Khudiram Bose: 'लोगों की आंखों में आंसू... दिलों में ज्वाला थी'; बिहार के बलिदानी सपूत को नमन कर बोले PM मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के ताजा एपिसोज में रविवार को स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बताया कि 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर में 18 वर्षीय खुदीराम बोस को फांसी दी गई थी। उनका चेहरा गर्व से भरा था, डर का नामोनिशान नहीं था। जेल के बाहर हजारों लोग एक वीर को अंतिम विदाई देने जुटे थे। पीएम मोदी ने कहा कि उनका बलिदान आज भी प्रेरणा देता है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के ताजा एपिसोड में रविवार को स्वतंत्रता संग्राम के वीर सपूत खुदीराम बोस को याद किया। उन्होंने कहा कि खुदीराम बोस ने बहुत ही कम उम्र में देश के लिए बलिदान दिया, जो आज भी हम सभी को प्रेरणा देता है। पीएम मोदी ने बताया कि यह घटना 11 अगस्त 1908 की है। उस दिन का सुबह का वक्त था और जगह थी बिहार का मुजफ्फरपुर शहर। अंग्रेज सरकार ने खुदीराम बोस को फांसी देने की तैयारी कर ली थी।
पीएम मोदी ने कहा कि जेल के अंदर अंग्रेज अफसर एक 18 साल के युवा को फांसी देने की तैयारी में थे, लेकिन उस युवा के चेहरे पर कोई डर नहीं था। वहां सिर्फ और सिर्फ गर्व था, वही गर्व जो किसी को देश के लिए मर-मिटने पर होता है। उन्होंने बताया कि उस वक्त जेल के बाहर हजारों लोग जमा थे। हर गली, हर चौराहा शांत था, लोगों की आंखों में आंसू थे, लेकिन दिलों में गुस्सा और जोश था। वे सब एक ऐसे वीर को अंतिम विदाई देने आए थे जिसने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
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पीएम मोदी ने खुदीराम बोस की दी श्रद्धांजलि
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम के वीर सपूत खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि दी। साथ ही कहा कि खुदीराम बोस का साहस और देशभक्ति आज भी हम सभी को प्रेरित करती है। हमें अपने ऐसे वीर सपूतों के बलिदान को याद रखना चाहिए और उनसे सीख लेनी चाहिए।
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कौन थे खुदीराम बोस?
बता दें कि खुदीराम बोस सिर्फ 18 साल की उम्र में देश के सबसे नौजवान स्वतंत्रता सेनानी बन गए जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करते हुए बलिदान दिया। उन्होंने ब्रिटिश अफसरों को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसमें अंग्रेज अफसर किंग्सफोर्ड को मारने की योजना थी। हालांकि योजना पूरी तरह सफल नहीं हो पाई, लेकिन खुदीराम पकड़े गए और उन्हें फांसी की सजा हुई।