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कुमाऊं रेजीमेंट की बहादुरी के किस्से: रुके न-थके न, उस हौसले का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा, बेहद खास है आज का दिन

संवाद न्यूज एजेंसी, रानीखेत (नवीन भट्ट)। Published by: हल्द्वानी ब्यूरो Updated Thu, 03 Nov 2022 05:05 PM IST
सार

परमवीर चक्र प्राप्त विजेता सोमनाथ शर्मा के नाम से रानीखेत में कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र ने सैन्य मैदान का नाम सोमनाथ रखा गया है। तीन नवंबर की रात सोमनाथ शर्मा को दक्षिणी बडगाम का मोर्चा मिला। 700 दुश्मनों ने उनकी कंपनी पर मोर्टारों और छोटी मशीनगनों से हमला बोल दिया।

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Kumaon regiment Major Somnath Sharma Inspirational Story 3rd November Special Day Uttarakhand news in hindi
मेजर सोमनाथ शर्मा। - फोटो : RANIKHET
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कुमाऊं रेजीमेंट की बहादुरी के किस्से जब-जब कहे जाएंगे उनमें मेजर सोमनाथ शर्मा का नाम जरूर आएगा। उनके हौसले और जज्बे ने पाक घुसपैठियों (कबाइलियों) के नापाक इरादों को पस्त कर दिया था। तीन नवंबर 1947 को देर रात कश्मीर की एक ब्रिगेड के हेडक्वार्टर में चार कुमाऊं रेजीमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा का वायरलेस संदेश पहुंचा।

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दुश्मन हमसे केवल 50 गज दूर है, हम संख्या में बहुत कम हैं और भारी गोलाबारी में फंसे हैं। मैं एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा और अंतिम आदमी, अंतिम गोली तक लड़ता रहूंगा। कुछ देर बाद ही सूचना आई कि मेजर शर्मा घुसपैठियों से मोर्चा लेते हुए मोर्टार की चपेट में आकर वीरगति को प्राप्त हो गए हैं। उनके अभूतपूर्व साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत देश का पहला परमवीर चक्र मिला।

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मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी 1923 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में हुआ था। 22 फरवरी 1942 को उन्होंने सेना में कमीशन प्राप्त किया। नवंबर 1947 में कश्मीर पर कबाइलियों ने हमला बोल दिया। शर्मा उस वक्त चार कुमाऊं रेजीमेंट कंपनी का नेतृत्व कर रहे थे। हमले से श्रीनगर और बडगाम हवाई अड्डे के लिए खतरा उत्पन्न हो गया।

जब सोमनाथ शर्मा को दक्षिणी बडगाम का मोर्चा मिला
तीन नवंबर की रात सोमनाथ शर्मा को दक्षिणी बडगाम का मोर्चा मिला। 700 दुश्मनों ने उनकी कंपनी पर मोर्टारों और छोटी मशीनगनों से हमला बोल दिया। उनकी कंपनी के जवान शहीद होने लगे लेकिन श्रीनगर ऐरोड्रम और बडगाम की सुरक्षा के लिए मेजर ने दुश्मन को उलझाए रखा।

मेजर सोमनाथ खुले मैदान में भारी गोलाबारी के बीच इधर उधर दौड़कर जवानों का हौसला बढ़ाते रहे और जवाबी हमले करते रहे। हाथ में प्लास्टर लगा होने के बावजूद वह मैगजीनों में गोलियां भरकर जवानों को देते रहे। इसी बीच एक मोर्टार का गोला उनके पास रखे विस्फोटकों में गिरा और विस्फोट के साथ वीरगति को प्राप्त हो गए। मेजर सोमनाथ तथा उनके साथियों की बहादुरी तथा बलिदान के बलबूते बडगाम हवाई अड्डा बच गया।

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रानीखेत में उनके नाम पर है सोमनाथ मैदान
परमवीर चक्र प्राप्त विजेता सोमनाथ शर्मा के नाम से रानीखेत में कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र ने सैन्य मैदान का नाम सोमनाथ रखा गया है। यहां म्यूजियम में उनके युद्ध के समय की कई सामग्रियां तथा उनकी यादों से जुड़ी कई चीजें उपलब्ध हैं। तीन नवंबर 1947 को वे शहीद हो गए थे। आज उनकी 75वीं पुण्यतिथि है। 

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