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नेपाल में असंतोष का प्रतीक गीत: कुशासन के खिलाफ 'गाउँ-गाउँ बाट उठ' से बुलंद हुई आवाज; अब अंतिम विदाई की पीड़ा
अमर उजाला ब्यूरो, काठमांडो।
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Mon, 15 Sep 2025 12:32 PM IST
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सार
नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद नई सुबह की शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन तथ्य यह भी है कि देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा है। आंदोलन का एक और पहलू ये भी है कि इस देश में कुशासन के खिलाफ 'गाउँ-गाउँ बाट उठ' शीर्षक के प्रतीक गीत से युवाओं ने अपनी आवाज बुलंद की। अब काठमांडो से पीड़ा के ऐसे मंजर सामने आ रहे हैं जहां लोग अंतिम विदाई सह नहीं पा रहे हैं। पढ़िए काठमांडो से यह रिपोर्ट

नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद का मंजर
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
नेपथ्य यानी रंगमंच के पीछे की वो जगह, जहां कलाकार मंच पर उतरने से पहले अपनी तैयारी करते हैं। नेपाल में जेन-जी के सड़कों पर उतरने में कुछ यही भूमिका लोकप्रिय म्यूजिक बैंड नेपथ्य ने निभाई। संगीत को समर्पित बैंड ने भले ही कभी ऐसे हिंसक आंदोलन की कल्पना न की हो, पर उसके गाने गाउँ गाउँ बाट उठ ने जेन-जी में ऐसी ऊर्जा भरी कि वे भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ आवाज बुलंद करने उतर पड़े।

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किस गीत ने युवाओं के आक्रोश को आवाज दी
नेपाल में आठ सितंबर को विरोध-प्रदर्शन से एक दिन पहले म्यूजिक बैंड नेपथ्य ने अपने हिट गाने गाउँ-गाउँ बाट उठ, बस्ती-बस्ती बाट उठ की एक क्लिप साझा की, जिसका मतलब है-गांव-गांव से उठो, बस्ती-बस्ती से उठो। अगली सुबह नई ऊर्जा से भरे युवा मैतीघर मंडला में जुटे तो लाउडस्पीकर पर जगह-जगह यही गाना बन रहा था। यही गाना बजाया जा रहा था। इससे एक ऐसी ऊर्जा पैदा हुई, जिसे देखा और महसूस किया जा सकता था, क्योंकि युवा बदलाव की मांग करते हुए आगे बढ़ रहे थे।
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ये भी पढ़ें- Nepal: आंदोलन में अरबों का नुकसान, हजारों बेरोजगार...बड़ी कीमत चुका रहा नेपाल

28 साल के सुभालाल बालमई के अंतिम संस्कार के दौरान असहनीय पीड़ा का मंजर
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट / एजेंसी
अपनों को खोने की पीड़ा
पड़ोसी मुल्क के जेन-जी आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। हिंसा, आगजनी और उपद्रव के दौरान अपनों को खोने वाले परिवारों में 28 साल के सुभालाल बालमई के परिजन भी हैं। सुभाष के अंतिम संस्कार के दौरान रविवार को परिवार के लोग रोने लगे।
पड़ोसी मुल्क के जेन-जी आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। हिंसा, आगजनी और उपद्रव के दौरान अपनों को खोने वाले परिवारों में 28 साल के सुभालाल बालमई के परिजन भी हैं। सुभाष के अंतिम संस्कार के दौरान रविवार को परिवार के लोग रोने लगे।

नेपाल के जेन-जी आंदोलन में हुई हिंसा के बाद का संघर्ष
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट / एजेंसी
खुले में हो रहे न्याय से जुड़े काम
जेन-जी आंदोलन के दौरान गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को भारी नुकसान पहुंचाया। सुप्रीम कोर्ट में कई अहम फाइलें जलकर राख हो गईं। सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी रविवार को खुले में काम निपटाते दिखे।
जेन-जी आंदोलन के दौरान गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को भारी नुकसान पहुंचाया। सुप्रीम कोर्ट में कई अहम फाइलें जलकर राख हो गईं। सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी रविवार को खुले में काम निपटाते दिखे।

नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद का मंजर
- फोटो : एएनआई
पहली बार नहीं जब आंदोलन में किसी खास गाने का इस्तेमाल हुआ
वापस लौटते हैं नेपाल में असंतोष का प्रतीक गीत बन चुके 'गाउँ-गाउँ बाट उठ' गीत पर। काठमांडो पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहली बार नहीं है जब इस गाने का इस्तेमाल किसी आंदोलन में किया गया हो। श्याम तामोट के लिखे इस गाने का लोकतांत्रिक आंदोलनों में व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया गया और करीब तीन दशकों (1960-1990) तक इसकी सत्ता-विरोधी छवि बनी रही। इसे संकल्प गीत भी कहा जाता है, जिसे असंतोष व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।
वापस लौटते हैं नेपाल में असंतोष का प्रतीक गीत बन चुके 'गाउँ-गाउँ बाट उठ' गीत पर। काठमांडो पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहली बार नहीं है जब इस गाने का इस्तेमाल किसी आंदोलन में किया गया हो। श्याम तामोट के लिखे इस गाने का लोकतांत्रिक आंदोलनों में व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया गया और करीब तीन दशकों (1960-1990) तक इसकी सत्ता-विरोधी छवि बनी रही। इसे संकल्प गीत भी कहा जाता है, जिसे असंतोष व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।

नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद का मंजर
- फोटो : एएनआई
युवाओं ने गाने को अक्षम सरकार को गिराने का हथियार बना लिया
इस गाने का वर्तमान वर्जन भी मूल गाने जितना ही लोकप्रिय है। इस गाने की एक पंक्ति है, साथ मा केई ना हुने हारु, आवाज लिएरा उठा (जिनके पास कुछ नहीं है, अपनी आवाज उठाओ), और जेन-जी ने यही किया। नई पीढ़ी ने अपने एकमात्र हथियार यानी अपनी आवाज को ही एक अक्षम सरकार को गिराने का हथियार बना लिया।
इस गाने का वर्तमान वर्जन भी मूल गाने जितना ही लोकप्रिय है। इस गाने की एक पंक्ति है, साथ मा केई ना हुने हारु, आवाज लिएरा उठा (जिनके पास कुछ नहीं है, अपनी आवाज उठाओ), और जेन-जी ने यही किया। नई पीढ़ी ने अपने एकमात्र हथियार यानी अपनी आवाज को ही एक अक्षम सरकार को गिराने का हथियार बना लिया।

नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद का मंजर
- फोटो : एएनआई
एनिमेशन और मीम्स ने भी किया एकजुट
संगीत के अलावा जापानी एनिमेशन वन पीस और तमाम तरह के मीम्स भी जेन-जी को एकजुट करने में पीछे नहीं रहे। जेन-जी ने जुलाई में इंडोनेशिया में शुरू हुए एक ऐसे ही आंदोलन के प्रतीक समुद्री डाकू वाला झंडे का भी इस्तेमाल किया, जिसे जापानी एनिमेशन वन पीस से लिया गया है।
संगीत के अलावा जापानी एनिमेशन वन पीस और तमाम तरह के मीम्स भी जेन-जी को एकजुट करने में पीछे नहीं रहे। जेन-जी ने जुलाई में इंडोनेशिया में शुरू हुए एक ऐसे ही आंदोलन के प्रतीक समुद्री डाकू वाला झंडे का भी इस्तेमाल किया, जिसे जापानी एनिमेशन वन पीस से लिया गया है।

नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद का मंजर
- फोटो : एएनआई
पॉप संस्कृति बदलाव चाहने वाली पीढ़ी को प्रेरित कर रही है
एनिमेशन में इस्तेमाल किया झंडा अन्यायी शासकों के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक है। इसी तरह, कुछ प्रदर्शनकारी हिट टीवी सीरीज द ऑफिस में स्टीव कैरेल के किरदार माइकल स्कॉट के चेहरे वाली तस्वीर पकड़े दिखे। ये प्रतीक न केवल ध्यान आकृष्ट करते हैं, बल्कि ये भी दर्शाते हैं कि पॉप संस्कृति बदलाव चाहने वाली पीढ़ी को कैसे प्रेरित कर सकती है।
एनिमेशन में इस्तेमाल किया झंडा अन्यायी शासकों के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक है। इसी तरह, कुछ प्रदर्शनकारी हिट टीवी सीरीज द ऑफिस में स्टीव कैरेल के किरदार माइकल स्कॉट के चेहरे वाली तस्वीर पकड़े दिखे। ये प्रतीक न केवल ध्यान आकृष्ट करते हैं, बल्कि ये भी दर्शाते हैं कि पॉप संस्कृति बदलाव चाहने वाली पीढ़ी को कैसे प्रेरित कर सकती है।