High Octane Petrol: सामान्य पेट्रोल बनाम हाई-ऑक्टेन पेट्रोल; क्या आपकी कार को इसकी जरूरत है?
सामान्य पेट्रोल और हाई-ऑक्टेन पेट्रोल के बीच फर्क समझना हर कार मालिक के लिए जरूरी है। ऑक्टेन नंबर ईंधन की नॉकिंग रोकने की क्षमता को दर्शाता है। भारत में ज्यादातर आम कारें सामान्य पेट्रोल पर चलने के लिए ही डिजाइन की गई हैं।
विस्तार
अक्सर पेट्रोल पंप पर जाते समय हमारे मन में यह सवाल आता है कि सामान्य पेट्रोल और प्रीमियम (हाई-ऑक्टेन) पेट्रोल में क्या अंतर है? क्या महंगा पेट्रोल डलवाने से गाड़ी की परफॉरमेंस और माइलेज पर कोई असर पड़ता है? इस लेख में हम जानेंगे कि पेट्रोल के अलग-अलग ग्रेड्स का क्या मतलब है और ये कैसे आपकी कार के इंजन को प्रभावित करते हैं।
ऑक्टेन नंबर क्या होता है?
पेट्रोल का ऑक्टेन नंबर जिसे RON या रिसर्च ऑक्टेन नंबर कहा जाता है। ईंधन की 'नॉकिंग' का विरोध करने की क्षमता को दर्शाता है। आसान शब्दों में कहें तो, हाई-ऑक्टेन वाला पेट्रोल इंजन के अंदर अनियंत्रित दहन या विस्फोट को रोकने में ज्यादा सक्षम होता है। हाई-कंप्रेशन वाले आधुनिक इंजनों को सही से काम करने के लिए ऐसे ही ईंधन की जरूरत होती है। हाई-कंप्रेशन इंजन वे आंतरिक दहन इंजन (ICE) होते हैं जो ईंधन-हवा के मिश्रण को सिलेंडर में बहुत छोटे स्थान में कंप्रेस करते हैं। इससे उच्च दबाव, बेहतर तापीय दक्षता और ज्यादा शक्ति उत्पन्न होती है।
क्या सभी कारों के लिए हाई-ऑक्टेन जरूरी है?
भारत में सभी कारों के लिए हाई-ऑक्टेन पेट्रोल जरूरी नहीं है। देश में ज्यादातर आम इस्तेमाल होने वाली कारों में नैचुरली एस्पिरेटेड इंजन होते हैं। इन इंजनों को विशेष रूप से भारत में मिलने वाले डिफॉल्ट पेट्रोल, यानी 91 ऑक्टेन पर चलने के लिए ही ट्यून किया जाता है। इसलिए साधारण कारों में महंगा पेट्रोल डलवाने से कोई खास फायदा नहीं मिलता।
हाई-ऑक्टेन पेट्रोल किन कारों के लिए फायदेमंद है?
हाई-ऑक्टेन पेट्रोल (जैसे 95 या उससे ज्यादा) का असली फायदा गैसोलीन डायरेक्ट इंजेक्शन (GDI) इंजनों और टर्बोचार्ज्ड इंजनों में देखने को मिलता है। अगर आपके पास GDI या टर्बो इंजन वाली कार है, तो आपको हाई-ऑक्टेन पेट्रोल से फायदा हो सकता है। ये कुछ कंपनियां हैं जो GDI इंजन बनाती हैं
- फॉक्सवैगन ग्रुप: 1.0 TSI, 1.5 TSI और 2.0 TSI इंजन
- ह्यूंदै: 1.0-लीटर GDI इंजन
- टाटा मोटर्स: 1.2 GDI इंजन
- लग्जरी और स्पोर्ट्स कारें
हाई-ऑक्टेन पेट्रोल से क्या फायदा होता है?
इन आधुनिक इंजनों के ECU (इंजन कंट्रोल यूनिट) को हाई-ऑक्टेन फ्यूल के हिसाब से प्रोग्राम किया जाता है। जब इन गाड़ियों में 95 RON या उससे ऊपर का पेट्रोल डाला जाता है, तो इंजन अपनी इग्निशन टाइमिंग को एडजस्ट कर लेता है। इसके परिणाम बहुत सकारात्मक होते हैं। इससे इंजन की पावर बढ़ जाती है। सामान्य 91 ऑक्टेन पेट्रोल के मुकाबले, हाई-ऑक्टेन पेट्रोल पर ये इंजन 3% से 5% बेहतर पावर और माइलेज देते हैं।
भारत में उपलब्ध हाई-ऑक्टेन पेट्रोल
आजकल भारत की प्रमुख तेल कंपनियां आधुनिक GDI इंजनों और लग्जरी कारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हाई-ऑक्टेन फ्यूल उपलब्ध करा रही हैं।
- इंडिन ऑयल: XP95 और XP100
- भारत पेट्रोलियम: Speed 97
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम: Power99
अगर आपके पास एक साधारण इंजन वाली कार है, तो सामान्य पेट्रोल ही सबसे सही है। लेकिन अगर आप एक टर्बोचार्ज्ड या GDI इंजन वाली कार चलाते हैं। तो हाई-ऑक्टेन पेट्रोल का इस्तेमाल न केवल गाड़ी की परफॉरमेंस बढ़ाएगा, बल्कि इंजन को भी सुरक्षित रखेगा।