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टोक्यो ओलंपिक: खिलाड़ियों के मन में भय बन कर बैठा है कोरोना वायरस, दिलो-दिमाग पर दिख रहा असर
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, टोक्यो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 30 Jul 2021 04:56 PM IST
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सार
रूस की जिमनास्ट एंजेलीना मेलनिकोवा ने जापान टाइम्स से कहा- ‘2019 से ही खिलाड़ियों को कठिन डगर पर चलना पड़ा है। 2020 में जब हमें पता चला कि महामारी के कारण ओलंपिक खेल स्थगित गए हैं, तो हमारी ट्रेनिंग रोक दी गई। बाद में डेढ़ साल तक सबसे अलग-थलग रखते हुए हमें ट्रेनिंग दी गई।’

टोक्यो ओलंपिक
- फोटो : social media
विस्तार
कोरोना संक्रमण के भय, सबसे अलग-थलग रहने, और बिना दर्शकों की मौजूदगी के प्रदर्शन करने की मजबूरी का यहां ओलंपिक खेलों के लिए आए एथलीटों के दिलो-दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ा है। यहां महामारी के माहौल में अपने देश की उम्मीदों का बोझ उठाना खिलाड़ियों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। इसी दबाव के कारण बीते मंगलवार को अमेरिका की मशहूर जिमनास्ट सिमोनी बाइल्स ने ओलंपिक से हटने का एलान किया।
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बाइल्स ने कहा- ‘आम हालात में आप (ओलंपिक गांव) में घूमते-फिरते रहते हैं। जब आपके ऊपर दुनियाभर का बोझ हो, तो उसका असर होता है। (मौजूदा माहौल में) उससे उबरने का कोई रास्ता नहीं है, भले आपको कितना ही प्रशिक्षण दिया गया हो।’ पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि ओलंपिक खेलों के लिए आने के पहले भी अपने-अपने देशों में खिलाड़ियों को महामारी और लॉकडाउन जैसे माहौल का सामना करना पड़ा। उससे उनकी ट्रेनिंग प्रभावित हुई। क्वालीफिकेशन के लिए होने वाले मैचों का कार्यक्रम बदलता रहा। अब स्थिति यह है कि जब खिलाड़ी प्रदर्शन करते हैं, तो उनका हौसला बढ़ाने के लिए वहां उनके परिवार के सदस्य और दोस्त मौजूद नहीं होते। साथ ही यहां कहीं आने-जाने पर कड़े प्रतिबंध लगे हुए हैं।
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बात सिर्फ सिमोनी बाइल्स की नहीं है। अमेरिकी तैराक कैटी लेडेकी भी ऊंची उम्मीदों के साथ इन ओलंपिक खेलों में आईं। उन्होंने टोक्यो के अखबार जापान टाइम्स से कहा कि बाइल्स जैसी बड़ी एथलीट को जो मनोवैज्ञानिक दबाव झेलना पड़ा होगा, उसे समझना आसान है। अपनी स्पर्धा से पहले लेडेकी ने अपने देशवासियों से कहा- मैं जीतती हूं या नहीं, इससे ज्यादा अमेरिका के लोगों को इस बात की चिंता करनी चाहिए कि बाकी दुनिया में क्या हो रहा है। बाद में लेडेकी ने अपने देश के लिए 1500 मीटर तैराकी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
रूस की जिमनास्ट एंजेलीना मेलनिकोवा ने जापान टाइम्स से कहा- ‘2019 से ही खिलाड़ियों को कठिन डगर पर चलना पड़ा है। 2020 में जब हमें पता चला कि महामारी के कारण ओलंपिक खेल स्थगित गए हैं, तो हमारी ट्रेनिंग रोक दी गई। बाद में डेढ़ साल तक सबसे अलग-थलग रखते हुए हमें ट्रेनिंग दी गई।’ मेलनिकोवा उस टीम स्पर्धा में शामिल थीं, जिसने अमेरिकी टीम को हराते हुए स्वर्ण पदक जीता।
कुछ एथलीट खुद कोविड-19 के संक्रमण का शिकार हो गए। इससे भी उनके प्रशिक्षण पर असर पड़ा। ब्रिटेन के तैराक टॉम डीन ऐसे ही खिलाड़ियों में हैं। वे दो बार इस संक्रमण से पीड़ित हुए। इससे उनकी ट्रेनिंग प्रभावित हुई थी। इसके बावजूद इसी हफ्ते उन्होंने पुरुषों की 200 मीटर फ्री स्टाइल तैराकी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने जापान टाइम्स से कहा- ‘मैं 12 महीनों के अंदर दो बार कोविड-19 से संक्रमित हुआ। तब अपने कमरे में आइसोलेशन में वक्त गुजारते हुए मुझे ओलंपिक स्वर्ण पदक खुद से मीलों दूर नजर आता था।’
लेकिन कोरोना संक्रमित हुए सभी एथलीट डीन जितने सौभाग्यशाली नहीं हैं। दक्षिण कोरिया के तलवारबाज ओह सांगुक अपने सर्वोत्तम प्रदर्शन ओलंपिक खेलों में नहीं कर पाए। वे क्वार्टर फाइनल में ही हार गए। उन्होंने कहा- ‘मुझे ऐसा लगता है कि मेरी शारीरिक ताकत घट गई है। जब मैं इसके बारे में सोचता हूं तो मुझे लगता है कि मेरा आत्म-विश्वास भी घट रहा है।’