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Scotland: 'भारत का संविधान एक जीवंत और बदलता हुआ दस्तावेज है', एडिनबर्ग लॉ स्कूल में बोले सीजेआई बीआर गवई
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, एडिनबर्ग
Published by: पवन पांडेय
Updated Sat, 14 Jun 2025 08:34 PM IST
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बीआर गवई, सीजेआई
- फोटो : ANI
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भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा है कि भारतीय संविधान एक जीवंत, जैविक और विकसित होता हुआ दस्तावेज है, जो समय और परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालता है। शुक्रवार को एडिनबर्ग लॉ स्कूल में 'एक विकसित होता हुआ संविधान' विषय पर भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में संविधान में कई बार संशोधन किए गए हैं ताकि बदलते समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके।
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सीजेआई बीआर गवई ने कहा, 'जब-जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से संविधान की व्याख्या को लेकर कुछ मुद्दे सामने आए, तब-तब संसद ने जिम्मेदारी से काम लिया और संविधान में संशोधन करके नई पीढ़ियों और परिस्थितियों की जरूरतों के अनुसार बदलाव किए।' इससे पहले उन्होंने संविधान को 'स्याही में उकेरी गई एक शांत क्रांति' और एक ऐसा परिवर्तनकारी दस्तावेज बताया था जो केवल अधिकार नहीं देता, बल्कि ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों को सशक्त भी करता है।
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मंगलवार को लंदन के ऑक्सफोर्ड यूनियन में 'प्रतिनिधित्व से साकारता तक: संविधान के वादे को जीवंत बनाना' विषय पर बोलते हुए सीजेआई गवई ने बताया कि कैसे संविधान ने हाशिए पर खड़े समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। उन्होंने अपने जीवन के उदाहरण से यह बात स्पष्ट की। न्यायाधीश बीआर गवई भारत के पहले बौद्ध और दूसरे दलित व्यक्ति हैं जिन्हें सर्वोच्च न्यायिक पद मिला है।
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सीजेआई बीआर गवई ने कहा, 'जब-जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से संविधान की व्याख्या को लेकर कुछ मुद्दे सामने आए, तब-तब संसद ने जिम्मेदारी से काम लिया और संविधान में संशोधन करके नई पीढ़ियों और परिस्थितियों की जरूरतों के अनुसार बदलाव किए।' इससे पहले उन्होंने संविधान को 'स्याही में उकेरी गई एक शांत क्रांति' और एक ऐसा परिवर्तनकारी दस्तावेज बताया था जो केवल अधिकार नहीं देता, बल्कि ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों को सशक्त भी करता है।
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