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बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान: चिनाब परियोजना पर बौखलाया पड़ोसी देश, सांसद बोली- पानी को हथियार बना रहा भारत

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद। Published by: निर्मल कांत Updated Mon, 29 Dec 2025 06:08 PM IST
सार

विशेषज्ञों की समिति की ओर से चिनाब नदी पर भारत की जलविद्युत परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है। उनकी एक सांसद शेरी रहमान ने भारत पानी को हथियार बनाने का आरोप लगाया। भारत ने पहलगाम हमले के बाद सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। 
 

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Weaponisation of water: Pak senator on India's hydel project on Chenab river
चिनाब नदी - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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आतंकवादियों को पनाह देने वाला पाकिस्तान अब बूंद-बूंद पानी को तरसने लगा है। पाकिस्तान की एक सांसद सोमवार को भारत पर पानी को हथियार बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के संबंधों में तनाव को और बढ़ा सकता है। 
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यह टिप्पणी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद शेरी रहमान ने की। उन्होंने यह बयान तब दिया, जब भारत में पर्यावरण मंत्रालय के तहत एक पैनल ने चिनाब नदी पर जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दी। इससे पहले, अप्रैल में पहलगाम में हुए खौफनाक आतकंवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित कर दिया था। 
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पाकिस्तानी सांसद ने क्या आरोप लगाया?
रहमान ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर 260 मेगावाट की दुलहस्ती चरण-II जलविद्युत परियोजना को हरित पैनल ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने इसे सिंधु जल संधि का उल्लंघन करार दिया और कहा कि पानी को हथियार बनाना न तो समझदारी है और न ही स्वीकार्य है। खासकर यह क्षेत्र पहले से ही जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणी दबाव में है। यह पहले से ही शत्रुता और अविश्वास से भरे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ाएगा। 

पहलगाम हमले के बाद भारत ने उठाए सख्त कदम
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए, जिसमें 1960 के पुराने सिंधु जल समझौते को निलंबित करना शामिल था। विश्व बैंक की मध्यस्थता में तैयार किया गया यह समझौता 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों के वितरण और उपयोग को नियंत्रित करता रहा है।

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विशेषज्ञ समिति ने परियोजना को दी मंजूरी
जलविद्युत परियोजनाओं की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने इस महीने अपनी 45वीं बैठक में इस परियोजना को मंजूरी दे दी। अब इसके निर्माण के लिए निविदाओं की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 3,200 करोड़ रुपये से अधिक है। पैनल ने कहा कि चिनाब बेसिन का पानी भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के नियमों के अनुसार बांटा जाता है और इस परियोजना के नियम और योजनाएं इसी समझौते के अनुसार बनाई गई हैं। हालांकि, सिंधु जल समझौता 23 अप्रैल, 2025 से निलंबित है।

जब सिंधु जल संधि लागू थी, तब पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर अधिकार था, जबकि भारत को रावी, ब्यास और सतलज पर अधिकार था। अब जब यह संधि निलंबित है तो भारत सिंधु बेसिन में कई जलविद्युत परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहा है।

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