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Archery: करंट ने पायल की उम्मीद छीनी, हौसले से बनीं बिना हाथ-पैर की विश्व की पहली तीरंदाज

हेमंत रस्तोगी, अमर उजाला ब्यूरो Published by: Mayank Tripathi Updated Sat, 08 Mar 2025 08:49 AM IST
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सार

पायल बिना बाजुओं की तीरंदाज शीता देवी को हराकर राष्ट्रीय पैरा तीरंदाज चैंपियन बन चुकी हैं। यही नहीं ओडिशा के पुरी में सामान्य तीरंदाजों के बीच राष्ट्रीय रैंकिग टूर्नामेंट में 8वां स्थान हासिल कर सबको चौंका दिया।

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पायल नाग - फोटो : payal_archer_-instagram
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विस्तार
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17 साल की पायल नाग... बिना हाथ-पैर की दुनिया की पहली तीरंदाज जब कृत्रिम पैर में धनुष को फंसाकर दाहिने कंधे से तीर को खींचकर निशाना साधती हैं, तो उनकी प्रतिभा व हौसले को देख लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं। पायल बिना बाजुओं की तीरंदाज शीता देवी को हराकर राष्ट्रीय पैरा तीरंदाज चैंपियन बन चुकी हैं। यही नहीं ओडिशा के पुरी में सामान्य तीरंदाजों के बीच राष्ट्रीय रैंकिग टूर्नामेंट में 8वां स्थान हासिल कर सबको चौंका दिया।
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पायल के लिए आसान नहीं रहा सफर
हौसले की मिसाल बन पायल के लिए सफर इतना आसान नहीं था। महज सात साल की उम्र में उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान आया कि हर तरफ अंधेरा छा गया। मूलरूप से ओडिशा के बालंगीर की रहने वाली पायल के पिता छत्तीसगढ़ के रायपुर में राजमिस्त्री थे। जिस बिल्डिंग में काम कर रहे थे, उसकी दूसरी मंजिल पर खेलते समय पायल बिजली के नंगे तारों की चपेट में आ गई। डॉक्टरों ने बचा तो लिया, पर उन्हें दोनों हाथ-पैर गंवाने पड़े। बालंगीर के डीएम को पता चला, तो उसे वहां के अनाथ आश्रम में भेज दिया। पोषल के सपनों में उड़ान भरी माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड तीरंदाजी अकादमी में शीतल के कोच कुलदीव वेदवान ने मई, 2023 में कुलदीप ने सोशल मीडिया पर उसकी फोटो देखी। उन्हें बालंगीर से कटड़ा ले आए। दो विशेष उपकरण बनवाकर उन्हें तीरंदाज बना दिया।
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अब पैरालंपिक स्वर्ण जीतना ही सपना
पायल कहती हैं, कोच कुलदीप व श्राइन बोर्ड ने उन्हें न सिर्फ नया जीवन दिया, बल्कि जिंदगी के मायने बदल दिए। अब एक ही सपना है, देश के लिए स्वर्ण पैरालंपिक में जीतना। कुलदीप बताते हैं, बेहद गरीब परिवार की पायल को अनाथ आश्रम संचालकों ने कटड़ा भेजने से मना कर दिया था। तब डीएम चंचल राणा की मदद ली। संचालकों को समझाया गया कि वे उसे तीरंदाज बनाना चाहते हैं, तब उन्हें अनुमति मिली। 
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