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Rishikesh News: चंद्रग्रहण के सूतक में थमा तर्पण-पिंडदान

Dehradun Bureau देहरादून ब्यूरो
Updated Mon, 08 Sep 2025 02:12 AM IST
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Tarpan-Pinddaan stopped during the Sutak of lunar eclipse
चंद्रग्रहण को लेकर बंद रहे मंदिर के कपाट। संवाद - फोटो : संवाद
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संवाद न्यूज एजेंसी
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ऋषिकेश। तीर्थनगरी के गंगा घाटों पर रविवार सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पितृ पक्ष पर अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान किया।
गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हुए श्रद्धालुओं ने ब्राह्मणों का आशीर्वाद प्राप्त किया और जरूरतमंदों को भोजन वितरण कर पुण्य कमाया। हालांकि दोपहर बाद चंद्रग्रहण का सूतक काल लगते ही तर्पण और पिंडदान पर रोक लगा दी गई। मान्यताओं के अनुसार, सूतक और ग्रहण काल में धार्मिक अनुष्ठान वर्जित होते हैं। इस कारण गंगा घाटों पर चल रहे कर्मकांड सुबह तक स्थगित कर दिए गए।
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रविवार को चंद्र ग्रहण लगने से पहले तीर्थनगरी के प्रमुख मंदिरों में दोपहर 12 बजे ही विधिवत पूजन-अर्चना और आरती के बाद कपाट बंद कर दिए गए। पंडित वेदप्रकाश शास्त्री ने बताया कि रविवार रात नौ बजे से लगने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक काल नौ घंटे पहले ही शुरू हो गया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक और ग्रहण काल में पूजा पाठ और भोजन निषेध माना जाता है। इस दौरान नीलकंठ महादेव मंदिर, सोमेश्वर महादेव मंदिर, वीरभद्र महादेव मंदिर, प्राचीन रघुनाथ मंदिर, सिद्धपीठ हनुमान मंदिर, दुर्गा मंदिर समेत तीर्थनगरी के प्रमुख मंदिरों के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ के लिए बंद कर दिए गए।
ग्रहण समाप्त होने के बाद सोमवार प्रात:काल चार बजे मंदिरों में शुद्धिकरण के बाद कपाट खुलेंगे। भगवान को स्नान और भोग अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट दर्शनार्थ खोले जाएंगे। गंगा सभा कि ओर से त्रिवेणीघाट पर आयोजित होने वाली दैनिक गंगा आरती, स्वर्गाश्रम, मुनि की रेती, तपोवन और लक्ष्मणझूला क्षेत्र में आयोजित गंगा आरती भी ग्रहण के चलते स्थगित हो गई।
नीलकंठ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद लक्ष्मणझूला टूरिस्ट टैक्सी ऑनर्स एसोसिएशन की ओर से वाहनों का संचालन भी बंद हो गया। एसोसिएशन के अध्यक्ष भगत सिंह पयाल ने बताया कि सूतक के कारण नीलकंठ मंदिर के कपाट बंद होने के कारण अपराह्न 1 बजे बाद वाहनों का संचालन बंद हो गया। सोमवार को वाहन नियमित रूप से चलेंगे।
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