Sora: अब सोरा एप पर फ्री में नहीं बना पाएंगे एआई वीडियो, 10 से ज्यादा कंटेंट क्रिएशन के लिए देने होंगे पैसे
ओपनएआई ने अपने यूजर्स के लिए एक बड़ा बदलाव किया है। कंपनी अब अपने सोरा एप पर एआई वीडियो जनरेट करने की सुविधा को आंशिक रूप से पेड बना रही है। यानी, यूजर्स को अब एक निश्चित सीमा पार करने के बाद अतिरिक्त वीडियो बनाने के लिए शुल्क देना होगा।
विस्तार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनी ओपनएआई ने अपने यूजर्स के लिए एक बड़ा बदलाव किया है। कंपनी अब अपने सोरा एप पर एआई वीडियो जनरेट करने की सुविधा को आंशिक रूप से पेड बना रही है। यानी, यूजर्स को अब एक निश्चित सीमा पार करने के बाद अतिरिक्त वीडियो बनाने के लिए शुल्क देना होगा।
क्या है सोरा एप?
सोरा एप ओपनएआई का एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां यूजर सिर्फ टेक्स्ट टाइप करके वीडियो जनरेट कर सकते हैं। यह एप चैटजीपीटी और डैल-ई (DALL-E) की तरह ही ओपनएआई के उन्नत जनरेटिव एआई टूल्स में से एक है। अब तक कंपनी इस सुविधा को फ्री एक्सेस में दे रही थी, लेकिन बढ़ते उपयोग और लागत के चलते अब इसमें टॉप-अप सिस्टम जोड़ा गया है।
10 से ज्यादा वीडियो बनाने के लिए देने होंगे 348 रुपए
ओपनएआई में सोरा प्रोजेक्ट के प्रमुख बिल पेबल्स ने बताया कि अगर कोई यूजर अपनी डेली लिमिट पूरी कर लेता है, तो अब वह $4 (करीब 348 रुपए) देकर 10 अतिरिक्त वीडियो जनरेट कर सकेगा। कंपनी ने इसकी तुलना मोबाइल डेटा पैक खत्म होने पर होने वाले रिचार्ज से की है, जिसे 'टॉप-अप मॉडल' कहा जा रहा है।
फ्री यूजर्स और सब्सक्राइबर्स के लिए क्या बदलेगा?
चैटजीपीटी प्लस यूजर्स को हर दिन 30 फ्री वीडियो जनरेशन की सुविधा मिलेगी। चैटजीपीटी प्रो यूजर्स को 100 फ्री वीडियो जनरेशन मिलेंगे। इन लिमिट्स के बाद, यूजर्स को $4 देकर 10 एक्स्ट्रा वीडियो बनाने का विकल्प दिया जाएगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
ओपनएआई ने कहा है कि कंपनी को अपने डेटा सेंटर्स और एआई मॉडल्स को मेंटेन करने में अरबों डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में पूरी तरह फ्री सर्विस देना लंबे समय के लिए मुमकिन नहीं है। कंपनी आने वाले समय में अपने एआई फीचर्स को प्रीमियम टियर्स और एड-ऑन पैक्स के रूप में पेश करने की योजना बना रही है।
चैटजीपीटी में भी आ सकते हैं एड्स और मेमोरी फीचर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओपनएआई जल्द ही चैटजीपीटी में विज्ञापन और मेमोरी फीचर जोड़ने की तैयारी कर रहा है। मेमोरी फीचर से यूजर्स अपने पुराने चैट्स को एक्सेस कर पाएंगे, ठीक उसी तरह जैसे वेबसाइट कुकीज काम करती हैं। हालांकि, अगर इस डेटा का इस्तेमाल पर्सनलाइज्ड एड्स दिखाने के लिए किया गया, तो यह डेटा प्राइवेसी पर नई बहस छेड़ सकता है।
भविष्य की झलक
ओपनएआई का यह कदम इस बात का संकेत है कि अब एआई सेवाओं का फ्री दौर खत्म होने की ओर है। जैसे-जैसे यूजर्स इन टूल्स का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं, कंपनियां इन्हें मॉनेटाइज करने के नए तरीके तलाश रही हैं। सोरा एप का यह टॉप-अप मॉडल आने वाले समय में एआई वीडियो क्रिएशन इंडस्ट्री का नया मानक बन सकता है।