{"_id":"6904141ae6f49ebeb204b47c","slug":"us-analyst-pakistan-still-pursuing-bleed-india-with-a-thousand-cuts-policy-terror-network-active-again-2025-10-31","type":"story","status":"publish","title_hn":"अमेरिकी विश्लेषक का दावा: पाकिस्तान पाल रहा भारत को लहूलुहान करने के मंसूबे, आतंक तंत्र फिर सक्रिय","category":{"title":"World","title_hn":"दुनिया","slug":"world"}}
    अमेरिकी विश्लेषक का दावा: पाकिस्तान पाल रहा भारत को लहूलुहान करने के मंसूबे, आतंक तंत्र फिर सक्रिय
 
            	    वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली/वॉशिंगटन             
                              Published by: शिवम गर्ग       
                        
       Updated Fri, 31 Oct 2025 07:13 AM IST
        
       
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                        पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज
                                    - फोटो : फ्रीपिक 
                    
    
        
    
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पाकिस्तान अब भी आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली अपनी पुरानी नीति पर कायम है और उसकी भारत को हजार घाव देने की सैन्य रणनीति आज भी जारी है। यह दावा वाशिंगटन स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति विश्लेषक सिद्धांत किशोर ने किया है। 'दि मिली क्रॉनिकल' में प्रकाशित अपने विश्लेषण में किशोर ने लिखा कि पाकिस्तान का आतंक तंत्र अभी भी पूरी तरह सक्रिय है और यह उसकी आधिकारिक नीति का हिस्सा बन चुका है।
 
किशोर ने लिखा कि विडंबना यह है कि हाल ही में पाकिस्तान को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की स्थायी आतंकवाद-रोधी इकाई ‘रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर (आरएटीएस)’ की अध्यक्षता मिली है, जबकि वही देश आतंकवाद का प्रायोजक माना जाता है। उन्होंने कहा, जब तक पाकिस्तान अपने बयानों के साथ वास्तविक कदम नहीं उठाता, तब तक उसकी आतंकवाद-रोधी प्रतिबद्धता महज दिखावा बनी रहेगी। किशोर के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकी ढांचों पर सटीक हमलों के बावजूद पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा जैसी संगठनों का नेटवर्क सुरक्षित है। उन्होंने बताया, जैश प्रमुख मसूद अजहर न केवल सक्रिय है, बल्कि वह पाकिस्तान में 313 नए आतंक केंद्र फिर से खड़े करने की कोशिश में है। एजेंसी
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            आतंकवाद विरोधी भूमिका दिखावा
किशोर ने चेतावनी दी कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान के बढ़ते समीकरण उसके खिलाफ कार्रवाई को कमजोर कर सकते हैं। उन्होंने लिखा, अगर प्रशिक्षण शिविर फिर से बन रहे हैं, डिजिटल फंडिंग फल-फूल रही है और आतंक रैलियों को राज्य की मंजूरी मिल रही है, तो पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी भूमिका सिर्फ दिखावा है।