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SC: डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच CBI को सौंपने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट, सभी राज्यों से मांगी रिपोर्ट

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Mon, 27 Oct 2025 12:29 PM IST
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सार

देशभर में बढ़ते डिजिटल अरेस्ट स्कैम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए साइबर अरेस्ट मामलों की पूरी जानकारी मांगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

supreme court digital arrest scam notice to all states and union territories
डिजिटल अरेस्ट - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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देशभर में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट घोटालों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी जा सकती है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस तरह के मामलों में दर्ज FIR की जानकारी मांगी है।


CBI को सौंपी जा सकती है जांच की जिम्मेदारी
कोर्ट ने कहा कि इन अपराधों की व्यापकता और देशव्यापी नेटवर्क को देखते हुए अब जांच का दायरा सीबीआई के स्तर पर बढ़ाया जाना जरूरी है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इन साइबर अपराधों की जड़ें म्यांमार और थाईलैंड जैसे विदेशी ठिकानों से जुड़ी हुई हैं। कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह इन मामलों की जांच के लिए एक ठोस कार्य योजना तैयार करें और कोर्ट को प्रस्तुत करें।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम सीबीआई की जांच की प्रगति की निगरानी करेंगे और जरूरत पड़ने पर आगे के निर्देश भी जारी करेंगे।” इसके साथ ही कोर्ट ने एजेंसी से यह भी पूछा कि क्या उन्हें इन मामलों की जांच के लिए अधिक संसाधन या विशेषज्ञों की आवश्यकता है।

कोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी याद दिलाया कि उसने 17 अक्टूबर को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर हो रही ऑनलाइन ठगी पर स्वतः संज्ञान लिया था। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे अपराध जनता के न्याय व्यवस्था पर भरोसे की जड़ पर वार करते हैं।

यह मामला तब चर्चा में आया जब हरियाणा के अंबाला में एक वरिष्ठ नागरिक दंपति को फर्जी न्यायिक आदेश दिखाकर 1.05 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। कोर्ट ने कहा कि यह कोई सामान्य अपराध नहीं है, बल्कि एक ऐसा नेटवर्क है जिसके खिलाफ राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर समन्वित कार्रवाई जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट अब 3 नवंबर को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा।
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