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EV Batteries: ईवी बैटरियों के लिए आधार! बेहतर रीसाइकिलिंग प्रबंधन के लिए विशेषज्ञों ने यह सुझाया
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 17 Jul 2024 05:57 PM IST
सार
भारत के ई-मोबिलिटी अनुसंधान एवं विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) रोडमैप में बैटरियों के लिए एक आधार नंबर का सुझाव दिया गया है। जानें इसके क्या मायने हैं।
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- फोटो : Freepik
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विस्तार
भारत के ई-मोबिलिटी अनुसंधान एवं विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) रोडमैप में बैटरियों के लिए एक आधार नंबर का सुझाव दिया गया है। जिससे सामग्री संरचना, इस्तेमाल का इतिहास (यूसेज हिस्ट्री) और एंड ऑफ लाइफ मैनेजमेंट (जीवनचक्र प्रबंधन) का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जा सके। और रीसाइक्लिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सके।
सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर ए के एस सूद द्वारा जारी ई-मोबिलिटी अनुसंधान एवं विकास रोडमैप के हिस्से के रूप में यह सुझाव दिया गया है। जिसमें स्वावलंबी बनने और नवीन गतिशीलता समाधान (मोबिलिटी सॉल्यूशंस) देने में वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए 34 रिसर्च प्रोजेक्ट्स की सूची दी गई है।
सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर ए के एस सूद द्वारा जारी ई-मोबिलिटी अनुसंधान एवं विकास रोडमैप के हिस्से के रूप में यह सुझाव दिया गया है। जिसमें स्वावलंबी बनने और नवीन गतिशीलता समाधान (मोबिलिटी सॉल्यूशंस) देने में वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए 34 रिसर्च प्रोजेक्ट्स की सूची दी गई है।
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ई-मोबिलिटी सलाहकार समिति के परामर्श समूह के सदस्य प्रोफेसर कार्तिक अथनाथन ने कहा, "यह रोडमैप मौजूदा अनुसंधान और विकास ढांचे में महत्वपूर्ण अंतरालों को भरने का लक्ष्य रखता है। हालांकि कई पहचानी गई परियोजनाओं को अभी वैश्विक सफलता मिलनी बाकी है। लेकिन कुछ क्षेत्रों में पहले से ही महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां हैं, जहां भारत को अभी तैयारी शुरू करनी है।"
रोडमैप में चार व्यापक क्षेत्रों - एनर्जी स्टोरेज सेल्स (ऊर्जा भंडारण कोशिकाओं), ईवी समुच्चयों, सामग्री और रीसाइक्लिंग, चार्जिंग और ईंधन भरने में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए 34 प्रोजेक्ट्स की सूची दी गई है।
रोडमैप में चार व्यापक क्षेत्रों - एनर्जी स्टोरेज सेल्स (ऊर्जा भंडारण कोशिकाओं), ईवी समुच्चयों, सामग्री और रीसाइक्लिंग, चार्जिंग और ईंधन भरने में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए 34 प्रोजेक्ट्स की सूची दी गई है।
रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए सूचीबद्ध परियोजनाओं में बैटरी आधार सिस्टम का विकास शामिल है। जो बैटरियों के लिए पर्यावरण के लिए ज्यादा लाभकारी कुशल रीसाइक्लिंग प्रक्रियाओं को अपनाने में मदद करेगा।
भारतीय ऑटोमोटिव अनुसंधान संघ (ARAI) के उप निदेशक अभिजीत मुले ने कहा, "यह एक पूरी तरह से सोची-समझी गई 16-अंकीय संख्या का मानकीकरण है, जो बैटरी पैक के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेगा। यह हमें बैटरी के दूसरे उपयोग, रीसाइकिल क्षमता और उस बैटरी के लाइफ-साइकिल के दौरान हर चीज में मदद करेगा।"
भारतीय ऑटोमोटिव अनुसंधान संघ (ARAI) के उप निदेशक अभिजीत मुले ने कहा, "यह एक पूरी तरह से सोची-समझी गई 16-अंकीय संख्या का मानकीकरण है, जो बैटरी पैक के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेगा। यह हमें बैटरी के दूसरे उपयोग, रीसाइकिल क्षमता और उस बैटरी के लाइफ-साइकिल के दौरान हर चीज में मदद करेगा।"
बर्लिन में संघीय सरकार के वित्तीय समर्थन (फाइनेंशियल सपोर्ट) से जर्मनी में बैटरी पासपोर्ट नाम की एक ऐसी ही परियोजना चल रही है।
भारतीय संदर्भ में, रोडमैप ने प्रत्येक बैटरी की संरचना, उपयोग इतिहास और जीवनचक्र प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करके विनिर्माण, उपयोग और रीसाइक्लिंग में स्थिरता, दक्षता और सुरक्षा में सुधार के लिए बैटरी आधार मानकीकृत प्रणाली या प्रोटोकॉल के विकास का सुझाव दिया।
भारतीय संदर्भ में, रोडमैप ने प्रत्येक बैटरी की संरचना, उपयोग इतिहास और जीवनचक्र प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करके विनिर्माण, उपयोग और रीसाइक्लिंग में स्थिरता, दक्षता और सुरक्षा में सुधार के लिए बैटरी आधार मानकीकृत प्रणाली या प्रोटोकॉल के विकास का सुझाव दिया।
प्रस्तावित आधार संख्यात्मक बारकोड में बैटरी निर्माण वर्ष, लिथियम आयात, इलेक्ट्रोड सामग्री, सेल स्थानीयकरण, निर्माण इतिहास, बैटरी रसायन, बैटरी क्षमता, निर्माण स्थान और बैटरी पॉटिंग का डेटा और डिटेल्स होगा।
मुले ने कहा, "यह जानकारी रीसाइक्लिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए रीसाइक्लरों के लिए ज्यादा सुविधाजनक होगी।"
मुले ने कहा, "यह जानकारी रीसाइक्लिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए रीसाइक्लरों के लिए ज्यादा सुविधाजनक होगी।"
इससे पहले सभा को संबोधित करते हुए, सूद ने कहा कि भारत ने 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता और 2030 तक 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन पैठ हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जो 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करने के प्रयासों का हिस्सा है।
ई-मोबिलिटी अनुसंधान एवं विकास रोडमैप ने डिजिटल डेटा स्टोरेज, पारदर्शिता, पता लगाने की योग्यता और बैटरियों के स्थानीयकरण की महत्वपूर्ण आवश्यकता के कारण इस परियोजना को उच्च प्राथमिकता दी है।
रोडमैप में कहा गया है कि इन मापदंडों का निर्धारण दूसरे जीवन अनुप्रयोगों (सेंकड लाइफ एप्लीकेशंस) के साथ-साथ बैटरियों के रीसाइक्लिंग और मैनेजमेंट में मदद करेगा।