दुनिया की सबसे अहम तेल कंपनी अरामको ने की रियाद शेयर बाजार में कारोबार की शुरुआत
सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको दुनिया की सबसे अहम तेल कंपनियों में से एक है और कच्चे तेल की सबसे बड़ी निर्यातक है। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से अरामको ने रिकॉर्ड 25.6 अरब डॉलर जुटाए थे। बुधवार को स्थानीय शेयर बाजार में इसका कारोबार शुरू हुआ। अरामको द्वारा आईपीओ की दर 32 रियाल यानी 8.53 डॉलर प्रति शेयर तय की गई थी। जबकि प्री ओपन के दौरान कंपनी का शेयर इससे 10 फीसदी ऊपर 35.2 रियाल यानी 9.39 डॉलर प्रति शेयर पर था। अरामको का बाजार पूंजीकरण बढ़ कर 1.88 लाख करोड़ डॉलर हो गया है।
तेल पर निर्भरता कम करना चाहता है सऊदी अरब
दरअसल सऊदी अरब अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम करना चाहता है। आईपीओ लाने के पीछे सऊदी राजघराने के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की सुधारों को बढ़ाने की सोची समझी रणनीति है। साल 2016 में पहली बार मोहम्मद बिन सलमान ने आईपीओ बनाए जाने के बारे में घोषणा की थी।
सऊदी अरामको ने अलीबाबा को पछाड़ा
कंपनी का मूल्यांकन 1,700 अरब डॉलर बैठता है। इसके साथ ही आईपीओ से पैसे जुटाने के मामले में सऊदी अरामको दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। अरामको के बाद चीन की अलीबाबा ने आईपीओ से सबसे ज्यादा पैसे जुटाए हैं। साल 2014 में अलीबाबा ने 25 अरब डॉलर जुटाए थे।
2018 में कमाया था 111 अरब डॉलर का लाभ
साल 2018 में कंपनी ने 111 अरब डॉलर का लाभ कमाया था। ये एपल और गूगल की कंपनी एल्फाबेट के कुल सालाना लाभ से भी अधिक है। बता दें कि अक्तूबर माह में अरामको के आईपीओ में थोड़ा विलंब हुआ था। हाल ही में सऊदी अरामको के क्रूड ऑयल फैसिलिटी सेंटर्स पर ड्रोन हमला हुआ था। जिसकी वजह से 28 साल बाद कच्चे तेल में एक दिन की सबसे ज्यादा तेजी आई थी।
ये थी कंपनी की योजना
आईपीओ के जरिए अरामको की पांच फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री करने की योजना थी। योजना के अनुसार, कंपनी करीब पांच फीसदी शेयर दो चरणों में बेचने के बारे में सोच रही थी। इसमें से दो फीसदी शेयर सऊदी अरब शेयर मार्केट में और बाकी के तीन फीसदी शेयर ओवरसीज मार्केट में बेचने की तैयारी थी। लेकिन बाद में कंपनी ने ओवरसीज मार्केट में लिस्टिंग का प्लान छोड़ दिया।