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Uttarkashi News: 15 वर्ष में भी नहीं बन पाया अपना भवन
संवाद न्यूज एजेंसी, उत्तर काशी
Updated Wed, 07 May 2025 06:54 PM IST
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वर्ष 2010, 12-13 की आपदा प्रभावितों को भवन निर्माण के लिए नहीं मिली उपयुक्त भूमि
प्रभावितों ने जिला प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
भटवाड़ी। वर्ष 2010 और 2012 और 13 की आपदा में जिन लोगों के भवन ध्वस्त हो गए थे। उन्हें प्रशासन की ओर से भूमि उपलब्ध करवाई गई, लेकिन अभी भी कई आपदा प्रभावितों को दी गई भूमि उपयुक्त नहीं होने के कारण वे भवन निर्माण नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन से मदद की मांग की है।
विकासखंड मुख्यालय भटवाड़ी में वर्ष 2010 में भू-धंसाव के कारण गंगोत्री हाईवे और कई लोगों के मकान ध्वस्त हो गए थे। वहीं 2012 और 13 में आई बाढ़ में भी कुछ परिवारों के मकान बह गए थे। उनको तत्कालीन विधायक स्व. गोपाल रावत की मदद से प्रशासन ने ऊर्जा निगम की कॉलोनी में शिफ्ट किया। उसके बाद शासन ने आपदा प्रभावितों की मांग पर उन्हें भवन के लिए भूमि उपलब्ध करवाई। अब उन लोगों ने उस भूमि पर भवनों का निर्माण शुरू कर दिया है।
वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें भूमि तो आवंटित हुई, लेकिन वह मकान बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है। आपदा प्रभावित राकेश रतूड़ी, गया प्रसाद नौटियाल का कहना है कि भूमि आवंटित तो हुई, लेकिन उपयुक्त न होने के कारण वह भवन नहीं बना पा रहे। उनका कहना है कि इस संबंध में जिला प्रशासन को लिखित दिया गया। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। तहसीलदार सुरेश सेमवाल ने कहा कि इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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प्रभावितों ने जिला प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
भटवाड़ी। वर्ष 2010 और 2012 और 13 की आपदा में जिन लोगों के भवन ध्वस्त हो गए थे। उन्हें प्रशासन की ओर से भूमि उपलब्ध करवाई गई, लेकिन अभी भी कई आपदा प्रभावितों को दी गई भूमि उपयुक्त नहीं होने के कारण वे भवन निर्माण नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन से मदद की मांग की है।
विकासखंड मुख्यालय भटवाड़ी में वर्ष 2010 में भू-धंसाव के कारण गंगोत्री हाईवे और कई लोगों के मकान ध्वस्त हो गए थे। वहीं 2012 और 13 में आई बाढ़ में भी कुछ परिवारों के मकान बह गए थे। उनको तत्कालीन विधायक स्व. गोपाल रावत की मदद से प्रशासन ने ऊर्जा निगम की कॉलोनी में शिफ्ट किया। उसके बाद शासन ने आपदा प्रभावितों की मांग पर उन्हें भवन के लिए भूमि उपलब्ध करवाई। अब उन लोगों ने उस भूमि पर भवनों का निर्माण शुरू कर दिया है।
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वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें भूमि तो आवंटित हुई, लेकिन वह मकान बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है। आपदा प्रभावित राकेश रतूड़ी, गया प्रसाद नौटियाल का कहना है कि भूमि आवंटित तो हुई, लेकिन उपयुक्त न होने के कारण वह भवन नहीं बना पा रहे। उनका कहना है कि इस संबंध में जिला प्रशासन को लिखित दिया गया। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। तहसीलदार सुरेश सेमवाल ने कहा कि इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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