{"_id":"68b4db4889a0c1db500fc483","slug":"global-uncertainty-geopolitical-tensions-and-rupee-weakness-pushed-gold-prices-to-record-highs-2025-09-01","type":"story","status":"publish","title_hn":"निवेश-बचत: सोने में रिकॉर्ड उछाल, चूक न जाना ये मौका; अभी खरीदें या दाम घटने का करें इंतजार","category":{"title":"Business Diary","title_hn":"बिज़नेस डायरी","slug":"business-diary"}}
निवेश-बचत: सोने में रिकॉर्ड उछाल, चूक न जाना ये मौका; अभी खरीदें या दाम घटने का करें इंतजार
अंकित कपूर, रिसर्च हेड, कमोडिटी समाचार सिक्योरिटीज
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Mon, 01 Sep 2025 05:01 AM IST
विज्ञापन
सार
वैश्विक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और रुपये की कमजोरी से सोने के भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। छोटी अवधि में बहुमूल्य धातु की कीमतों में मामूली गिरावट आने की उम्मीद है। इस दौरान खरीदारी का सही मौका भी बन सकता है। इसके बाद सोने की कीमतों में गिरावट के आसार नहीं दिख रहे।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
विज्ञापन
विस्तार
सोने ने फिर इतिहास रच दिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 29 अगस्त को गोल्ड ने तीन महीने के उच्चतम स्तर को पार करते हुए 3,450 डॉलर प्रति औंस तक का स्तर छू लिया। घरेलू बाजार में रुपये में लगातार कमजोरी के चलते 24 कैरेट गोल्ड 1,03,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया। अब बड़ा सवाल यही है कि क्या इस भाव पर खरीदारी करनी चाहिए? खासकर तब, जब आगे श्राद्ध पक्ष में मांग धीमी रहेगी और उसके बाद त्योहार एवं शादी का सीजन बाजार को नई रफ्तार देगा।

Trending Videos
सोने में इसलिए तूफानी तेजी
दरअसल, सोने में तेजी की शुरुआत कोरोना काल के बाद हुई। लेकिन, असली रफ्तार अक्तूबर, 2023 से दिखी। मिडिल ईस्ट का तनाव, डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ चक्रव्यूह और अमेरिका के बढ़ते कर्ज ने सोने की कीमतों को 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा दिया। पिछले चार महीनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें 3,200-3,500 डॉलर प्रति औंस के बीच झूल रही हैं। वहीं, घरेलू बाजार में भारतीय रुपये के 88 डॉलर तक लुढ़कने से सोना तेजी के नित नए रिकॉर्ड बना रहा है।
विज्ञापन
विज्ञापन
ये भी पढ़ें: RBI: निजी कंपनियों का निवेश 21.5% बढ़कर 2.67 लाख करोड़ पहुंचा, मजबूत अर्थव्यवस्था-ब्याज दर में कटौती से तेजी
जानें...पर्दे के पीछे की असली चाल
भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका की बार-बार बदलती नीतियों से केंद्रीय बैंकों का डॉलर पर भरोसा कम हुआ है। इसी कारण दुनियाभर के सेंट्रल बैंक सोने का रुख कर रहे हैं। 2010 के बाद से सेंट्रल बैंक नेट खरीदार बने हुए हैं। 2022 से 2024 के बीच लगातार तीन साल तक 1,000 टन से ज्यादा सोना खरीदा गया, जो असामान्य है। इसी बीच, अमेरिका पर कर्ज बढ़कर 37 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गया, जो अमेरिकी जीडीपी का 124 फीसदी है। ट्रंप की टैरिफ नीतियों से महंगाई का खतरा और बढ़ गया है, जबकि फेडरल रिजर्व ब्याज दरें घटाने में फंसा है। यही वजह है कि निवेशक लगातार सोने की खरीदारी कर रहे हैं।
अभी खरीदें या दाम घटने का करें इंतजार
सोने के दाम ढाई साल में दोगुने हो चुके हैं। सोना चाहे कितना भी महंगा हो, शादियों में गहनों की खरीद टाली नहीं जा सकती। लेकिन, टाइमिंग का फर्क जरूर पड़ता है। अगले कुछ हफ्तों तक श्राद्ध की वजह से सोने की मांग कमजोर रहेगी। भाव में हल्की नरमी आ सकती है, लेकिन रुपये की कमजोरी और वैश्विक तनाव के चलते बड़ी गिरावट के आसार नहीं हैं। शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इस दौरान मांग फिर से बढ़ेगी। देवउठनी एकादशी के बाद शादी सीजन की वजह से सोने की मांग रफ्तार पकड़ेगी।
चांदी भी तेजी की दौड़ में शामिल
इस बार चांदी भी रफ्तार पकड़े हुए है। 29 अगस्त को घरेलू बाजार में चांदी 1,22,000 रुपये प्रति किलोग्राम के पार कर गई। चांदी की 58 फीसदी से ज्यादा खपत औद्योगिक क्षेत्रों जैसे- ई-वाहन, सौर पैनल, ग्रीन एनर्जी में होती है। आने वाले वर्षों में खपत 60 फीसदी तक जा सकती है। चांदी की मांग लंबी अवधि के लिए मजबूत मानी जा रही है।
ये भी पढ़ें: US Tariff: 'अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने की कोशिश कर रही सरकार', आर्थिक मामलों की सचिव का बयान
सोना बनाम चांदी, आगे कैसा रहेगा भाव
सोने ने पांच साल में सालाना 12 फीसदी रिटर्न दिया है। चांदी ने उतार-चढ़ाव के बावजूद करीब 15 फीसदी रिटर्न दिया। हालांकि, सोना ज्यादा स्थिर है। चांदी तेजी और मंदी दोनों में बड़ी चाल दिखाती है। यानी स्थिर निवेशक को सोना और हाई रिस्क/रिटर्न चाहने वालों को चांदी भा सकती है। दिवाली तक सोना 1.06 लाख और मार्च, 2026 तक 1.13 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच सकता है। चांदी दिवाली तक 1.30 लाख और अगले 12-15 माह में 1.80 लाख रुपये प्रति किग्रा तक जा सकती है।
निवेश के लिए सही विकल्प
सोना सिर्फ गहने बनाने के लिए ही नहीं है, बल्कि निवेशकों के लिए भी यह सुरक्षित ठिकाना है। लेकिन हर फॉर्म का अपना फायदा–नुकसान है। जैसे...
- फिजिकल गोल्ड (गहने/कॉइन/बार) : आसान लेकिन मेकिंग चार्ज व टैक्स ज्यादा। स्टोरेज और सुरक्षा का झंझट।
- गोल्ड फंड और ईटीएफ : मेकिंग चार्ज नहीं। छोटी-छोटी यूनिट्स में खरीद आसान। तुरंत बेचने का विकल्प।
- निवेश के लिहाज से गोल्ड म्यूचुअल फंड और ईटीएफ ज्यादा फायदेमंद हैं। फिजिकल गोल्ड भावनाओं और शादियों के लिए ठीक है, लेकिन निवेश के लिए स्मार्ट विकल्प डिजिटल फॉर्मेट ही है।