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Satta Ka Sangram: कल औरंगाबाद आएगा चुनावी रथ, छह विधानसभा सीटों पर जानेंगे मुद्दे; कैसा है सियासी इतिहास?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, औरंगाबाद
Published by: शबाहत हुसैन
Updated Fri, 07 Nov 2025 05:38 PM IST
सार
Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार में 11 नवंबर को विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। प्रदेश के चुनावी माहौल का जायजा लेने और राजनीतिक दलों के नेताओं से उनके वोट मांगने के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' शनिवार 8 नवंबर को औरंगाबाद आएगा।
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सत्ता का संग्राम
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
कल यानी शनिवार 8 नवंबर 2025 की सुबह आठ बजे ‘चाय पर चर्चा’ आपके शहर औरंगाबाद में होगी। अमर उजाला पर कार्यक्रम लाइव टेलीकास्ट होंगे। उसके बाद दोपहर 12 बजे युवाओं से चर्चा की जाएगी। इसी दौरान सभी पार्टी के नेता/प्रत्याशियों, उनके प्रतिनिधि/समर्थकों और आम लोगों से सवाल-जवाब किए जाएंगे। ऐसे में आइये जानते हैं औरंगाबाद का इतिहास
औरंगाबाद का इतिहास
विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थस्थल देव से पूरी दुनियां में अलग पहचान रखने वाला औरंगाबाद बिहार की राजनीति में 'चितौड़गढ़' के रूप में जाना जाता है। पूर्व में यह गयाजी जिले का अंग रहा है और आज यह मगध प्रमंडल का एक प्रमुख जिला है, जिसका मुख्यालय औरंगाबाद ही है। इसकी सीमाएं उत्तर में अरवल, दक्षिण में झारखंड के पलामू, पूरब में गयाजी और पश्चिम में रोहतास जिले से जुड़ती है। यह जिला धार्मिक महत्व खासकर विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थस्थल देव के लिए प्रसिद्ध है, जहां साल में दो बार कार्तिक और चैत माह में लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छ्ठ का आयोजन होता है, जिसमें बिहार के कोने-कोने से लेकर पड़ोसी राज्यों से लाखों श्रद्धालु छ्ठ व्रत करने आते है।
पढे़ं: छठ तक रुके फिर वोट डाला, अब लौट रहे हैं दिल्ली पंजाब और कोलकाता; प्रवासी बोले- अब यहीं रोजगार मिल जाए
इसकी पहचान मदनपुर की पहाड़ी पर स्थित मां उमंगेश्वरी मंदिर, गौरीशंकर खोह, सहस्त्रलिंगी शिव, जानकी सीता की हथेलियों के निशान और श्रीराम के रथ के पहियों के निशान वाले सीताथापा, नबीनगर के गजना माता मंदिर, अम्बा के माता सतबहिनी मंदिर, मनोरा की प्राचीन बुद्ध मूर्ति, दाउदनगर के दाउद खां के किला, शमशेरनगर में शमशेर खां के मकबरे, महर्षि वाणभट्ट की जन्म स्थली पीरू, महिर्ष च्यवन की तपोभूमि देवकुंड, ज्योर्तिविज्ञान के जनक महिर्ष भृगु की स्थली भगुरारी, इस्लाम मतावलंबियों के पाक स्थल अमझरशरीफ, मरही धाम, बुद्ध जैन व सनातनियों के समन्वय तीर्थस्थल पचार पहाड़ से भी है। यहां बहने वाली पुण्य सलिला पुनपुन नदी जिसे पुराणों में आदि गंगा कहा गया है और यह गयाजी श्राद्ध तर्पण की प्रथम वेदी व गया श्राद्ध का प्रवेश द्वार भी है।
राजनीतिक दृष्टि से यह जिला अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस जिले में कुल छः विधानसभा क्षेत्र आते हैं। वर्तमान में ये सभी छः सीटें महागठबंधन के कब्जे में हैं। यही कारण है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने औरंगाबाद को चुनौती के रूप में लिया है और इस जिले पर विशेष रणनीति के साथ फोकस की जा रही है।
विधानसभा में कितने मतदाता
सत्ता का संग्राम' कार्यक्रम प्रस्तावित
सुबह 8 बजे: रमेश चौक, औरंगाबाद।
दोपहर 12 बजे: पृथ्वी राज चौहान स्मृति भवन, पुरानी जीटी रोड, औरंगाबाद
विशेष कवरेज को आप यहां देख सकेंगे
amarujala.com, अमर उजाला के यूट्यूब चैनल और फेसबुक चैनल पर आप 'सत्ता का संग्राम' से जुड़े कार्यक्रम लाइव देख सकेंगे। 'सता का संग्राम' से जुड़ा व्यापक जमीनी कवरेज आप अमर उजाला अखबार में भी पढ़ सकेंगे।
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औरंगाबाद का इतिहास
विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थस्थल देव से पूरी दुनियां में अलग पहचान रखने वाला औरंगाबाद बिहार की राजनीति में 'चितौड़गढ़' के रूप में जाना जाता है। पूर्व में यह गयाजी जिले का अंग रहा है और आज यह मगध प्रमंडल का एक प्रमुख जिला है, जिसका मुख्यालय औरंगाबाद ही है। इसकी सीमाएं उत्तर में अरवल, दक्षिण में झारखंड के पलामू, पूरब में गयाजी और पश्चिम में रोहतास जिले से जुड़ती है। यह जिला धार्मिक महत्व खासकर विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थस्थल देव के लिए प्रसिद्ध है, जहां साल में दो बार कार्तिक और चैत माह में लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छ्ठ का आयोजन होता है, जिसमें बिहार के कोने-कोने से लेकर पड़ोसी राज्यों से लाखों श्रद्धालु छ्ठ व्रत करने आते है।
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पढे़ं: छठ तक रुके फिर वोट डाला, अब लौट रहे हैं दिल्ली पंजाब और कोलकाता; प्रवासी बोले- अब यहीं रोजगार मिल जाए
इसकी पहचान मदनपुर की पहाड़ी पर स्थित मां उमंगेश्वरी मंदिर, गौरीशंकर खोह, सहस्त्रलिंगी शिव, जानकी सीता की हथेलियों के निशान और श्रीराम के रथ के पहियों के निशान वाले सीताथापा, नबीनगर के गजना माता मंदिर, अम्बा के माता सतबहिनी मंदिर, मनोरा की प्राचीन बुद्ध मूर्ति, दाउदनगर के दाउद खां के किला, शमशेरनगर में शमशेर खां के मकबरे, महर्षि वाणभट्ट की जन्म स्थली पीरू, महिर्ष च्यवन की तपोभूमि देवकुंड, ज्योर्तिविज्ञान के जनक महिर्ष भृगु की स्थली भगुरारी, इस्लाम मतावलंबियों के पाक स्थल अमझरशरीफ, मरही धाम, बुद्ध जैन व सनातनियों के समन्वय तीर्थस्थल पचार पहाड़ से भी है। यहां बहने वाली पुण्य सलिला पुनपुन नदी जिसे पुराणों में आदि गंगा कहा गया है और यह गयाजी श्राद्ध तर्पण की प्रथम वेदी व गया श्राद्ध का प्रवेश द्वार भी है।
राजनीतिक दृष्टि से यह जिला अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस जिले में कुल छः विधानसभा क्षेत्र आते हैं। वर्तमान में ये सभी छः सीटें महागठबंधन के कब्जे में हैं। यही कारण है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने औरंगाबाद को चुनौती के रूप में लिया है और इस जिले पर विशेष रणनीति के साथ फोकस की जा रही है।
विधानसभा में कितने मतदाता
| क्रमांक | विधानसभा क्षेत्र | कुल मतदाता | पुरुष मतदाता | महिला मतदाता | अन्य मतदाता |
|---|---|---|---|---|---|
| 1 | गोह (219) | 3,12,052 | 1,64,108 | 1,47,940 | 04 |
| 2 | ओबरा (220) | 3,18,398 | 1,68,617 | 1,49,771 | 04 |
| 3 | नबीनगर (221) | 2,82,859 | 1,50,058 | 1,32,794 | 10 |
| 4 | कुटुम्बा (222) | 2,71,829 | 1,44,638 | 1,27,186 | 05 |
| 5 | औरंगाबाद (223) | 3,11,801 | 1,64,655 | 1,47,140 | 06 |
| 6 | रफीगंज (224) | 3,32,827 | 1,75,340 | 1,57,487 | 00 |
2020 के नतीजे
| विधानसभा क्षेत्र | उम्मीदवार का नाम | पार्टी |
|---|---|---|
| गोह | भीम कुमार | राजद |
| ओबरा | ऋषि कुमार | राजद |
| नबीनगर | विजय कुमार सिंह उर्फ डबल्यू सिंह | राजद |
| कुटुम्बा | राजेश कुमार | कांग्रेस |
| औरंगाबाद | आनंद शंकर सिंह | कांग्रेस |
| रफीगंज | मो. नेहालुद्दीन | राजद |
सत्ता का संग्राम' कार्यक्रम प्रस्तावित
सुबह 8 बजे: रमेश चौक, औरंगाबाद।
दोपहर 12 बजे: पृथ्वी राज चौहान स्मृति भवन, पुरानी जीटी रोड, औरंगाबाद
विशेष कवरेज को आप यहां देख सकेंगे
amarujala.com, अमर उजाला के यूट्यूब चैनल और फेसबुक चैनल पर आप 'सत्ता का संग्राम' से जुड़े कार्यक्रम लाइव देख सकेंगे। 'सता का संग्राम' से जुड़ा व्यापक जमीनी कवरेज आप अमर उजाला अखबार में भी पढ़ सकेंगे।