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Zoho: सोशल मीडिया पर बयान के चलते ट्रोल हुए जोहो फाउंडर, कहा- बंगलूरू में कन्नड़ और मुंबई में मराठी बोलें
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Tue, 14 Oct 2025 04:18 PM IST
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सार
Zoho Founder Language Controversy: जोहो के फाउंडर श्रीधर वेंबु ने एक इंटरव्यू में कहा कि दूसरे राज्यों में काम करने वालों को वहां की लोकल भाषा सीखनी चाहिए, जैसे बेंगलुरु में कन्नड़ और मुंबई में मराठी। उनके इस बयान के बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स उनके विरोध में उतर आए हैं।

Zoho फाउंडर के बयान पर मचा घमासान
- फोटो : Zoho/X
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विस्तार
Zoho के फाउंडर श्रीधर वेंबु को स्वदेशी मैसेजिंग एप Arattai के लिए काफी सराहा जा रहा है। केंद्र सरकार भी मेक इन इंडिया मिशन के तहत स्वदेशी एप्स को बढ़ावा दा रही है। हाल ही में केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों ने Arattai और Zoho Mail जैसे एप्स को लेकर कंपनी की सराहना की, जिसके बाद इन एप्स को रातों-रात लाखों लोगों ने डाउनलोड किया। हालांकि, अब कंपनी के फाउंडर श्रीधर वेंबु को उनके एक बयान को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। उनके इस बयान के बाद कई लोगों ने Arattai एप को अनइंस्टॉल करना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं वेंबु ने क्या बयान दिया है।
"बेंगलुरु में कन्नड़ और मुंबई में मराठी बोलें"
एक मीडिया संस्था को दिए एक इंटरव्यू में Zoho को-फाउंडर श्रीधर वेंबु देश में स्थानीय भाषाओं के महत्व के बारे में बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज भी देश के ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में स्थानीय भाषा को लेकर काफी लगाव है, जो आमतौर पर बड़े शहरों में रहने वाले पढ़े-लिखे लोगों के बीच उतना नहीं देखा जाता। इंटरव्यू में बात-चीत के दौरान वेंबु ने कहा कि दूसरे राज्य जाकर काम करने वाले लोगों को वहां की लोकल भाषा सीखनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “तमिलनाडु में मैं तमिल बोलने पर जोर देता हूं। अगर आप बंगलूरू जाएं तो कन्नड़ सीखें, मुंबई जाएं तो मराठी सीखें। हर भारतीय भाषा की अपनी अहमियत है।”
"वैश्विक नागरिक की सोच से राष्ट्रीयता को नुकसान"
वैश्वीकरण के प्रभाव पर बात करते हुए वेंबू ने चिंता जताई कि कई शहरी भारतीय, खासतौर पर उच्च शिक्षित वर्ग, “वैश्विक नागरिक” सोच अपना चुके हैं, जिससे उनकी राष्ट्रीय पहचान कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षित वर्ग में राष्ट्रीय पहचान से दूरी बढ़ रही है। “देशभक्ति की भावना के बिना विकास का कोई अर्थ नहीं है,” उन्होंने कहा, और समाज के अभिजात्य वर्ग से अपील की कि वे भारत की सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व करें, न कि उनसे दूरी बनाएं।
लोगों को रास नहीं आया वेंबु का बयान
बता दें कि Zoho फाउंडर श्रीधर वेंबु का बयान उस समय आया है जब दक्षिण भारत समेत कई गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी बोलने पर लोगों को प्रताड़ित करने के कई मामले सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर वेंबु का बयान वायरल होते ही कई लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं। उनके विरोध में कुछ लोगों ने Arattai एप को अन-इंस्टॉल करते हुए वीडियो भी पोस्ट किया है।
लोगों ने एप को किया अन-इंस्टॉल
एक्स यूजर्स श्रीधर वेंबु के इस बयान की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। कई लोगों ने उनके बयान के विरोध में एप को रिमूव करते हुए स्क्रीन शॉट भी शेयर किया है। एक यूजर ने लिखा," क्या अब भाषा ही वफादारी तय करेगी? लोग नौकरी के लिए जाते हैं, व्याकरण की पढ़ाई के लिए नहीं। एकता को बढ़ावा दो, क्षेत्रीय स्पेलिंग प्रतियोगिता को नहीं।"
वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, "आज के जमाने में जहां भारत को एक भाषा की जरूरत है, आप एक तकनीकी विशेषज्ञ होने के नाते ठीक इसके उलट उपदेश दे रहे हैं। इस तरह की भाषाई लड़ाई हमें पीछे ही धकेलेगी।"
एक और एक्स यूजर ने लिखा, अगर हर राज्य इसी तरह भाषा संबंधी बाध्यताएं लागू करने लगे तो हम लोकतंत्र नहीं, बल्कि क्षेत्रीय निरंकुशता बन जाएंगे।"
Arattai App को लेकर भी झेल चुके हैं आलोचना
बता दें कि इसके पहले उन्हें Arattai App में एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन (End-to-end Encryption) के न होने के वजह से भी आलोचनाओं को सामना करना पड़ा था। एक यूजर द्वारा एप की कमजोर एनक्रिप्शन पर पूछे गए सवाल पर उनका कहना था कि Zoho का बिजनेस मॉडल "ट्रस्ट" पर आधारित है और कंपनी अपने यूजर्स के डेटा तक न तो पहुंचती है और न ही इसका उपयोग उन्हें कोई चीज बेचने के लिए करती है। उन्होंने कहा था कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन एक तकनीकी सुविधा है जो जल्द ही आ रही है।

"बेंगलुरु में कन्नड़ और मुंबई में मराठी बोलें"
एक मीडिया संस्था को दिए एक इंटरव्यू में Zoho को-फाउंडर श्रीधर वेंबु देश में स्थानीय भाषाओं के महत्व के बारे में बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज भी देश के ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में स्थानीय भाषा को लेकर काफी लगाव है, जो आमतौर पर बड़े शहरों में रहने वाले पढ़े-लिखे लोगों के बीच उतना नहीं देखा जाता। इंटरव्यू में बात-चीत के दौरान वेंबु ने कहा कि दूसरे राज्य जाकर काम करने वाले लोगों को वहां की लोकल भाषा सीखनी चाहिए।
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उन्होंने कहा, “तमिलनाडु में मैं तमिल बोलने पर जोर देता हूं। अगर आप बंगलूरू जाएं तो कन्नड़ सीखें, मुंबई जाएं तो मराठी सीखें। हर भारतीय भाषा की अपनी अहमियत है।”
🚨 Learn Kannada and Marathi if you are moving to Karnataka and Maharashtra. We need to promote Indian languages: Zoho CEO Sridhar Vembu. pic.twitter.com/6JvjcBRUaL
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) October 13, 2025
"वैश्विक नागरिक की सोच से राष्ट्रीयता को नुकसान"
वैश्वीकरण के प्रभाव पर बात करते हुए वेंबू ने चिंता जताई कि कई शहरी भारतीय, खासतौर पर उच्च शिक्षित वर्ग, “वैश्विक नागरिक” सोच अपना चुके हैं, जिससे उनकी राष्ट्रीय पहचान कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षित वर्ग में राष्ट्रीय पहचान से दूरी बढ़ रही है। “देशभक्ति की भावना के बिना विकास का कोई अर्थ नहीं है,” उन्होंने कहा, और समाज के अभिजात्य वर्ग से अपील की कि वे भारत की सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व करें, न कि उनसे दूरी बनाएं।
लोगों को रास नहीं आया वेंबु का बयान
बता दें कि Zoho फाउंडर श्रीधर वेंबु का बयान उस समय आया है जब दक्षिण भारत समेत कई गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी बोलने पर लोगों को प्रताड़ित करने के कई मामले सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर वेंबु का बयान वायरल होते ही कई लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं। उनके विरोध में कुछ लोगों ने Arattai एप को अन-इंस्टॉल करते हुए वीडियो भी पोस्ट किया है।
Hindi hi bolenge budhau pic.twitter.com/gvw57i88rT
— Oxygen 💨 (@WhateverVishal) October 13, 2025
लोगों ने एप को किया अन-इंस्टॉल
एक्स यूजर्स श्रीधर वेंबु के इस बयान की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। कई लोगों ने उनके बयान के विरोध में एप को रिमूव करते हुए स्क्रीन शॉट भी शेयर किया है। एक यूजर ने लिखा," क्या अब भाषा ही वफादारी तय करेगी? लोग नौकरी के लिए जाते हैं, व्याकरण की पढ़ाई के लिए नहीं। एकता को बढ़ावा दो, क्षेत्रीय स्पेलिंग प्रतियोगिता को नहीं।"
Oh please!! like language decides loyalty now? Bro, people move for jobs, not grammar lessons. Promote unity, not a regional spelling bee.
— Ayush (@ayushvoras) October 13, 2025
वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, "आज के जमाने में जहां भारत को एक भाषा की जरूरत है, आप एक तकनीकी विशेषज्ञ होने के नाते ठीक इसके उलट उपदेश दे रहे हैं। इस तरह की भाषाई लड़ाई हमें पीछे ही धकेलेगी।"
एक और एक्स यूजर ने लिखा, अगर हर राज्य इसी तरह भाषा संबंधी बाध्यताएं लागू करने लगे तो हम लोकतंत्र नहीं, बल्कि क्षेत्रीय निरंकुशता बन जाएंगे।"
In this day and age where India needs one language you being a techie is preaching the exact opposite. Why this sort of mentality exists? Globalisation needs our metropolitan states to become cosmopolitan. This sort of language scuffle will only drag us backward.
— Saptarshi Bhattacharjee (@NineApathy) October 13, 2025
Arattai App को लेकर भी झेल चुके हैं आलोचना
बता दें कि इसके पहले उन्हें Arattai App में एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन (End-to-end Encryption) के न होने के वजह से भी आलोचनाओं को सामना करना पड़ा था। एक यूजर द्वारा एप की कमजोर एनक्रिप्शन पर पूछे गए सवाल पर उनका कहना था कि Zoho का बिजनेस मॉडल "ट्रस्ट" पर आधारित है और कंपनी अपने यूजर्स के डेटा तक न तो पहुंचती है और न ही इसका उपयोग उन्हें कोई चीज बेचने के लिए करती है। उन्होंने कहा था कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन एक तकनीकी सुविधा है जो जल्द ही आ रही है।