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Budh Gochar 2025: बुध का कन्या राशि में परिवर्तन, जानें धनु राशि वालों पर प्रभाव
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Wed, 17 Sep 2025 02:53 PM IST
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सार
Budh Gochar 2025: धनु राशि के जातकों के लिए बुधदेव सप्तम और दशम भाव के स्वामी होते हैं और साथ ही सूर्य के 17 सितंबर को कन्या राशि में गोचर करने से यह आपक नवम स्वामी होकर बुधादित्य राजयोग का निर्माण हुआ है।

budh gochar 2025
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
Budh Gochar 2025: वाणी, संचार और व्यापार के कारक ग्रह बुध कन्या राशि में गोचर करते हुए भद्र राजयोग का निर्माण किया है। साथ ही सूर्य के कन्या राशि में आने से बुधादित्य राजयोग भी बन चुका है। वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क-वितर्क, संचार, व्यापार और गणित का कारक माना जाता है। राजकुमार बुध 15 सितंबर को सुबह करीब 10 बजकर 58 मिनट पर सिंह राशि की यात्रा को विराम देते हुए अपनी स्वराशि कन्या में गोचर कर चुके हैं। आपको बता दें कि ज्योतिष में बुध को मिथुन और कन्या राशि का स्वामी माना जाता है। साथी ही यह कन्या राशि में उच्च के होते हैं और मीन राशि में नीच के होते हैं। जिन जातकों की कुंडली में बुध बली होते हैं उनकी बुद्धि बहुत ही तेज होती है। ऐसे लोग व्यापार में अच्छी तरक्की करते हैं। बुध के गोचर करने से इसका प्रभाव सभी 12 राशियों के ऊपर पड़ेगा। आइए जानते हैं बुध के कन्या राशि में गोचर करने से धनु राशि पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
बुध के गोचर का धनु राशि पर प्रभाव
धनु राशि के जातकों के लिए बुधदेव सप्तम और दशम भाव के स्वामी होते हैं और साथ ही सूर्य के 17 सितंबर को कन्या राशि में गोचर करने से यह आपक नवम स्वामी होकर बुधादित्य राजयोग का निर्माण हुआ है। यह योग आपकी राशि से दशम भाव में बना हुआ है। ऐसे में धनु राशि के जातकों को आगे आने वाले दिनों में करियर में अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा। दशम भाव में बुधादित्य योग से धनु राशि वालों के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। जो लोग किसी व्यापार से संबंधित हैं या फिर उच्च पद पर आसीन हैं उनको आने वाले दिनों में अच्छा लाभ होगा। धनु राशि वालों के लिए धन-समृद्धि में वृद्धि और संचार में कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
- मिथुन और कन्या राशि का स्वामित्व बुध देव को प्राप्त है।
- बुध ज्येष्ठा, आश्लेषा और रेवती नक्षत्र के अधिपति ग्रह होते हैं।
- वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को सबसे छोटा और शुभ ग्रह माना जाता है।
- सभी नवग्रहों में बुध ग्रह को राजकुमार का दर्जा प्राप्त है।
- बुधदेव को वाणी, व्यापार, गणित, तर्कशास्त्र, संचार, बुद्धि और त्वचा का कारक ग्रह माना जाता है।
- ज्योतिष में बुध को द्विस्वभाव का ग्रह माना जाता है। यानी बुध ग्रह जिस ग्रह के साथ होते हैं उसकी के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
- बुध सूर्य के सबसे नजदीक रहने वाले ग्रह हैं, जिस कारण से यह बार-बार अस्त हो जाते हैं।
- कुंडली में बुध के मजबूत होने पर व्यक्ति बुद्धिमान, कूटनीतिज्ञ और राजनीति में कुशल होता है।

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बुध के गोचर का धनु राशि पर प्रभाव
धनु राशि के जातकों के लिए बुधदेव सप्तम और दशम भाव के स्वामी होते हैं और साथ ही सूर्य के 17 सितंबर को कन्या राशि में गोचर करने से यह आपक नवम स्वामी होकर बुधादित्य राजयोग का निर्माण हुआ है। यह योग आपकी राशि से दशम भाव में बना हुआ है। ऐसे में धनु राशि के जातकों को आगे आने वाले दिनों में करियर में अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा। दशम भाव में बुधादित्य योग से धनु राशि वालों के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। जो लोग किसी व्यापार से संबंधित हैं या फिर उच्च पद पर आसीन हैं उनको आने वाले दिनों में अच्छा लाभ होगा। धनु राशि वालों के लिए धन-समृद्धि में वृद्धि और संचार में कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
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ज्योतिष में बुध ग्रह- मिथुन और कन्या राशि का स्वामित्व बुध देव को प्राप्त है।
- बुध ज्येष्ठा, आश्लेषा और रेवती नक्षत्र के अधिपति ग्रह होते हैं।
- वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को सबसे छोटा और शुभ ग्रह माना जाता है।
- सभी नवग्रहों में बुध ग्रह को राजकुमार का दर्जा प्राप्त है।
- बुधदेव को वाणी, व्यापार, गणित, तर्कशास्त्र, संचार, बुद्धि और त्वचा का कारक ग्रह माना जाता है।
- ज्योतिष में बुध को द्विस्वभाव का ग्रह माना जाता है। यानी बुध ग्रह जिस ग्रह के साथ होते हैं उसकी के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
- बुध सूर्य के सबसे नजदीक रहने वाले ग्रह हैं, जिस कारण से यह बार-बार अस्त हो जाते हैं।
- कुंडली में बुध के मजबूत होने पर व्यक्ति बुद्धिमान, कूटनीतिज्ञ और राजनीति में कुशल होता है।
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