से उन्होंने ऋण लिया, पहला ई-रिक्शा खरीदा और ड्राइविंग व उद्यम प्रशिक्षण लिया।फ़ैमिली गेम

रास्ता आसान नहीं था। चंदा ने अपने चेहरे को आंशिक रूप से ढक रखा, क्योंकि लोग महिला चालक को देखकर हैरान होते थे। हर यात्रा के साथ उनका आत्मविश्वास बढ़ा। जल्द ही वह यात्रियों और स्कूल बच्चों को रोज़ाना ले जाने लगीं। उन्होंने न केवल दो वर्षों में अपना ऋण चुका दिया, बल्कि बच्चों की शिक्षा के लिए नियमित बचत भी की।

चंदा का प्रभाव केवल उसके घर तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अब तक 100 से अधिक महिलाओं को ड्राइविंग, वाहन रखरखाव और सड़क सुरक्षा में प्रशिक्षित किया है। वह आर्या महिला समूह का नेतृत्व करती हैं, जो महिलाओं के ई-रिक्शा चालक और इच्छुकों का समूह है। यहां वह अन्य महिलाओं को सम्मानजनक और लाभदायक आजीविका अपनाने के लिए मार्गदर्शन देती हैं।

उनका नेतृत्व उन्हें लखनऊ और दिल्ली तक ले गया, जहां उन्होंने महिला आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अपनी यात्रा साझा की। आज बैंक और सरकारी एजेंसियाँ महिला उद्यमियों का समर्थन करने में अधिक इच्छुक हैं। चंदा स्वयं अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहती हैं। एक और ई-रिक्शा और भविष्य में चारपहिया वाहन खरीदने की योजना है।

हरदोई के हिमांशु यादव व्यक्तिगत स्वास्थ्य डर को समुदाय अभियान में बदल दिया

हरदोई के बघराई गांव के 25 वर्षीय किसान हिमांशु यादव ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य डर को समुदाय अभियान में बदल दिया। एंटी-फाइलेरियल दवा लेने के बाद उन्हें बुखार, उल्टी और तेज़ दिल की धड़कन हुई। पहले से चल रही CHO-PSP ग्राम सभाओं की जागरूकता के कारण उन्होंने इसे दवा के असर के संकेत के रूप में समझा और तुरंत इलाज कराया। कुछ घंटों में ठीक हो गए। इसके बाद हिमांशु फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का हिस्सा बने।

उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं के साथ दवा देने में मदद की और ग्रामीणों के डर को दूर किया। “नाइट चौपाल” पद्धति अपनाते हुए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लगभग 130 बार दवा दी और समझाया कि दुष्प्रभाव का मतलब है कि परजीवी मर रहे हैं। आज उनके प्रयासों से 130 से अधिक ग्रामीण प्रेरित हुए हैं, यह दिखाते हुए कि जागरूकता और साहस सामूहिक कार्रवाई को जन्म दे सकते हैं।

अमेठी में BC सखी बन परिवार की मददगार बनीं, हजारों ग्रामीणों को दिया संबल

अमेठी के किसुनी गांव की 32 वर्षीय ग्रेजुएट अनिता देवी कुछ साल पहले गृहिणी थीं, जो पति को मेट्रो शहरों में काम करने के लिए जाते देख घर पर रहकर योगदान करने का अवसर नहीं पा रही थीं। 2022 में स्थानीय ब्लॉक कार्यालय में BC सखी प्रोग्राम के बारे में सुनकर स्थिति बदल गई। पति के प्रोत्साहन से अनिता ने आवेदन किया, प्रशिक्षण लिया और भारतीय बैंकिंग एवं वित्त संस्थान से प्रमाण पत्र प्राप्त किया। UPSRLM से 75,000 की अनुदान राशि उन्हें मिली, जिसमें हैंडहेल्ड बैंकिंग डिवाइस और ओवरड्राफ्ट खाता शामिल था। 2022 में अनिता आधिकारिक रूप से BC सखी बन गईं।

पहले महीने की आय मात्र 1,589 थी, लेकिन अनिता लगातार मेहनत करती रहीं। गाँव में डोरस्टेप बैंकिंग लेकर आईं, जिससे परिवारों के लिए बचत और बैंकिंग सरल हुई। आज उन्होंने सीधे 1,100 से अधिक ग्रामीणों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में शामिल किया है। उनका मासिक कमीशन औसतन 25,000 है और उनके पति के साथ उनका व्यवसाय 5 लाख से अधिक तक पहुंच गया है। अनिता अब 80% घरेलू आय में योगदान देती हैं। उनके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं और पति स्थानीय बाजार में कृषि इनपुट की दुकान चलाते हैं। अब वे शहरों में रोजगार के लिए पलायन पर निर्भर नहीं हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन

सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें  लाइफ़ स्टाइल से संबंधित समाचार (Lifestyle News in Hindi), लाइफ़स्टाइल जगत (Lifestyle section) की अन्य खबरें जैसे हेल्थ एंड फिटनेस न्यूज़ (Health  and fitness news), लाइव फैशन न्यूज़, (live fashion news) लेटेस्ट फूड न्यूज़ इन हिंदी, (latest food news) रिलेशनशिप न्यूज़ (relationship news in Hindi) और यात्रा (travel news in Hindi)  आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़ (Hindi News)।  

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed