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National Highways: वित्त वर्ष 2025 में नेशनल हाईवे का निर्माण घटकर 31 किमी प्रति दिन हो जाएगा, अध्ययन में दावा

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Wed, 01 May 2024 09:52 AM IST
सार

राष्ट्रीय राजमार्गों (नेशनल हाईवे) के निर्माण की रफ्तार में वित्त वर्ष 24 में तेजी देखी गई, जो 34 किमी प्रति दिन तक पहुंच गई। हालांकि यह वित्त वर्ष 21 में दर्ज किए गए 37 किमी प्रति दिन से कम है।

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National highways construction to decline by 7 to 10 percent to 31 km per day in FY25 claims Study
Highway - फोटो : iStock
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विस्तार
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केयरएज रेटिंग ने भारतीय सड़क और राजमार्ग क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर रोशनी डाला है। जो परियोजना निष्पादन की गति में गिरावट की ओर इशारा करता है। खासकर परियोजनाओं को स्वीकृत करने के तरीके और निर्माण की रफ्तार में। वित्त वर्ष 24 में नेशनल हाईवे के निर्माण की रफ्तार में तेजी देखी गई, जो 34 किमी प्रति दिन तक पहुंच गई, हालांकि यह वित्त वर्ष 21 में दर्ज किए गए 37 किमी प्रति दिन से कम है।

हालांकि, निर्माण में आने वाली चुनौतियों और बढ़ती परियोजना जटिलताओं के कारण वित्त वर्ष 25 में निर्माण की गति में 7 से 10 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है। जो घटकर लगभग 31 किमी प्रति दिन हो जाएगी। इसकी वजह से वित्त वर्ष 24 में 12,350 किमी से राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण घटकर वित्त वर्ष 25 में 11,100 से 11,500 किमी हो जाएगा। रिपोर्ट में इस मंदी में योगदान करने वाले प्रमुख कारकों के रूप में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बढ़ती परियोजना जटिलताओं को बताया गया है।
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सरकार की बुनियादी ढांचा विकास की प्रतिबद्धता के बावजूद, वित्त वर्ष 24 में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में परियोजना स्वीकृति में उल्लेखनीय कमी आई, जो 31 प्रतिशत कम है।

यह गिरावट उम्मीद से कहीं ज्यादा थी। खासतौर पर भारतमाला परियोजना के तहत परियोजनाओं के लिए कैबिनेट से संशोधित लागतों की लंबित मंजूरी के कारण।

विधायी चुनावों और उसके बाद आचार संहिता लागू होने से परियोजना स्वीकृति में और कमी आई।

BOT-HAM (हाइब्रिड एन्युटी मॉडल) परियोजनाओं को स्वीकृति देने का पसंदीदा तरीका बना रहा। जो वित्त वर्ष 21-वित्त वर्ष 24 के दौरान स्वीकृत कुल परियोजनाओं का लगभग 55 प्रतिशत है।

हालांकि, ऐसी परियोजनाओं के लागू होने में खासी देरी देखी गई है।

मार्च 2020 के बाद स्वीकृत लगभग एक तिहाई परियोजनाएं को तीन महीने की दया अवधि (ग्रेस पीरियड) से ज्यादा की देरी का सामना करना पड़ रहा है, जो तकरीबन 4-6 महीने हो गई है। इन परियोजनाओं की राशि 1.50 लाख करोड़ रुपये है।

1 अप्रैल तक NH-HAM परियोजनाओं का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा, जिसका कुल बिड प्रोजेक्ट कॉस्ट (BPC) मूल्य 40,000 करोड़ रुपये है, अभी भी एक वर्ष से ज्यादा समय से नियत तारीख जारी होने का इंतजार कर रहा है।

ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे और हाईवे की घोषणा ने भूमि अधिग्रहण की चुनौतियों को बढ़ा दिया है, जिससे नियत तारीख मिलने में देरी हो रही है।

इसके अलावा, परियोजनाओं के दायरे से परे, दो साल की समान निष्पादन अवधि ने परियोजना में देरी को बढ़ा दिया है।

इन वजहों ने परियोजना पूरा करने के चक्र को बढ़ाकर लगभग साढ़े 3 से 4 वर्ष कर दिया है। जिसके कारण क्षेत्र में निष्पादन की रफ्तार कमजोर देखी गई है।

चुनौतियों का समाधान करने के लिए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने BOT टोल रियायतों को नया रूप दिया है।

केयरएज रेटिंग का अनुमान है कि आने वाले समय में परियोजनाओं को स्वीकृत करने की प्राथमिकता ईपीसी से एचएएम और टोल परियोजनाओं में स्थानांतरित हो जाएगी। जिससे भविष्य में परियोजनाओं को स्वीकृत करने में ईपीसी परियोजनाओं की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी आएगी, जो लगभग 25-30 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। 

इस बदलाव से निर्माण की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करते हुए NHAI के लिए वित्त पोषण की आवश्यकता को कम करने की उम्मीद है।
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