FASTag Annual Pass: एनएचएआई के फास्टैग वार्षिक पास की सीमित शहरी कवरेज को लेकर हो रही आलोचना, क्या हैं चिताएं
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) (एनएचएआई) ने हाल ही में फास्टैग वार्षिक पास शुरू किया है, जिसका मकसद इंटर-स्टेट यात्रियों के टोल खर्च को कम करना है। लेकिन इस पास की सीमित कवरेज को लेकर खासकर मुंबई जैसे बड़े शहरों के यात्रियों में आलोचना हो रही है।

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सोशल मीडिया पर वायरल हुई शिकायत
इस योजना पर सबसे तीखी आलोचना राहुल माथुर ने की, जो DeVC Global में प्री-सीड इन्वेस्टर हैं। उन्होंने 21 अगस्त की सुबह सोशल मीडिया एक्स पर इस पास की खामियों को विस्तार से बताया। उनकी पोस्ट 23 अगस्त की दोपहर तक 7 लाख से ज्यादा बार देखी जा चुकी थी। माथुर ने बताया कि यह पास कई हाई-ट्रैफिक रोड्स पर लागू ही नहीं है। क्योंकि वे राज्य सरकार या निजी कंपनियों के अधीन आते हैं।
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अभी फास्टैग वार्षिक पास केवल एनएचएआई द्वारा संचालित नेशनल हाईवे (NH) और नेशनल एक्सप्रेसवे (NE) पर ही मान्य है। लेकिन कई बड़े शहरी टोल रोड्स इस दायरे से बाहर हैं।
राहुल माथुर ने उदाहरण देते हुए बताया कि उनके परिवार का हर महीने लगभग 3,000 रुपये बांद्रा-वर्ली सी-लिंक पर खर्च होता है। लेकिन यह रोड महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित है, इसलिए इस पास में शामिल नहीं है। यही स्थिति अटल सेतु और बंगलूरू-मैसूर रोड की भी है, क्योंकि इन्हें निजी कंपनियां या राज्य सरकारें चलाती हैं।
इसके उलट, NH 44 (श्रीनगर से कन्याकुमारी कॉरिडोर), मुंबई-नाशिक एक्सप्रेसवे और अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेसवे इस योजना में शामिल हैं।
माथुर ने सवाल उठाया- "अगर राष्ट्रीय स्तर का टोल बचत पास बड़े शहरों की सबसे व्यस्त सड़कों पर ही लागू नहीं होगा, तो फिर इसका फायदा किसे मिलेगा?"
Indians paid ₹72,000 crore in toll charges last year - this is 2.5x the amount pre-COVID in 2019
— Rahul Mathur (@Rahul_J_Mathur) August 21, 2025
When I checked my FASTag online - my family spends ~₹3,000 per month on the Worli sealink alone; other Mumbai residents might relate to this
Therefore, it shouldn't surprise you…
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माथुर का कहना है कि यह पास खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो नियमित रूप से इंटर-स्टेट यात्रा करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई हर महीने एक बार बंगलूरू से कोच्चि या मुंबई से गोवा जाता है, तो प्रति यात्रा 300 से 400 रुपये तक की बचत हो सकती है। साल भर में यह बचत 3,600 से 4,800 रुपये तक पहुंच सकती है, जो पास की कीमत से ज्यादा है।
उन्होंने बताया कि उनके रिश्तेदार जो मुंबई-नाशिक कॉरिडोर पर महीने में दो बार यात्रा करते हैं, उन्हें सालाना लगभग 5,000 रुपये की बचत होगी। ऐसे ही मुंबई-सूरत जैसी लंबी यात्राएं करने वाले यात्रियों को भी फायदा मिलेगा।
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15 अगस्त 2025 को लॉन्च हुआ यह वार्षिक पास केवल निजी चार-पहिया गाड़ियों के लिए है। टैक्सी, टेम्पो और बसें इसमें शामिल नहीं हैं। पास खरीदने के लिए राजमार्ग यात्रा (Rajmarg Yatra) एप या NHAI की वेबसाइट का इस्तेमाल करना होगा।
इसकी कीमत 3,000 रुपये है और यह मौजूदा फास्टैग से जुड़ जाता है। पास मिलने के बाद एक साल की अवधि में 200 ट्रिप की अनुमति होती है। एक ट्रिप का मतलब है - एक बार एंट्री और एग्जिट टोल बूथ पार करना।
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माथुर ने समझाया कि चूंकि यह योजना केंद्र सरकार और एनएचएआई के अधिकार क्षेत्र वाली सड़कों तक सीमित है। इसलिए राज्य सरकारों या निजी कंपनियों के बनाए प्रोजेक्ट इसमें शामिल नहीं हो सकते।
जैसे मुंबई का बांद्रा-वर्ली सी-लिंक महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MSRDC) के अधीन है। यहां पर पहले से ही अलग मासिक पास की व्यवस्था है, जिसकी कीमत लगभग 5,000 रुपये है और यह एनएचएआई पास से जुड़ा नहीं है।
यानी अलग-अलग एजेंसियों और मॉडल के चलते फिलहाल पूरे देश के लिए एकीकृत पास संभव नहीं है। हालांकि, माथुर ने उम्मीद जताई कि भविष्य में राज्य सरकारें भी इसी तरह की योजनाएं शुरू करेंगी।
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ट्रांसपोर्ट विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना लंबी दूरी की यात्राओं के लिए तो स्वागतयोग्य है, लेकिन शहरों के रोजाना यात्रियों के लिए इसकी उपयोगिता बहुत कम है। दिल्ली, मुंबई और बंगलूरू जैसे शहरों में ज्यादातर टोल सड़कें राज्य सरकारों के नियंत्रण में हैं, जहां यह पास काम नहीं करता।
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