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US: अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय का बड़ा योगदान, जानिए भारतवंशी किन क्षेत्रों में लहरा रहे परचम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Sat, 15 Jun 2024 08:04 PM IST
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सार

अमेरिका में 2023 तक भारतीय-अमेरिकी समुदाय की संख्या बढ़कर पचास लाख तक पहुंच गई है। और एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने कई बाधाओं को पार करते हुए अब अमेरिका में सबसे प्रभावशाली समुदाय में से एक बनने का गौरव हासिल कर लिया है।

Small Indian-American community making grand contributions in the US: Report
अमेरिका में भारतवंशी लहरा रहे परचम - फोटो : iStock
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विश्व के कई बड़े देशों में भारतीय अपने प्रतिभा से लोहा मनवा रहे हैं। वहीं एक ताजा रिपोर्टे के मुताबिक अमेरिका में छोटे भारतीय-अमेरिकी समुदाय काफी बड़ा योगदान कर रहे हैं। इंडियास्पोरा के संस्थापक एमआर रंगास्वामी का कहना है कि, भारतीय अमेरिकी अमेरिकी आबादी के केवल 1.5 प्रतिशत हिस्सा हैं। फिर भी वे अमेरिकी समाज के कई पहलुओं पर काफी बड़ा और सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय अमेरिकी द्वारा इस्तेमाल नई चीजें देश में निचले स्तर तक पहुंचती है और आर्थिक विकास के अगले चरण के लिए एक बेहतर आधार बना रहा है।
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बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की तरफ से आयोजित 'इंडियास्पोरा इम्पैक्ट रिपोर्ट: छोटे समुदाय, बड़े योगदान' अमेरिका में सार्वजनिक सेवा, व्यवसाय, संस्कृति और नवाचार पर विशेष ध्यान देने के साथ, भारतीय प्रवासियों के प्रभाव को देखने वाली श्रृंखला का पहला खंड है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वित्तीय प्रभाव उन व्यक्तियों के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, जिन्होंने अपने नए घर में सार्थक योगदान देने के लिए चुनौतियों को पार किया।
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500 कंपनियों के प्रमुख हैं भारतीय मूल के लोग
भारतीय मूल के सीईओ 16 फॉर्च्यून 500 कंपनियों के प्रमुख हैं, जिनमें गूगल के सुंदर पिचाई और वर्टेक्स फार्मास्यूटिकल्स की रेशमा केवलरमानी शामिल हैं। ये नेता सामूहिक रूप से 2.7 मिलियन अमेरिकियों को रोजगार देते हैं और लगभग एक ट्रिलियन का राजस्व उत्पन्न करते हैं। यह सभी जानते है कि भारतीय अमेरिकी प्रमुख कॉर्पोरेशन का नेतृत्व करते हैं, लेकिन उनका प्रभाव बड़े व्यवसायों से कहीं आगे तक जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय-अमेरिकियों की स्टार्टअप दुनिया में अहम उपस्थिति दर्ज कराते हैं, लगभग 648 अमेरिकी यूनिकॉर्न में से 72 के सह-संस्थापक भारतीय हैं। कैम्ब्रिज मोबाइल टेलीमैटिक्स और सोलजेन जैसी ये कंपनियां 55 हजार से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं और इनकी आमदनी 195 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

मेडिकल क्षेत्र में भी भारतीयों का बड़ा योगदान
2023 में भारतीय मूल के वैज्ञानिकों ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के सभी अनुदानों में से लगभग 11 फीसदी हासिल की और 13 प्रतिशत वैज्ञानिक प्रकाशनों में योगदान भी दिया है। इनमें इम्यूनोथेरेपी में सबसे आगे और कैंसर रोगियों के लिए नई उम्मीद लेकर आए नवीन वरदराजन हैं। नेशनल साइंस फाउंडेशन के पूर्व निदेशक सुब्रा सुरेश, जिनके बायोमेडिकल उपकरणों के पेटेंट ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में क्रांति लायी है। भारतीय मूल के तकरीबन 22 हजार से ज्यादा सदस्य अमेरिका के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। जिसमें करीब 2.6 फीसदी तो स्थायी हैं। इसमें कई नेता भी शामिल हैं, जैसे पेन स्टेट की पहली महिला अध्यक्ष डॉ. नीली बेंडापुडी और स्टैनफोर्ड के डोएर स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के पहले डीन अरुण मजूमदार।

लोकतांत्रिक क्षेत्र में भी भारतीय अमेरिकी की अहम उपस्थिति 
अमेरिका में कई भारतीय अमेरिकी सीनेटर, प्रतिनिधि और मेयर के रूप में उभरकर लोकतांत्रिक क्षेत्र में अपनी अहम उपस्थिति भी दर्ज करा रहे हैं। पिछले दशक में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भारतीय अमेरिकी शामिल हो रहे हैं। इसमें 2013 में संघीय प्रशासन में 60 से अधिक अहम पदों पर आसीन हुए हैं। इसमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी शामिल हैं, जिन्होंने उपराष्ट्रपति पद को ग्रहण करने पहली महिला बनीं और इतिहास भी रचा।
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