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Explainer : मेदांता पटना में फ्री इलाज मिलना क्यों मुश्किल, सदन में उठा सवाल तो सरकार ने अब क्या किया?

Krishan Ballabh Narayan कृष्ण बल्लभ नारायण
Updated Tue, 29 Apr 2025 03:26 PM IST
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सार

Bihar News : बिहार सरकार ने जयप्रभा मेदांता अस्पताल से फ्री इलाज के लिए करार कर रखा है, लेकिन बार-बार बात आती है कि ऐसा नहीं हो रहा। बजट सत्र में विधान परिषद् में सवाल उठा। अब जेपी सेनानी ने भी यह बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाई है। क्या है असल परेशानी?

Bihar News : How to get free treatment in medanta hospital patna through patient portal bihar government
मेदांता के निदेशक डॉ. रवि शंकर सिंह ने दिया हर सवाल का जवाब। - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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जय प्रकाश नारायण के सहयोगी रहे कुमार अनुपम ने गुर्दा रोग से जूझ रहे 70 साल के जेपी सेनानी ब्रह्मदेव पटेल को नियमानुसार मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा कि जयप्रभा मेदांता अस्पताल में उनका फ्री इलाज नहीं हो रहा है। जय प्रकाश नारायण की जमीन पर बने इस अस्पताल पर यह आरोप पहले भी लगता रहा है। बिहार विधान परिषद् के बजट सत्र में बाकायदा प्रश्न आया। सहरसा के रहने वाले राष्ट्रीय जनता दल के विधान पार्षद डॉ. अजय कुमार सिंह ने मुद्दा उठाया कि बिहार सरकार की मदद से बने जयप्रभा मेदांता अस्पताल में गरीब मरीजों को सस्ता इलाज नहीं मिल पा रहा और 25 प्रतिशत बेड का उपयोग  नहीं हो पा रहा। जब सदन में यह तारांकित सवाल पहुंचा तो 'अमर उजाला' ने इसकी पड़ताल शुरू की। सदन में उठे प्रश्न से लेकर जनता के बीच गूंज रहे सवालों की पड़ताल में चौंकाने वाली बातें सामने आईं। 

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मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए 'अमर उजाला' की टीम ने सबसे पहले मेदांता अस्पताल को लेकर सरकार की ओर से सदन में दिए जवाब का इंतजार किया। सदन में जवाब आया, जिसमें बताया गया कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल कंकड़बाग पटना को रियायत समझौते के तहत जेपी की यह जमीन लीज़ पर दी गई थी। इसके एवज में 25 प्रतिशत बेड राज्य सरकार से अनुशंसित गरीब मरीजों के लिए आरक्षित रखने की बात थी। 'अमर उजाला' ने पूरे अस्पताल में जाकर देखा तो पता चला कि गरीबों को फ्री बेड देने का कहीं कोई प्रचार या यहां तक कि कोई जानकारी भी सार्वजनिक स्थलों पर नहीं है। सिर्फ मेदांता अस्पताल ही नहीं, किसी सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य विभाग के बैनर-पोस्टरों में भी इसकी जानकारी नहीं कि मेदांता अस्पताल में मरीज को दिखाने की क्या व्यवस्था है?

तारांकित प्रश्न के उत्तर में ही खुल गया एक सच
सदन के सामने जब विधान पार्षद ने सवाल किया था, तभी राज्य सरकार सक्रिय हुई थी। सदन में दिए गए जवाब में भी उस सक्रियता का जिक्र है, क्योंकि स्पष्ट लिखा गया है कि "नौ जिलों के असैनिक शल्य चिकित्सक-सह-मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी एवं मेदांता अस्पताल प्रशासन को विभागीय पत्र के जरिए दिनांक 21 मार्च 2025 को व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने हेतु निर्देशित किया गया है।" मतलब साफ है कि वास्तव में इस अस्पताल में गरीबों के लिए फ्री इलाज है या रियायती इलाज है या किस प्रक्रिया के जरिए यहां इलाज कराया जा सकता है... इसका प्रचार-प्रसार कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग 21 मार्च 2025 को एक तरह से जागा है। इस तारीख के बाद ही सही, लेकिन अब जिलों तक कुछ-कुछ जानकारी पहुंच रही है। पहले से बिल्कुल जानकारी नहीं थी, ऐसा नहीं लेकिन आमजन के लिए यह सर्वसुलभ उपलब्ध नहीं रहा।

मेदांता अस्पताल ने क्या बताई परेशानी की वजह
जयप्रभा मेदांता अस्पताल में योजना का प्रचार नहीं होने से लेकर इलाज की प्रक्रिया तक हमारे पास कई सवाल थे। 'अमर उजाला' ने आम लोगों की परेशानी को समझाते हुए जयप्रभा मेदांता अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. रवि शंकर सिंह से सवाल-जवाब किया। उस बातचीत को इस तरह से लिखा जा रहा है, ताकि आप समझ सकें कि फ्री इलाज कब, किसे और कैसे मिलना संभव है?

सवाल : मेदांता अस्पताल में किन बीमारियों का फ्री इलाज मिल सकता है? बार-बार बात आ रही कि इलाज नहीं हो रहा है।
जवाब : बिहार सरकार और मेदांता ग्रुप के साथ करार के अनुसार पहले 75 बेड की ही बात थी, अब वह 100 बेड हुआ है। कैंसर, कार्डियक, किडनी और न्यूरो के मरीजों को हमें स्वीकार कर उनका इलाज करना है। बिहार सरकार के अस्पतालों में जो स्वास्थ्य सेवाएं हैं, उनमें जो चीज नहीं हो पाती हैं या जिन चीजों की सेवा नहीं हो पाती है, हम इस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में उन्हें यह सर्विस देते हैं। यह अनुशंसित मरीजों के लिए फ्री है। अब हमने दो और विभागों की सुविधा जोड़ दी है। एक खून से संबंधित बीमारी- जैसे ब्लड कैंसर, थैलीसीमिया आदि। और, दूसरा ट्रांसप्लांट। जैसे, किडनी ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को सरकार भेजे तो हम इलाज करेंगे। 

सवाल : अनुशंसित मरीज क्या है? सीधे आने पर इलाज नहीं मिलेगा?
जवाब : सीधे जो मरीज आते हैं, उन्हें सरकार से करार वाली सेवाएं नहीं मिलतीं। मतलब, सीधे आने वाले मरीज सशुल्क इलाज करा सकते हैं। अनुसंशित मरीज का मतलब है कि सरकार उन्हें अपनी प्रक्रिया के तहत हमारे पास भेज रही है। 

सवाल : अनुशंसा की प्रक्रिया कौन बताएगा? इसी कारण इलाज नहीं होता?
जवाब : किसी मरीज का जयप्रभा मेदांता अस्पताल में इलाज होना है तो उसकी अनुशंसा सरकार को करनी है। पूरी प्रक्रिया ही सरकार के पास होनी है तो बताया भी वहीं जाता है। हमारे पास कोई ऐसा केस आता है तो हम मरीज को सिविल सर्जन कार्यालय या सरकारी अस्पताल जाने के लिए कहते हैं। जहां तक इलाज नहीं होने की बात है तो यह आरोप गलत है। चार साल में हमने 4953 मरीजों का इसी अनुशंसा के आधार पर इलाज किया है। 

सवाल : क्या पूरे बिहार के मरीज यहां फ्री इलाज के लिए आ सकते हैं?
जवाब : हां, लेकिन रेफर करने का अधिकार सीमित है। पहले राज्य सरकार ने बिहार के नौ जिलों के सिविल सर्जन और 10 मेडिकल कॉलेजों के अधीक्षकों से केस यहां रेफर कराने की व्यवस्था रखी थी। अब 15 जिलों के सिविल सर्जन और 11 मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक जयप्रभा मेदांता को केस रेफर कर सकते हैं। राज्य के 38 में से किसी भी जिले के मरीज हो सकते हैं, लेकिन इन 15 जिलों या 11 में से किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक हमारे पास केस रेफर कर सकते हैं। बक्सर, गोपालगंज, जमुई, खगड़िया, लखीसराय, मधुबनी, सारण, शेखपुरा, सीवान, औरंगाबाद, बेगूसराय, कैमूर, मुंगेर, नवादा और रोहतास के सिविल सर्जन रेफर कर सकते हैं। इसी तरह, राजधानी पटना स्थित पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल और नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अलावा बेतिया, भागलपुर, दरभंगा, गया, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पावापुरी, पूर्णिया व समस्तीपुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के अधीक्षक रेफर कर सकते हैं।

सवाल : तो क्या बेड कम पड़ जाते हैं, जिसके कारण इलाज नहीं हो पाता है?
जवाब : नहीं। अबतक ऐसी स्थिति तो नहीं हुई है।  अब तक इस योजना के तहत एक दिन में सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या 56-58 रही है। लगभग 46- 50 मरीज लगभग बेड पर रहते हैं। कभी भी पूरा का पूरा बेड नहीं भरा है। सौ में 80 मरीज रहें तो भी पूरी उत्कृष्ता के साथ इलाज संभव है। यह नंबर सरकार को अनुशंसित कर भेजना है। 

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Bihar News : How to get free treatment in medanta hospital patna through patient portal bihar government
जेपी की जमीन पर बने अस्पताल को लेकर विधान परिषद् में घिर गई थी सरकार। - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
अब शुरू हुआ सुविधा का प्रचार, क्या बता रहे सिविल सर्जन
'अमर उजाला' ने इस बारे में कई सरकारी अस्पतालों में देखा कि इसका कोई प्रचार-पोस्टर नहीं है। ऐसे में हमारे शेखपुरा रिपोर्टर ने जानकारी दी कि पिछले दिनों एक टीम ने आकर गरीब मरीजों को नि:शुल्क इलाज के संबंध में विस्तार से जानकारी दी थी। क्या जानकारी दी गई थी, यह समझने के लिए शेखपुरा के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. संजय कुमार से बात की गई। उनसे जानने की कोशिश की गई कि मरीजों को सरकार की यह सुविधा कैसे मिलती है? 

सवाल : सरकार ने मेदांता अस्पताल में फ्री इलाज की व्यवस्था दी है, फिर भी ठीक से मरीज नहीं पहुंच पा रहे। सदन में भी यह बात उठती रही है। क्या प्रक्रिया है, बताएं ताकि लोगों को फायदा हो।
जवाब : शेखपुरा समेत 15 जिलों के सिविल सर्जन और 11 मेडिकल कॉलेज अस्पताल में किसी मरीज ने दिखाया और जांच से ऐसी बीमारी निकली, जिसका इलाज सरकारी अस्पतालों में नहीं हो सकता है तो वह केस एक पोर्टल (https://biharpatientportal.medanta.org/login) के जरिए रेफर किया जाता है। इसपर लॉगिन का अधिकार भी सिविल सर्जन कार्यालय और मेडिकल कॉलेज अधीक्षक कार्यालय के पास है। इस पोर्टल पर जब मरीज की पूरी जानकारी और कागजात अपलोड कर दिए जाते हैं तो वह स्वास्थ्य विभाग के राज्य मुख्यालय में समीक्षा के लिए जाता है। अगर समीक्षा में पाया गया कि मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में इलाज की जरूरत है तो वहां से मेदांता के पास केस रेफर हो जाता है। जो भी केस इस पोर्टल के जरिए जयप्रभा मेदांता अस्पताल तक आता है, उस मरीज को तत्काल कॉल कर बुलाने की जिम्मेदारी मेदांता अस्पताल की है। अगर नहीं बुलाए तो शिकायत की जा सकती है।

सवाल : गरीब मरीजों का इलाज होता है तो 'गरीब' की पात्रता क्या है?
जवाब : बिहार का निवासी होना पहली शर्त है और उसकी आय 2,40,000 से कम होनी चाहिए।

सवाल : कितने समय तक फ्री इलाज होता है? कोई समय-सीमा भी है?
जवाब : हां। चूंकि गंभीर बीमारियों के बेहतर इलाज के लिए मरीज रेफर किए आते हैं तो कई बार ज्यादा समय तक उन्हें भर्ती रखना होता है। कैंसर में कई बार किसी एक मरीज को ही बार-बार भर्ती करना पड़ता है। एक बार रेफर करने पर छह महीने तक उनका इलाज लगातार होगा। इस समय-सीमा के बाद उन्हें फिर सरकार से ही उसका रिन्युअल कराना होगा। किडनी के लिए यह समय-सीमा दो महीने की है। रिन्युअल के लिए रेफर करने वाले अस्पताल ही जांचकर फिर वही प्रक्रिया करते हैं। 

मेदांता अस्पताल को राज्य के गरीब मरीजों के इलाज के लिए 25%बेड आरक्षित रखकर मुफ्त इलाज करना है। आमजन को जानकारी नहीं है कि यह कैसे होता है और जिलों के सिविल सर्जन कार्यालय से ऐसी सूचना मिल नहीं पाती। मैंने विधान परिषद सत्र में इस मामले को उठाकर जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के व्यापक प्रचार-प्रसार का दबाव बनाया है। सरकार ने औने -पौने में जमीन दी और समझौते के तहत प्रतिवर्ष एक बड़ी राशि भी अस्पताल को देती है। दुर्भाग्य है कि गरीब जानकारी के अभाव में कम संख्या में अपना इलाज मेंदांता में करवा रहे हैं। मेरे प्रश्न पूछने के बाद 21मार्च को सरकार ने प्रचार-प्रसार अभियान के लिए सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखा है। जगाने पर ही सरकार उठती है।
डॉ. अजय कुमार सिंह, विधान पार्षद- राष्ट्रीय जनता दल

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