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FDI: शीतकालीन सत्र में बीमा संशोधन विधेयक पेश नहीं होने की संभावना, एफडीआई को बढ़ाकर 100% करने था प्रस्ताव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Sun, 08 Dec 2024 09:30 PM IST
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सार
Insurance Amendment Bill: वित्त मंत्रालय ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने, चुकता पूंजी में कमी और समग्र लाइसेंस के प्रावधान सहित बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है।

एफडीआई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई का प्रस्ताव वाले बीमा संशोधन विधेयक के संसद के चालू सत्र में पेश होने की संभावना नहीं है। सूत्रों ने बताया कि विभिन्न संगठनों से मिली टिप्पणियों के बाद मसौदा विधेयक में कुछ संशोधन की जरूरत हो सकती है। उन्होंने बताया कि समय की कमी को देखते हुए चालू सत्र में विधेयक पेश करना मुश्किल है, हालांकि यह बजट सत्र में आ सकता है।
वित्त मंत्रालय ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने, चुकता पूंजी में कमी और समग्र लाइसेंस के प्रावधान सहित बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने प्रस्तावित संशोधनों पर 10 दिसंबर तक जनता से टिप्पणियां मांगी हैं। प्रस्ताव के अनुसार, भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत की जाएगी।
वर्तमान में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने के लिए 1938 का बीमा अधिनियम, प्रमुख अधिनियम है। यह बीमा व्यवसायों के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और एक बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। इस क्षेत्र में अधिक निवेशकों के प्रवेश से देश भर में अधिक रोजगार सृजन होगा। वर्तमान में भारत में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियां हैं।

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वित्त मंत्रालय ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने, चुकता पूंजी में कमी और समग्र लाइसेंस के प्रावधान सहित बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने प्रस्तावित संशोधनों पर 10 दिसंबर तक जनता से टिप्पणियां मांगी हैं। प्रस्ताव के अनुसार, भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत की जाएगी।
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वर्तमान में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने के लिए 1938 का बीमा अधिनियम, प्रमुख अधिनियम है। यह बीमा व्यवसायों के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और एक बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। इस क्षेत्र में अधिक निवेशकों के प्रवेश से देश भर में अधिक रोजगार सृजन होगा। वर्तमान में भारत में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियां हैं।